सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई पर लगाई रोक, मौलाना अरशद मदनी ने फैसले का किया स्वागत कहा यह जमीयत की बड़ी उपलब्धि

देश में अपराधियों के खिलाफ की जा रही बुलडोजर कार्रवाई पर अब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ चुका है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट की 2 जजों की बेंच ने बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा है कि मनमाने ढंग से किसी के घर को गिराना कानून का उल्लंघन है। किसी की भी संपत्ति को मनमाने ढंग से नहीं गिराया जा सकता है। अगर कोई भी व्यक्ति दोषी भी अगर पाया जाता है तो उसके खिलाफ कानून के आधार पर ही उसके घर को गिराया जा सकता है। इसके लिए दोषी या आरोपी होना किसी के घर को तोड़ने का आधार नहीं हो सकता है। कोर्ट ने कहा कि मनमानें ढंग से संपत्ति पर बुलडोजर चलाने वाले अधिकारी इसके लिए जवाबदेह होंगे।

बुलडोजर एक्शन पर लगी रोक के बाद ही अब जमीयत उलमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने बयान जारी किया है। उन्होंने कहा कि सरकार जज नहीं बन सकती है। बुलडोजर कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला। सरकारों द्वारा मानवाधिकारों को उल्लंघन पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी। जमीयत उलमा-ए-हिंद की एक और बड़ी उपलब्धि। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बुलोडजर चलाकर किसी का घर गिराना अपराध की सजा नहीं है। सरकार जज बनकर बुलडोजर चलाकर किसी का घर गिराने का फैसला नहीं दे सकती।

मौलाना अरशद मदनी ने कहा, “कोई चीज वैध है या अवैध, इसका फैसला न्यायपालिका करेगी। यह अहम पैसला आज सुप्रीम कोर्ट ने जमीयत उलमा-ए-हिंद की ओर से गैरकानूनी बुलडोजर कार्रवाई को चुनौती देने वाली याचिका पर  सुनाया है।” मौलाना अरशद मदनी ने गैरकानूनी बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगाने वाले सुप्रीम कोर्ट के इस फैसला का स्वागत करते हुए कहा कि उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट के सख्त निर्देशों से बुलडोजर कार्रवाई पर लगाम लगेगी। बता दें कि इससे पहले इसी मामले पर समाजवादी पार्टी के नेता अबू आजमी ने बयान देते हुए कहा था कि बुलडोजर कार्रवाई करने वाले आरोपी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।

Richa Sahay

ऋचा सहाय — पत्रकारिता और न्याय जगत की एक सशक्त आवाज़, जिनका अनुभव दोनों क्षेत्रों में अद्वितीय है। वर्तमान में The 4th Pillar की वरिष्ठ समाचार संपादक के रूप में कार्यरत ऋचा सहाय दशकों से राजनीति, समाज, खेल, व्यापार और क्राइम जैसी विविध विषयों पर बेबाक, तथ्यपूर्ण और संवेदनशील लेखन के लिए जानी जाती हैं। उनकी लेखनी की सबसे खास बात है – जटिल मुद्दों को सरल, सुबोध भाषा में इस तरह प्रस्तुत करना कि पाठक हर पहलू को सहजता से समझ सकें।पत्रकारिता के साथ-साथ ऋचा सहाय एक प्रतिष्ठित वकील भी हैं। LLB और MA Political Science की डिग्री के साथ, उन्होंने क्राइम मामलों में गहरी न्यायिक समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण स्थापित किया है। उनके अनुभव की गहराई न केवल अदालतों की बहसों में दिखाई देती है, बल्कि पत्रकारिता में उनके दृष्टिकोण को भी प्रभावशाली बनाती है।दोनों क्षेत्रों में वर्षों की तपस्या और सेवा ने ऋचा सहाय को एक ऐसा व्यक्तित्व बना दिया है जो ज्ञान, निडरता और संवेदनशीलता का प्रेरक संगम है।

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