द साबरमती रिपोर्ट को टैक्स फ्री किया जाना गलत : सुशील आनंद शुक्ला

रायपुर । फिल्म द साबरमती रिपोर्ट को टैक्स फ्री किये जाने का कांग्रेस ने विरोध किया है।

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि राज्य के द्वारा वसूले जा रहे टैक्स की राशि पर राज्य की जनता का अधिकार होता है। राज्य सरकारें इतिहास के घटनाक्रम राजनैतिक, सामाजिक संदेश देने वाली पिक्चरों को टैक्स में छूट देती रही है। द साबरमती रिपोर्ट फिल्म में टैक्स छूट देने का कारण क्या है? सरकार स्पष्ट करे।

साबरमती पिक्चर को टैक्स की छूट देकर भाजपा की सरकार ने छत्तीसगढ़ की जनता की गाढ़ी कमाई को लुटाने का काम किया है।

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि टैक्स के पैसे से राज्य का विकास होता। टैक्स पर राज्य की जनता का अधिकार है। किसी भी नेता विशेष की छवि चमकाने के लिये किसी पिक्चर में टैक्स छूट दिये जाना गलत है।

भाजपा सरकार ने चाटुकारिता में बिना किसी आधार के द साबरमती रिपोर्ट को टैक्स फ्री किया है जो गलत है।

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि फिल्म बना कर या एक फिल्म की पटकथा अपनी सुविधा के अनुसार लिखवा कर इतिहास की सच्चाई नहीं झुठलाई जा सकती है।

साबरमती फिल्म गुजरात के गोधरा कांड को आधार बना कर बनाने का दावा किया जा रहा है। सारा देश जानता है गोधरा में क्या हुआ था? गोधरा के गुनाहगार कौन है और तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने किसको राजधर्म का पाठ पढ़ाया था? खुद ही एसआईटी बनाना, खुद ही क्लोजर रिपोर्ट लगवाकर अपने आपको क्लीनचिट देना, अब फिल्म बना कर खुद को पाक साफ बताने से सच्चाई बदल नहीं जायेगी।

Richa Sahay

ऋचा सहाय — पत्रकारिता और न्याय जगत की एक सशक्त आवाज़, जिनका अनुभव दोनों क्षेत्रों में अद्वितीय है। वर्तमान में The 4th Pillar की वरिष्ठ समाचार संपादक के रूप में कार्यरत ऋचा सहाय दशकों से राजनीति, समाज, खेल, व्यापार और क्राइम जैसी विविध विषयों पर बेबाक, तथ्यपूर्ण और संवेदनशील लेखन के लिए जानी जाती हैं। उनकी लेखनी की सबसे खास बात है – जटिल मुद्दों को सरल, सुबोध भाषा में इस तरह प्रस्तुत करना कि पाठक हर पहलू को सहजता से समझ सकें।पत्रकारिता के साथ-साथ ऋचा सहाय एक प्रतिष्ठित वकील भी हैं। LLB और MA Political Science की डिग्री के साथ, उन्होंने क्राइम मामलों में गहरी न्यायिक समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण स्थापित किया है। उनके अनुभव की गहराई न केवल अदालतों की बहसों में दिखाई देती है, बल्कि पत्रकारिता में उनके दृष्टिकोण को भी प्रभावशाली बनाती है।दोनों क्षेत्रों में वर्षों की तपस्या और सेवा ने ऋचा सहाय को एक ऐसा व्यक्तित्व बना दिया है जो ज्ञान, निडरता और संवेदनशीलता का प्रेरक संगम है।

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