स्वतंत्रता दिवस 2025: जब 1 रुपये में हफ्तेभर का राशन मिलता था, जानिए 1947 की कीमतें और आज का भारत

स्वतंत्रता दिवस 2025, आजादी का 79वां साल और बीते 78 सालों का सफर।



अगस्त 15, 2025: पूरे देश में आजादी के 79वें पर्व को मनाने की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। इस बार देश अपना 79वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा। आजादी के इस जश्न में पूरा देश देशभक्ति के रंग में रंगा हुआ नजर आएगा।

लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि 1947 में जब हमें आजादी मिली थी, तब हमारे देश की आर्थिक और सामाजिक स्थिति कैसी थी? आइए, जानते हैं कि बीते 78 सालों में देश ने कितनी प्रगति की है और 1947 की तुलना में आज हमारा जीवन कितना बदल गया है।

1947 में ₹1 की कीमत और आज का तुलनात्मक सफर 1947 में ₹1 की कीमत आज के मुकाबले कहीं ज्यादा थी। उस समय ₹1 में आप जो सामान खरीद सकते थे, उसे आज खरीदने के लिए आपको ₹100 से ज्यादा खर्च करने पड़ सकते हैं।

खाद्य पदार्थ: 1947 में  ₹1 में 1-2 किलो गेहूं, आधा किलो देसी घी, और एक हफ्ते के लिए सब्जियां और अनाज खरीदा जा सकता था।

  • चावल: 1947 में 1 किलो चावल की कीमत सिर्फ 12 पैसे थी, जबकि आज इसकी कीमत ₹40 से ₹60 प्रति किलो तक है।
  • आटा: 1947 में 1 किलो आटा 10 पैसे में मिलता था।
  • चीनी: चीनी के दाम 40 पैसे प्रति किलो थे।
  • देसी घी: देसी घी 75 पैसे प्रति किलो में उपलब्ध था।
  • पेट्रोल: आजादी के समय पेट्रोल की कीमत सिर्फ 27 पैसे प्रति लीटर थी, जो आज ₹100 के करीब पहुंच गई है।

परिवहन और सोने के दाम

1947 में साइकिल की कीमत ₹20 थी, जबकि आज एक साधारण साइकिल की कीमत भी ₹5,000 से ₹10,000 तक है। उस समय स्कूटर और कार केवल अमीर वर्ग के लोगों तक ही सीमित थे।

सोना: 1947 में 10 ग्राम सोने की कीमत सिर्फ ₹88.62 थी। आज यह कीमत ₹1,00,000 के पार पहुंच गई है, जो बीते 78 सालों में सोने की कीमतों में हुई भारी वृद्धि को दर्शाता है।

जनसंख्या और विकास का सफर

आजादी के समय, भारत की आबादी लगभग 34 करोड़ थी। 2011 की जनगणना के अनुसार, यह बढ़कर 121 करोड़ हो गई, और 2022 तक अनुमानित आबादी 137.29 करोड़ से अधिक हो गई है।

इन 78 सालों में भारत ने शिक्षा, स्वास्थ्य, विज्ञान और प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति की है। जहां एक ओर देश में साक्षरता दर बढ़ी है, वहीं दूसरी ओर बुनियादी ढांचे का भी तेजी से विकास हुआ है। आज भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है।

स्वतंत्रता दिवस 2025 के इस खास मौके पर, हम न सिर्फ अपनी आजादी का जश्न मना रहे हैं, बल्कि उन सभी चुनौतियों और सफलताओं को भी याद कर रहे हैं, जिन्होंने हमें आज का मजबूत और विकसित भारत बनने में मदद की है।

Richa Sahay

ऋचा सहाय — पत्रकारिता और न्याय जगत की एक सशक्त आवाज़, जिनका अनुभव दोनों क्षेत्रों में अद्वितीय है। वर्तमान में The 4th Pillar की वरिष्ठ समाचार संपादक के रूप में कार्यरत ऋचा सहाय दशकों से राजनीति, समाज, खेल, व्यापार और क्राइम जैसी विविध विषयों पर बेबाक, तथ्यपूर्ण और संवेदनशील लेखन के लिए जानी जाती हैं। उनकी लेखनी की सबसे खास बात है – जटिल मुद्दों को सरल, सुबोध भाषा में इस तरह प्रस्तुत करना कि पाठक हर पहलू को सहजता से समझ सकें।पत्रकारिता के साथ-साथ ऋचा सहाय एक प्रतिष्ठित वकील भी हैं। LLB और MA Political Science की डिग्री के साथ, उन्होंने क्राइम मामलों में गहरी न्यायिक समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण स्थापित किया है। उनके अनुभव की गहराई न केवल अदालतों की बहसों में दिखाई देती है, बल्कि पत्रकारिता में उनके दृष्टिकोण को भी प्रभावशाली बनाती है।दोनों क्षेत्रों में वर्षों की तपस्या और सेवा ने ऋचा सहाय को एक ऐसा व्यक्तित्व बना दिया है जो ज्ञान, निडरता और संवेदनशीलता का प्रेरक संगम है।

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