लागत से 1822 रुपए प्रति क्विंटल कम में भी नहीं बिके धान, सोसायटियों को भारी नुकसान: सुशील आनंद शुक्ला

रायपुर । समर्थन मूल्य में खरीदे गए धान के निस्तारण में आ रही दिक्कत को भाजपा सरकार की दुर्भावना और अकर्मण्यता का परिणाम करार देते हुए प्रदेश कांग्रेस संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा है कि खरीफ सीजन 2024-25 में किसानों से 3100 रुपए प्रति क्विंटल की दर से खरीदे का धान के परिवहन और मिलिंग खर्च को मिलाकर लगभग 3822 रुपए प्रति क्विंटल लागत है, साय सरकार ने नीलामी का बेस रेट 1900 रुपए प्रति क्विंटल तय किया है जिसमें अब तक केवल 8 लाख टन धान नीलाम हो पाया है, 27 लाख टन अब भी संग्रहण केंद्रों में पड़े हैं।

केंद्र की मोदी सरकार के द्वारा चावल के निर्यात पर अधिक कर लगाए जाने के चलते खुले बाजार में धान की कीमतों पर असर पड़ा है, जिसके चलते खरीदारों ने जो निविदा भरी है, वह सरकार के द्वारा तय बेस कीमत से भी 200 रुपए प्रति क्विंटल तक कम है। केंद्र की मोदी सरकार के द्वारा केंद्रीय पुल में चावल की लिमिट नहीं बढ़ाने के कारण लगभग 35 लाख टन धान नीलाम करना पड़ रहा है। डबल इंजन की सरकार का दंभ भरने वाले भाजपा नेता यह बताएं कि राज्य सरकार के द्वारा उपार्जित धान से बने चावल को केंद्र सरकार सेंट्रल पुल में क्यों नहीं खरीद रही है? मोदी सरकार की दुर्भावना के चलते प्रदेश के खजाने में होने वाले 7000 करोड़ के नुकसान का जिम्मेदार कौन है?

प्रदेश कांग्रेस संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा है कि डबल इंजन की सरकार की हकीकत जनता के सामने है। केंद्र की मोदी सरकार, प्रदेश के विष्णु देव साय सरकार के द्वारा समर्थन मूल्य में उपार्जित धान से बना पूरा चावल नहीं खरीद रही है, जिसके चलते राज्य सरकार को किसानों से खरीदे गए धान को खुले बाजार में बेचना पड़ रहा है। साय सरकार निविदा में भी अनुमान लगाने में पूरी तरह चूक गई, कुल अतिरिक्त धान का 20 प्रतिशत भी बेस प्राइस पर नहीं बिक पाया है। सरकार की अर्कमण्यता के चलते हैं सहकारी सोसाइटियों को हजारों करोड़ का नुकसान हो रहा है खुले में पड़े धान के नुकसानी, सुखत और विभिन्न प्रकार के क्षति की भरपाई यह सरकार संबंधित सोसाइटियों को नहीं कर रही है, जिससे सोसाइटियों की माली हालत दयनीय हो गई है।

प्रदेश कांग्रेस संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा है कि भाजपा की सरकारें किसान विरोधी है, छत्तीसगढ़ विरोधी है। छत्तीसगढ़ की धरती में बने एफसीआई के गोदामों में छत्तीसगढ़ के किसानों के द्वारा उपजाए धान से बने चावल को रखने के लिए स्थान नहीं है? केंद्र की मोदी सरकार को छत्तीसगढ़ से कोयला चाहिए, आयरन ओर चाहिए, टीन चाहिए, बॉक्साइट चाहिए लेकिन छत्तीसगढ़ के अन्नदाताओं से उपार्जित धान से निर्मित चावल के लिए केंद्रीय पूल में जगह नहीं है? छत्तीसगढ़ के किसान भारतीय जनता पार्टी की दुर्भावना और छत्तीसगढ़ की उपेक्षा के लिए भाजपा को कभी माफ नहीं करेंगे।

Richa Sahay

ऋचा सहाय — पत्रकारिता और न्याय जगत की एक सशक्त आवाज़, जिनका अनुभव दोनों क्षेत्रों में अद्वितीय है। वर्तमान में The 4th Pillar की वरिष्ठ समाचार संपादक के रूप में कार्यरत ऋचा सहाय दशकों से राजनीति, समाज, खेल, व्यापार और क्राइम जैसी विविध विषयों पर बेबाक, तथ्यपूर्ण और संवेदनशील लेखन के लिए जानी जाती हैं। उनकी लेखनी की सबसे खास बात है – जटिल मुद्दों को सरल, सुबोध भाषा में इस तरह प्रस्तुत करना कि पाठक हर पहलू को सहजता से समझ सकें।पत्रकारिता के साथ-साथ ऋचा सहाय एक प्रतिष्ठित वकील भी हैं। LLB और MA Political Science की डिग्री के साथ, उन्होंने क्राइम मामलों में गहरी न्यायिक समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण स्थापित किया है। उनके अनुभव की गहराई न केवल अदालतों की बहसों में दिखाई देती है, बल्कि पत्रकारिता में उनके दृष्टिकोण को भी प्रभावशाली बनाती है।दोनों क्षेत्रों में वर्षों की तपस्या और सेवा ने ऋचा सहाय को एक ऐसा व्यक्तित्व बना दिया है जो ज्ञान, निडरता और संवेदनशीलता का प्रेरक संगम है।

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