Tuesday, May 13, 2025
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शोध :अकेलापन या अकेले रहना, एक दिन में 15 सिगरेट पीने जितना ही ख़तरनाक

अकेलापन आपकी सेहत के लिए बहुत ही बुरा है. कुछ एक्सपर्ट्स ने तो ये तक बताया है कि यह एक दिन में 15 सिगरेट पीने जितना ही ख़तरनाक है.

भले ही हम हमेशा अपने स्मार्टफ़ोन से जुड़े रहते हैं, जहां एक दिन में सैकड़ों मैसेज की बौछार होती रहती है. लेकिन, इससे हमें हमेशा अच्छा महसूस नहीं होता.

वास्तव में, यह लगातार होने वाला संपर्क हम पर भारी पड़ सकता है. इससे कई लोग थोड़ी शांति के लिए तरस जाते हैं. तो क्या इन सब चीज़ों के बीच किसी प्रकार के संतुलन की तलाश मुमकिन है ?

क्या अकेले रहने और अकेलेपन में कोई फ़र्क़ है ?

वैसे तो यह एक पुरानी समस्या है, लेकिन कोविड महामारी के दौरान लंबे समय तक लॉकडाउन और सामाजिक दूरी के कारण लाखों लोगों के लिए अकेलापन एक चुनौती बन गया है. इससे बहुत से लोग अकेले और अलग-थलग महसूस करने लगे. ब्रिटेन के शेफील्ड हॉलम यूनिवर्सिटी में अकेलेपन के बारे में पढ़ाने वाली एंड्रिया विगफील्ड का कहना है कि अकेलापन एक असहज भावना है.

यह तब पैदा होती है, जब आपके पास उतने अलग-अलग तरह के रिश्ते नहीं होते, जितने आप चाहते हैं. एक्सपर्ट्स कहते हैं कि अकेलापन तब होता है, जब आपको लगता है कि आपके रिश्ते उतने अच्छे नहीं हैं जितने आप चाहते हैं.

ऐसा तब भी हो सकता है, जब आप अपने रिश्तों की तुलना दूसरों से करते हैं और आपको लगता है कि आपकी दोस्ती उतनी मज़बूत नहीं है.

अगर आप अकेले हैं, तो जल्द ही आपको अकेलापन महसूस हो सकता है. लेकिन, यह भी सच है कि भीड़ में भी आप अकेलापन महसूस कर सकते हैं.

विगफील्ड चेतावनी देते हुए कहती हैं कि ऐसा महसूस करना कि आप किसी के नहीं हैं या आपके रिश्ते बहुत मज़बूत नहीं हैं, तो इससे भी आपको दुखी और अकेला महसूस हो सकता है.

कुछ भाषाओं में लोग अकेलेपन और ख़ुद से अकेले रहने के लिए एक ही शब्द का इस्तेमाल करते हैं.

लेकिन, ख़ुद से अलग रहना थोड़ा अलग है, क्योंकि यह आमतौर पर कुछ समय के लिए अकेले रहने से शांति और आराम का एहसास देता है.

ब्रिटेन की डरहम यूनिवर्सिटी में साइकोलॉजी के एसोसिएट प्रोफेसर थुई वी नुयेन कहते हैं कि ख़ुद से अकेले रहने का मतलब है दूसरों से बात किए बिना अकेले समय बिताना और यहां तक कि सोशल मीडिया पर भी किसी से बातचीत नहीं करना.

अकेलापन आपके शरीर पर क्या असर डालता है ?

अकेलापन आपकी सेहत के लिए बहुत बुरा होता है. कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी की एक हालिया स्टडी में पाया गया कि अकेलेपन से हृदय की बीमारी, स्ट्रोक (मस्तिष्क की खून की सप्लाई में रुकावट) और टाइप 2 डायबिटीज़ का ख़तरा बढ़ सकता है.

इसके साथ ही, इंफ़ेक्शन होने की आशंका भी बढ़ जाती है. विगफील्ड कहती हैं कि इस बात के भी प्रमाण मिले हैं कि अकेलेपन से याददाश्त में कमी, डिप्रेशन, चिंता और समय से पहले मरने का ख़तरा भी बढ़ जाता है.

यह साफ़ नहीं है कि अकेलापन सेहत को क्यों नुक़सान पहुंचाता है. डॉक्टरों का मानना है कि ऐसा इसलिए हो सकता है, क्योंकि अकेलेपन के कारण शरीर पर अधिक तनाव पड़ता है और मानसिक गतिविधि कम होती है.

इससे मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं और भी ख़राब हो सकती हैं. अकेलापन एक बड़ी समस्या है. विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि चार में से एक बुज़ुर्ग व्यक्ति सामाजिक रूप से अलग-थलग महसूस करते हैं. वहीं, 5 से 15 प्रतिशत तक किशोर भी इस समस्या से जूझते हैं.

कुछ विशेष समूहों में अकेलेपन का ख़तरा ज़्यादा होता है, चाहे उनकी उम्र कुछ भी हो. इनमें प्रवासी, जातीय अल्पसंख्यक लोग, शरण चाहने वाले लोग, एलजीबीटीक्यू के लोग, देखभाल करने वाले लोग और स्वास्थ्य समस्याओं वाले लोग शामिल हैं.

ऑस्ट्रेलिया और नीदरलैंड्स अकेलेपन को कम करने के लिए एक अलग रास्ता अपना रहे हैं. वे बुज़ुर्ग और युवा लोगों को कम्युनिटी सेंटर या रिहायशी इलाक़ों जैसी जगहों पर एक साथ वक्त बिताने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं.

ब्रिटेन में, ‘सोशल प्रिस्क्राइबिंग’ का चलन भी बढ़ रहा है. वहां अब डॉक्टर दवा देने की जगह, ऐसे कार्यक्रम की सलाह दे सकते हैं, जो अकेले लोगों को दूसरों लोगों के साथ जुड़ने में मदद करें.

बच्चों और किशोरों के साइकेट्रिस्ट (मानसिक बीमारियों का इलाज करने वाला डॉक्टर) होलान लियांग का कहना है कि ऐसे समावेशी समुदायों का निर्माण करना महत्वपूर्ण है, जहां लोग एक साथ मिलकर काम करें और हर कोई वहां मूल्यवान महसूस करे.

लियांग कहते हैं, “दूसरों का हाल-चाल जानना, दयालु होने का भाव दिखाना और दूसरों की मदद करने से अकेलेपन को रोकने में मदद मिलती है.”

एक्सपर्ट्स ने बीबीसी को बताया कि हर किसी के लिए इस चीज़ को जांचना ज़रूरी है कि वे अपने रिश्तों और दोस्ती से कितने ख़ुश हैं.

आपको अकेलेपन के लक्षणों पर भी ध्यान देना चाहिए, जैसे लंबे समय तक उदास रहना, लोगों से मिलने-जुलने की इच्छा न करना या घर पर ज़्यादा समय बिताना.

इसके अलावा दूसरे लक्षणों में, दूसरों से अलग-थलग महसूस करना या अपने आस-पास की जगहों से जुड़ाव महसूस न करना शामिल है.

क्या खु़द की इच्छा से अकेले रहना ग़लत है ?

प्रोफ़ेसर गुयेन इस बात पर ज़ोर देती हैं कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, जिसे मज़बूत, सहायक रिश्तों की ज़रूरत होती है. इसलिए वह ज़िंदा रहने के लिए कुछ नियमों का पालन करता है.

वो कहती हैं, “लोग अक्सर सोचते हैं कि अकेले समय बिताना बुरा है, क्योंकि हम एक साथ रहने के महत्व पर बहुत अधिक ध्यान देते हैं. लेकिन, अकेले रहने से वास्तव में हमें शांत और तनाव मुक्त महसूस करने में मदद मिलती है.”

ब्रिटेन में यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग की एक स्टडी से पता चला है कि अच्छे और बुरे दोनों तरह के फ़ायदे हो सकते हैं.

रिसर्चर्स ने 178 वयस्क लोगों पर 21 दिनों तक नज़र रखी. इस दौरान, उन लोगों ने तनाव के स्तर, ख़ुशी, आज़ादी और अकेलेपन की भावनाओं को ट्रैक करने के लिए कई सवालों के जवाब दिए.

इस एक्सपेरिमेंट से पता चला कि अकेले में ज़्यादा समय बिताने से हमारे तनाव में कमी होती है और हम ख़ुद को आज़ाद महसूस करते हैं.

रिसर्चर्स के मुताबिक़, इससे पता चलता है कि अकेले रहने से शांति का एहसास होता है.

हालांकि, जिन दिनों उन लोगों ने अपना ज़्यादा समय अकेले बिताया, उन्होंने अपने आप को अकेला और कम संतुष्ट पाया.

अपने लिए अच्छे पलों की तलाश कैसे करें ?

अध्ययनों से पता चलता है कि अकेले समय बिताने से आपको अपनी भावनाओं को कंट्रोल करने और आज़ाद महसूस करने में मदद मिलती है.

यह विशेष रूप से तब मददगार हो सकता है जब आप बहुत तनाव से भरा महसूस कर रहे हों.

अकेले समय बिताने से आपका मानसिक स्वास्थ्य बेहतर हो सकता है और आप भावनात्मक रूप से मज़बूत बन सकते हैं. लेकिन, अकेले समय बिताना कुछ लोगों के लिए मुश्किल हो सकता है.

प्रोफ़ेसर गुयेन अकेले समय बिताने को एक नियमित आदत बनाने की सलाह देती हैं. वह खुद के साथ समय बिताने के लिए फोन या स्क्रीन का इस्तेमाल किए बिना समय निकालने की सलाह देती हैं.

वह कहती हैं, “जब भी लोग मुझसे पूछते हैं कि अकेले रहने का फायदा कैसे उठाया जाए, तो मैं हमेशा यही सलाह देती हूं कि छोटी-छोटी चीज़ों से शुरुआत करें, यानी दिन में सिर्फ़ 15 मिनट अपने लिए निकालें.”

इस छोटे से समय में, आप इस बात पर नज़र रख सकते हैं कि आप कैसा महसूस कर रहे हैं, आपको क्या करना पसंद है. जैसे-जैसे दिन बीतते जाएं, आप अकेले रहने के इस समय को मिनट-दर-मिनट बढ़ाना शुरू कर सकते हैं.

वो कहती हैं, “कभी-कभी लोग कुछ दिनों के लिए अपने स्क्रीन टाइम या सोशल मीडिया के इस्तेमाल को कम करना चाहते हैं. इससे उन्हें परेशानी हो सकती है और वे भविष्य में इसे दोबारा आज़माना नहीं चाहेंगे”.

क्या अकेले रहने की कोई सीमा है ?

यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग के आंकड़ों से पता चला है कि जिन दिनों लोग अकेले ज़्यादा समय बिताते हैं, उन दिनों वे ज़्यादा अकेलापन और कम ख़ुश महसूस करते हैं.

भले ही वे अकेले रहना खुद की इच्छा से चुनते हैं, लेकिन इससे उन्हें अच्छा महसूस नहीं होता. हालांकि ये भावनाएं कई दिनों महसूस नहीं होतीं.

गुयेन के मुताबिक़, अकेले समय का सही संतुलन बनाने के लिए घंटों की कोई निर्धारित संख्या नहीं है. इसकी जगह, यह इस बात पर निर्भर करती है कि वह समय कितना अच्छा और पॉज़िटिव लगता है.

वह बताती हैं कि कुछ रिसर्च से पता चलता है कि अकेलापन तब शुरू होता है जब हम जगे रहने के दौरान के 75 प्रतिशत समय तक अकेले होते हैं.

वह कहती हैं कि अकेले रहने का सही समय हर किसी के लिए अलग-अलग होता है और यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप हर दिन कैसा महसूस करते हैं. लेकिन अकेले रहने के दौरान क्या चीज़ें करनी चाहिए?

एक्सपर्ट्स ऐसी चीज़ों को करने की सलाह देते हैं जो आपके दिमाग़ को एक्टिव रखें और आपको आराम करने में भी मदद करें.

इसके लिए हमारे पास कई तरह के विकल्प हमारे पास मौजूद है. जैसे पढ़ना, पेड़-पौधे उगाना, प्रकृति में घूमना, गाने सुनना, खाना बनाना और सजावट की चीज़ों को बनाना.

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