स्कूल में जय श्रीराम कहने पर शिक्षक ने की बच्चों की पिटाई,ग्रामीणों में आक्रोश

कोरबा । छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। जहां सरकारी स्कूल में जय श्रीराम कहने या टीका लगाने पर बच्चों को शिक्षक द्वारा प्रताड़ित किया जाता है।

शिक्षक ने दो छात्रों की जमकर पिटाई भी कर दी। शिक्षक के इस व्यवहार से ग्रामीणों में आक्रोश है। इस मामले को लेकर अब ग्रामीण प्रदर्शन की तैयारी में है। यह घटना पाली पड़निया गांव की है।

शिक्षक राजकुमार ओगरे की हरकतों से परेशान विद्यार्थियों ने पूरे मामले की जानकारी पालकों को दी। इसके बाद आक्रोशित पालक स्कूल पहुंचे और संबंधित शिक्षक को जमकर खरी खोटी सुनाई। इस दौरान शिक्षक पालकों से क्षमा मांगते दिखाई दिए, लेकिन ग्रामीण उन्हें क्षमा करने के मूड में नहीं है।

पालकों ने थाने और शिक्षा विभाग में की शिकायत

पालकों ने घटना की जानकारी सर्वमंगला चौकी पुलिस और शिक्षा विभाग को दी है। बताया जा रहा है कि संबंधित स्कूलों में तीन गांव के बच्चे पढ़ाई करने आते हैं। अब इन तीनों गांव के लोग एकत्रित होकर सनातन विरोधी शिक्षक की हरकतों का विरोध करने की तैयारी में हैं।

मामले की जांच की जा रही : चौकी प्रभारी

इस मामले में सर्वमंगला चौकी प्रभारी वैभव तिवारी ने बताया कि घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और घटना क्रम की जानकारी ली। वहीं संबंधित शिक्षा विभाग को पत्राचार किया गया है। आगे मामले की जांच जारी है। वहीं स्कूल के शिक्षक हिंदी व्याख्याता राजकुमार ओगरे ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए ग्रामीणों से माफी मांगी कि आज के बाद ऐसा कभी नहीं करूंगा ।

Richa Sahay

ऋचा सहाय — पत्रकारिता और न्याय जगत की एक सशक्त आवाज़, जिनका अनुभव दोनों क्षेत्रों में अद्वितीय है। वर्तमान में The 4th Pillar की वरिष्ठ समाचार संपादक के रूप में कार्यरत ऋचा सहाय दशकों से राजनीति, समाज, खेल, व्यापार और क्राइम जैसी विविध विषयों पर बेबाक, तथ्यपूर्ण और संवेदनशील लेखन के लिए जानी जाती हैं। उनकी लेखनी की सबसे खास बात है – जटिल मुद्दों को सरल, सुबोध भाषा में इस तरह प्रस्तुत करना कि पाठक हर पहलू को सहजता से समझ सकें।पत्रकारिता के साथ-साथ ऋचा सहाय एक प्रतिष्ठित वकील भी हैं। LLB और MA Political Science की डिग्री के साथ, उन्होंने क्राइम मामलों में गहरी न्यायिक समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण स्थापित किया है। उनके अनुभव की गहराई न केवल अदालतों की बहसों में दिखाई देती है, बल्कि पत्रकारिता में उनके दृष्टिकोण को भी प्रभावशाली बनाती है।दोनों क्षेत्रों में वर्षों की तपस्या और सेवा ने ऋचा सहाय को एक ऐसा व्यक्तित्व बना दिया है जो ज्ञान, निडरता और संवेदनशीलता का प्रेरक संगम है।

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