पेट्रोल पम्प के पास दलाल सक्रीय, 10 रूपये किराये पर हेलमेट उपलब्ध करा रहे पेट्रोल भरवाने के लिए : विकास उपाध्याय

हेलमेट कम्पनी को लाभ पहुँचाने के लिए यह नियम लागू किया गया - विकास उपाध्याय



रायपुर । पूर्व विधायक विकास उपाध्याय ने छत्तीसगढ़ प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की नाकाम सरकार पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि सरकार पेट्रोल पम्प संचालकों के कंधे पर बंदूक रख काम चला रही है। उपाध्याय ने बताया कि प्रदेश के आला अधिकारियों पर सरकार अब भरोसा तक नहीं कर पा रही है और एजेंटों के माध्यम से हेलमेट कंपनियों को सीधा लाभ पहुँचाने छत्तीसगढ़ की बीजेपी सरकार ने पेट्रोल पम्प के संचालकों को उपभोक्ताओं के प्रति हेलमेट अनिवार्य की जिम्मेदारी सौंप दी है।

सरकार के इस फैसले से पेट्रोल पम्प के पास लगातार दलाल सक्रीय हो चुके हैं और पेट्रोल भरवाने के लिए उपभोक्ताओं को 10 रूपये किराये पर हेलमेट उपलब्ध करा रहे हैं। उपाध्याय ने बताया कि पुलिस का काम पेट्रोल पम्प संचालक संभाल रहे हैं और इस पुरी प्रक्रिया का सरकारी आदेश अब तक नहीं निकाला गया जो कि सोचनीय है और तो और हेलमेट कम्पनी को लाभ पहुँचाने के लिए ही यह नियम लागू किया गया है, भारतीय जनता पार्टी की ट्रिपल इंजन सरकार को जनता की कोई चिंता नहीं है।

उपाध्याय ने कहा कि अब तक “अनिवार्य सेवा” के नाम पर पेट्रोल की सप्लाई बाधित न हो, इसके लिए बीजेपी की साय सरकार दुगलकी कर रहा है। पेट्रोल पंप संचालकों को कभी हड़ताल की इजाज़त तक नहीं दी गई क्योंकि पेट्रोल सप्लाई को ज़रूरी सेवा माना गया। लेकिन अब बीजेपी की साय सरकार ने पंप संचालकों को मौन सहमति दे दी है कि वे बिना हेलमेट वाले ग्राहकों को पेट्रोल न दें। यानी जो सेवा हर हाल में चलनी चाहिए थी, उसमें भी अब शर्तें जोड़ दी गईं कि बिना हेलमेट के पेट्रोल नहीं। विकास उपाध्याय ने सरकार चला रहे मुख्यमंत्री साय से सवाल किया है कि ट्रैफिक पुलिस का काम अब पेट्रोल पंप अटेंडेंट कब से करने लगे? उपभोक्ता तो पेट्रोल के लिए पैसा दे रहे हैं ना, तो ईंधन उसका अधिकार है। पेट्रोल पंप अनिवार्य सेवा है, न कि ट्रैफिक थाना।

उपाध्याय ने बताया कि छत्तीसगढ़ में इस दुगलकी नियम से लोग एक-दूसरे से हेलमेट उधार लेकर पेट्रोल भरवा रहे हैं। कोई हेलमेट हाथ में पकड़कर आ गया है तो कोई सीट पर रख दिया, और पेट्रोल मिल जा रहा है। बीजेपी की साय सरकार की सड़क सुरक्षा खड्डे में दबती नजर आ रही है और नियम की धज्जीयाँ उड़ रही है। ऐसे में हेलमेट पहनने की आदत बनाना और इस नियम का मूल उद्देश्य हेलमेट पहनने के लिए मजबूर करना सफल होता नहीं दिखता यही कारण है कि कुछ प्रदेशों में इसे अपने यहां नियम बनाने की कोशिश की गई तो उल्टा कोर्ट के माध्यम से उसे चुनौती पर चुनौती देते जा रहे हैं।

उपाध्याय ने कहा कि साय सरकार में दिलचस्प बात यह है कि इस पूरे नियम का कोई लिखित आदेश अभी तक जारी ही नहीं किया गया। फिर भी पेट्रोल पंपों में यह नियम चल रहा है। यानी सरकार की मौन स्वीकृति ही सबसे बड़ा आदेश है। कानूनन ज़िम्मेदारी सरकार की है, लेकिन यह काम पंप संचालक को दे दी गई है। इस बार हेलमेट के अनिवार्यता को पिछले दरवाजे से लागू कर सरकार अपनी जिम्मेदारी से मुँह मोड़ना चाह रही है जो एक तरीके से सुरक्षा की आड़ में मनमानी है। इस बार भाजपा की साय सरकार पूरी तरह बैकफुट पर काम कर रही है और जिम्मेदारी पेट्रोल पंप संचालकों पर डाल दी। उपाध्याय ने बताया कि मोटर व्हीकल एक्ट साफ कहता है कि हेलमेट पहनवाना और नियम लागू करना पुलिस का काम है, न कि पंप संचालकों का। कई अदालतें पहले ही कह चुकी हैं कि पेट्रोल पंप से सेवा रोकना जनता के अधिकारों का हनन है। लेकिन साय सरकार की इस नीति से साफ है कि वह सरकार चलाने में पूर्णतः असमर्थ है।

अगर सरकार को सचमुच सुरक्षा की इतनी चिंता है, तो फिर यह नियम सिर्फ मध्यम वर्गीय बाइक सवारों पर ही क्यों थोप रहे हैं? संपूर्ण व्हीकल पर कड़ाई से नियम क्यों लागू नहीं किया जा रहा है? छत्तीसगढ़ का यह नया नियम सुरक्षा से ज्यादा शोशेबाज़ी और सरकारी पल्ला झाड़ने की कला है। जनता इसे जुगाड़ से तोड़ रही है, पेट्रोल पंप वाले गालियाँ खा रहे हैं और सरकार मौन रहकर जिम्मेदारी से बच रही है। असल सवाल यही है कि क्या सड़क सुरक्षा ऐसे ऊटपटांग प्रयोगों से सुधरेगी या ठोस और ईमानदार व्यवस्था से? उपाध्याय ने कहा कि बिना हेलमेट के पेट्रोल नहीं दिये जाने पर सरकार दुगलकी नीति अपना रही है उन्होंने सरकार से कहा है कि ये फरमान शीघ्र वापस लें अन्यथा मध्यम वर्गीय बाइक सवारों के साथ सड़क पर उतरकर इस प्रकार के नियम के विरूद्ध बड़ा आंदोलन किया जायेगा।

Richa Sahay

ऋचा सहाय — पत्रकारिता और न्याय जगत की एक सशक्त आवाज़, जिनका अनुभव दोनों क्षेत्रों में अद्वितीय है। वर्तमान में The 4th Pillar की वरिष्ठ समाचार संपादक के रूप में कार्यरत ऋचा सहाय दशकों से राजनीति, समाज, खेल, व्यापार और क्राइम जैसी विविध विषयों पर बेबाक, तथ्यपूर्ण और संवेदनशील लेखन के लिए जानी जाती हैं। उनकी लेखनी की सबसे खास बात है – जटिल मुद्दों को सरल, सुबोध भाषा में इस तरह प्रस्तुत करना कि पाठक हर पहलू को सहजता से समझ सकें।पत्रकारिता के साथ-साथ ऋचा सहाय एक प्रतिष्ठित वकील भी हैं। LLB और MA Political Science की डिग्री के साथ, उन्होंने क्राइम मामलों में गहरी न्यायिक समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण स्थापित किया है। उनके अनुभव की गहराई न केवल अदालतों की बहसों में दिखाई देती है, बल्कि पत्रकारिता में उनके दृष्टिकोण को भी प्रभावशाली बनाती है।दोनों क्षेत्रों में वर्षों की तपस्या और सेवा ने ऋचा सहाय को एक ऐसा व्यक्तित्व बना दिया है जो ज्ञान, निडरता और संवेदनशीलता का प्रेरक संगम है।

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