छत्तीसगढ़ की मिट्टी से जुड़ा त्योहार, भूपेश बघेल ने निभाई परंपरा, बोले- ‘हरेली हमारी आत्मा है’

पर्व से पहचान तक, परंपरा से प्रतिरोध तक,हरेली में भूपेश बघेल की भावनात्मक पुकार और राजनीतिक हुंकार

रायपुर । छत्तीसगढ़ के पारंपरिक पर्व हरेली तिहार पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पूरी पारंपरिक छवि के साथ मनाया। अपने निवास पर उन्होंने हल, बैलगाड़ी और कृषि उपकरणों की विधिपूर्वक पूजा की, साथ ही गेड़ी चढ़कर प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं दीं। इस अवसर पर उनका पूरा परिवार भी मौजूद रहा।

गोठानों को लेकर सरकार पर तीखा हमला

पूर्व मुख्यमंत्री ने गोठानों को बंद करने की कथित कोशिशों को लेकर भी बीजेपी सरकार को घेरा। उन्होंने कहा “बीजेपी एक ओर गाय के नाम पर राजनीति करती है, दूसरी ओर गोठानों को खत्म करने में जुटी है। महिलाओं को जमीन खाली करने के नोटिस दिए जा रहे हैं और वहां सामुदायिक भवन बनाने की योजना बनाई जा रही है।”

उन्होंने यह भी कहा कि गोठान केवल पशुधन के लिए नहीं, बल्कि महिला स्व सहायता समूहों की आय का भी आधार हैं। ऐसे फैसले ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर सीधा प्रहार हैं।

“हरेली हमारी पहचान है”

भूपेश बघेल ने गेड़ी चढ़ते हुए ग्रामीण संस्कृति को सम्मान देने का संदेश दिया। उन्होंने कहा “हरेली सिर्फ त्योहार नहीं, हमारी पहचान है। यह हमारी कृषि परंपरा और ग्रामीण जीवन की आत्मा है। हमें इसे हर हाल में संजोकर रखना होगा।” खेती किसानी से जुड़े इस त्यौहार के दौरान सरकार की दुर्भावना के चलते आज प्रदेश के किसान खाद की किल्लत से जूझ रहे हैं।

“बेटे की गिरफ्तारी इत्तेफाक नहीं , साजिश है“ मोदी सरकार पर गरजे भूपेश बघेल, ईडी पर भी साधा निशाना

छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मोदी सरकार और ईडी पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि अडानी पर बोलने के ठीक बाद उनके बेटे को जन्मदिन पर गिरफ्तार किया गया। यह कार्रवाई एक राजनीतिक साजिश है, जिससे कांग्रेस नेतृत्व को कमजोर किया जा रहा है। अब मोदी सरकार के जाने की बारी है, रणनीति और हिम्मत के साथ लडेगे। यह कार्रवाई एक राजनीतिक साजिश छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक बार फिर केंद्र सरकार और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्रवाई पर तीखा हमला बोला है। अपने उद्बोधन में उन्होंने कहा कि जिस दिन उन्होंने अडानी समूह के खिलाफ आवाज उठाई, उसी दिन उनके परिवार को निशाना बनाया गया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि यह सब एक सुनियोजित राजनीतिक साजिश का हिस्सा है, जिसमें उनके बेटे चैतन्य बघेल को निशाना बनाकर कांग्रेस के नेतृत्व को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है, इसलिये परिवार पर निशाना साधा गया है।

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, “तीन महीने पहले मेरे बेटे को गिरफ्तार नहीं किया गया, न कोई नोटिस दिया गया। लेकिन जिस दिन मैंने अडानी पर टिप्पणी की, उसी दिन मेरे बेटे को उसके ही जन्मदिन पर ईडी द्वारा उठा लिया गया। यह केवल मेरे परिवार पर हमला नहीं है, यह छत्तीसगढ़ के स्वाभिमान और जन आवाज़ को दबाने की कोशिश है।”

पूर्व मुख्यमंत्री ने इस कार्रवाई की तुलना स्वतंत्रता संग्राम से की। उन्होंने कहा कि उनके घर और ससुराल दोनों में स्वतंत्रता सेनानियों का इतिहास रहा है। हम अंग्रेजों से लड़े, तो मोदी और ईडी से क्यों नहीं लड़ सकते? जेल की धमकी से हम डरने वाले नहीं हैं। मेरे बाबूजी हमेशा कहते थे कि जेल हमारा दूसरा घर है और मैं वही सीख लेकर आगे बढ़ रहा हूं।”

राजनीतिक जीवन के अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि “मेरे पिता को जोगी सरकार ने जेल भेजा, वो सरकार गई। मुझे रमन सिंह ने जेल भेजा, उनकी सरकार भी गई। अब मोदी सरकार ने मेरे बेटे को जेल भेजा है। ये सिलसिला अब भी जारी रहेगा, लेकिन यह तय है कि सत्ता में बैठे लोग ज्यादा समय तक नहीं टिक पाएंगे।”

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कार्यकर्ताओं और जनता से अपील की कि लड़ाई रो-रोकर नहीं, बल्कि हिम्मत और रणनीति से लड़नी है। “हम डरने वालों में से नहीं हैं। हमें मिलकर साज़िशों का जवाब देना है और लोकतंत्र को बचाना है,” उन्होंने जोर देकर कहा। पूर्व मुख्यमंत्री के इस भावनात्मक और आक्रामक तेवर का कार्यकर्ताओं ने जोरदार नारेबाजी कर समर्थन किया।

Richa Sahay

ऋचा सहाय — पत्रकारिता और न्याय जगत की एक सशक्त आवाज़, जिनका अनुभव दोनों क्षेत्रों में अद्वितीय है। वर्तमान में The 4th Pillar की वरिष्ठ समाचार संपादक के रूप में कार्यरत ऋचा सहाय दशकों से राजनीति, समाज, खेल, व्यापार और क्राइम जैसी विविध विषयों पर बेबाक, तथ्यपूर्ण और संवेदनशील लेखन के लिए जानी जाती हैं। उनकी लेखनी की सबसे खास बात है – जटिल मुद्दों को सरल, सुबोध भाषा में इस तरह प्रस्तुत करना कि पाठक हर पहलू को सहजता से समझ सकें।पत्रकारिता के साथ-साथ ऋचा सहाय एक प्रतिष्ठित वकील भी हैं। LLB और MA Political Science की डिग्री के साथ, उन्होंने क्राइम मामलों में गहरी न्यायिक समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण स्थापित किया है। उनके अनुभव की गहराई न केवल अदालतों की बहसों में दिखाई देती है, बल्कि पत्रकारिता में उनके दृष्टिकोण को भी प्रभावशाली बनाती है।दोनों क्षेत्रों में वर्षों की तपस्या और सेवा ने ऋचा सहाय को एक ऐसा व्यक्तित्व बना दिया है जो ज्ञान, निडरता और संवेदनशीलता का प्रेरक संगम है।

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