मतदान के संवैधानिक अधिकार पर हमला: पूर्व महापौर एजाज ढेबर ने मतदाता सूची में गड़बड़ी को लेकर CEC को घेरा

बिना सूचना नाम कटने, पावती न मिलने और पारदर्शी प्रक्रिया के अभाव पर उठाया सवाल; विशेष पुनरीक्षण अभियान की मांग



रायपुर । मतदाता सूची (Electoral Roll) में कथित तौर पर गंभीर त्रुटियों और बड़ी संख्या में नाम काटे जाने के मुद्दे पर आज राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई। पूर्व महापौर एजाज़ ढेबर ने एक प्रतिनिधिमंडल के साथ मुख्य चुनाव आयुक्त को एक विस्तृत ज्ञापन सौंपा, जिसमें उन्होंने इन त्रुटियों को “नागरिकों के संवैधानिक अधिकार पर सीधा हमला” करार दिया।

2003 से मतदान करने वालों के नाम गायब

​ज्ञापन में मुख्य रूप से यह मुद्दा उठाया गया कि ऐसे हजारों नागरिक हैं, जो वर्ष 2003 से लगातार मतदान करते आ रहे हैं, लेकिन उनके नाम बिना किसी सूचना या सत्यापन प्रक्रिया के मतदाता सूची से हटा दिए गए हैं। ढेबर ने इसे “चौंकाने वाली और अस्वीकार्य चूक” बताते हुए तत्काल कार्रवाई की मांग की।

SIR फॉर्म की पावती न मिलना बड़ी समस्या

​पूर्व महापौर ने ऑनलाइन और ऑफलाइन SIR (Special Revision) फॉर्म भरने वाले नागरिकों के सामने आ रही एक बड़ी प्रशासनिक समस्या को भी रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि फॉर्म भरने के बावजूद:

  • ​आवेदकों को कोई पावती या रसीद नहीं मिल रही है।
  • ​आवेदन की स्थिति ट्रैक नहीं हो पा रही है।
  • ​सूची में सही अपडेट होने की कोई पुष्टि उपलब्ध नहीं है।

​ढेबर ने कहा कि बिना पावती के नागरिक यह भी साबित नहीं कर सकते कि उन्होंने संशोधन के लिए आवेदन किया था, जिससे पूरी प्रक्रिया संदिग्ध बन जाती है।

नाम कटने वालों के लिए कोई पोर्टल उपलब्ध नहीं

​ज्ञापन में यह भी प्रमुख रूप से उठाया गया कि जिन मतदाताओं के नाम सूची से कट गए हैं, उनके लिए कोई अलग पोर्टल या स्पष्ट प्रक्रिया उपलब्ध नहीं कराई गई है। इससे व्यापक कन्फ्यूज़न और निराशा पैदा हो रही है।

​ढेबर ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि लोग समझ ही नहीं पा रहे कि अपना नाम वापस सूची में लाने के लिए जाएँ कहाँ? शिकायत दर्ज कैसे करें? यह स्थिति लोकतंत्र के लिए बेहद चिंताजनक है।

ज्ञापन में रखी गईं चार प्रमुख मांगें

​पूर्व महापौर ने मुख्य चुनाव आयुक्त से निम्न चार सूत्रीय मांगों पर तत्काल ध्यान देने का आग्रह किया:

  1. प्रभावित क्षेत्रों में विशेष पुनरीक्षण अभियान चलाया जाए।
  2. SIR फॉर्म के लिए स्वीकृति पावती अनिवार्य की जाए।
  3. ​नाम कटने वालों के लिए अलग पोर्टल/हेल्पडेस्क बनाया जाए।
  4. ​पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी और समयबद्ध किया जाए।

​उन्होंने अंत में कहा कि मतदाता सूची में त्रुटियाँ तकनीकी मामला नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक संकट हैं। हर नागरिक का वोट उसकी आवाज़ है, और उस आवाज़ को खामोश होने नहीं दिया जाएगा।

Richa Sahay

ऋचा सहाय — पत्रकारिता और न्याय जगत की एक सशक्त आवाज़, जिनका अनुभव दोनों क्षेत्रों में अद्वितीय है। वर्तमान में The 4th Pillar की वरिष्ठ समाचार संपादक के रूप में कार्यरत ऋचा सहाय दशकों से राजनीति, समाज, खेल, व्यापार और क्राइम जैसी विविध विषयों पर बेबाक, तथ्यपूर्ण और संवेदनशील लेखन के लिए जानी जाती हैं। उनकी लेखनी की सबसे खास बात है – जटिल मुद्दों को सरल, सुबोध भाषा में इस तरह प्रस्तुत करना कि पाठक हर पहलू को सहजता से समझ सकें।पत्रकारिता के साथ-साथ ऋचा सहाय एक प्रतिष्ठित वकील भी हैं। LLB और MA Political Science की डिग्री के साथ, उन्होंने क्राइम मामलों में गहरी न्यायिक समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण स्थापित किया है। उनके अनुभव की गहराई न केवल अदालतों की बहसों में दिखाई देती है, बल्कि पत्रकारिता में उनके दृष्टिकोण को भी प्रभावशाली बनाती है।दोनों क्षेत्रों में वर्षों की तपस्या और सेवा ने ऋचा सहाय को एक ऐसा व्यक्तित्व बना दिया है जो ज्ञान, निडरता और संवेदनशीलता का प्रेरक संगम है।

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