अमित शाह नक्सलवाद पर कर रहे राजनीति,4 साल पहले खुद माने थे भूपेश सरकार के समय नक्सलवाद में आई थी कमी:सुशील आनंद शुक्ला

रायपुर । नक्सलवाद के मामले में देश के गृहमंत्री अमित शाह ने राजनैतिक विद्वेष के कारण गलत बयानी किया है। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री को गलत बयानी शोभा नहीं देती। जब कांग्रेस की सरकार थी तब अपने हर दौरे में वे नक्सल नियंत्रण के मामले में भूपेश सरकार की तारीफ करते थे। आंकड़े बताते है कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार के दौरान नक्सली घटनाओं में कमी आई थी। स्वंय अमित शाह ने छत्तीसगढ़ में आकर 5 अप्रैल 2021 को मीडिया में बयान दिया था कि राज्य की भूपेश सरकार और केन्द्र सरकार ने मिलकर नक्सलवाद को पीछे खदेड़ दिया है। राज्य में नक्सली घटनाओं में 80 प्रतिशत तक की कमी आई है। अमित शाह के सामने आरपीएफ के डीजीपी ने कहा था छत्तीसगढ़ में नक्सलवादी पैकअप की ओर है। आज गृहमंत्री की कांग्रेस सरकार के प्रयासो पर ऊंगली उठा रहे।

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कांग्रेस की सरकार बनने के बाद विश्वास विकास सुरक्षा के मूल मंत्र से नक्सलवादी घटनाओं और नक्सलवाद पर कमी आई थी। कांग्रेस की सरकार के समय दूरस्थ क्षेत्रों में कैंप बनाये गये पहुंच मार्ग बनाये गये। अबूझमाड़ में दो पुल बनाया गया। 300 से अधिक स्कूलों को खोला गया, राशन दुकान, अस्पताल खोला गया, 67 से अधिक वनोपजों की खरीदी की गयी। लोगो का भरोसा सरकार और सुरक्षा बलो के प्रति बढ़ा था। नक्सलवाद पर प्रभावी नियंत्रण हुआ था। 600 से अधिक गांव नक्सल मुक्त हुये थे, नक्सली केवल बीजापुर के कुछ ब्लाक और अबूझमाड़ तक सिमट गये थे।

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि बस्तर में हो रहे फर्जी एन्काउंटर पर अमित शाह क्यों मौन रहे। छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आने के बाद से एक बार फिर आदिवासियों पर अत्याचार का दौर शुरू हो गया है। प्रदेश में नक्सली बताकर स्थानीय आदिवासीयों के फर्जी एनकाउंटर की घटनाएं बढ़ गई है, बस्तर में विगत सवा साल के भाजपा सरकार के दौरान 100 से अधिक स्थानीय आदिवासियों को फर्जी एनकाउंटर में मारा गया। बीजापुर के पीडिया में 10 मई को हुई कथित मुड़भेड़ में मारे गए 12 लोगों में से 10 स्थानीय निर्दोष ग्रामीण थे। जान बचाने पेड़ पर चढ़े आदिवासियों को भी घेर कर गोली मारी गई। मृतकों के परिजनों ने मनरेगा जॉब कार्ड आधार कार्ड और राशन कार्ड भी प्रस्तुत किये। कांकेर, कोयलीबेड़ा में भी ग्रामीणो के मारे जाने की बाते सामने आई थी। न्यायिक जांच की मांग की गई लेकिन सरकार तैयार नहीं हुई।

Richa Sahay

ऋचा सहाय — पत्रकारिता और न्याय जगत की एक सशक्त आवाज़, जिनका अनुभव दोनों क्षेत्रों में अद्वितीय है। वर्तमान में The 4th Pillar की वरिष्ठ समाचार संपादक के रूप में कार्यरत ऋचा सहाय दशकों से राजनीति, समाज, खेल, व्यापार और क्राइम जैसी विविध विषयों पर बेबाक, तथ्यपूर्ण और संवेदनशील लेखन के लिए जानी जाती हैं। उनकी लेखनी की सबसे खास बात है – जटिल मुद्दों को सरल, सुबोध भाषा में इस तरह प्रस्तुत करना कि पाठक हर पहलू को सहजता से समझ सकें।पत्रकारिता के साथ-साथ ऋचा सहाय एक प्रतिष्ठित वकील भी हैं। LLB और MA Political Science की डिग्री के साथ, उन्होंने क्राइम मामलों में गहरी न्यायिक समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण स्थापित किया है। उनके अनुभव की गहराई न केवल अदालतों की बहसों में दिखाई देती है, बल्कि पत्रकारिता में उनके दृष्टिकोण को भी प्रभावशाली बनाती है।दोनों क्षेत्रों में वर्षों की तपस्या और सेवा ने ऋचा सहाय को एक ऐसा व्यक्तित्व बना दिया है जो ज्ञान, निडरता और संवेदनशीलता का प्रेरक संगम है।

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