बड़ी खबर: राज्य महिला आयोग का ऐतिहासिक फैसला, सालेम स्कूल की 6 टीचर्स को 7 दिन में बहाल करने का आदेश

आयोग की सुनवाई में अनुपस्थित रहने पर प्रबंधन समिति पर नाराजगी; रजिस्ट्रार फर्म एण्ड सोसायटी को भेजा गया पत्र



रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों की सुनवाई करते हुए एक बड़ा और सख्त फैसला सुनाया है। सालेम इंग्लिश मीडियम स्कूल की छह निलंबित शिक्षिकाओं के मामले में आयोग ने रजिस्ट्रार फर्म एण्ड सोसायटी को एक सप्ताह के भीतर पुरानी कार्यकारिणी को बहाल करने और निलंबित टीचर्स को तत्काल कार्य पर बहाल करने का आदेश दिया है।

आज, मंगलवार को आयोग कार्यालय में प्रदेश स्तर पर 347वीं एवं रायपुर जिले में 166वीं जनसुनवाई के दौरान यह महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए गए।

सालेम स्कूल प्रबंधन की मनमानी पर आयोग सख्त

​सुनवाई के दौरान सालेम इंग्लिश मीडियम स्कूल की शिक्षिकाओं ने शिकायत की कि प्रभारी प्राचार्य अनावेदिका द्वारा उन्हें वेतन न देने, भविष्य निधि जमा न करने और बार-बार नोटिस जारी कर प्रताड़ित किया जा रहा है। 20-30 वर्षों से शिक्षण कार्य कर रही आवेदिका शिक्षिकाओं ने बताया कि आयोग की सुनवाई के बीच ही प्रबंधन ने जानबूझकर छह शिक्षिकाओं को निलंबित कर दिया।

​सबसे गंभीर बात यह रही कि प्रबंध समिति के सदस्य सुषमा, नितिन लॉरेंस, जयदीप रॉबिन्सन, प्रवीण दयाल मसीह और इंचार्ज प्रिंसिपल रूपिका लॉरेंस स्पष्ट दिशा-निर्देश के बावजूद सुनवाई में अनुपस्थित रहे। आयोग ने इसे आयोग के आदेश की अवहेलना माना, जिससे शिक्षिकाओं का भविष्य अंधकारमय हो रहा था।

रजिस्ट्रार फर्म एण्ड सोसायटी को तत्काल कार्रवाई के निर्देश

​आयोग के संज्ञान में आया कि रजिस्ट्रार फर्म एण्ड सोसायटी द्वारा पहले ही छत्तीसगढ़ डायोसिस बोर्ड ऑफ एजुकेशन की वर्तमान कार्यकारिणी को निरस्त किया जा चुका है और निलंबित कर्मचारियों के लिए नवीन कार्यकारिणी गठित होने तक स्थगन आदेश भी जारी किया गया था। इस स्थिति को स्पष्ट मानते हुए, डॉ. किरणमयी नायक ने रजिस्ट्रार फर्म एण्ड सोसायटी को पत्र प्रेषित कर 1 सप्ताह के भीतर पुरानी कार्यकारिणी को चार्ज दिलाने और निलंबित शिक्षिकाओं को यथावत कार्य करने हेतु निर्देश दिए।

​इसके अतिरिक्त, रजिस्ट्रार फर्म एण्ड सोसायटी के जिम्मेदार अधिकारी को तत्काल औचक निरीक्षण के लिए सालेम इंग्लिश मीडियम स्कूल जाने हेतु आदेशित किया जाएगा, जिससे वर्तमान कार्यकारिणी की नियम विरुद्ध गतिविधियों पर तत्काल रोक लग सके और शैक्षणिक सत्र प्रभावित न हो।

अन्य महत्वपूर्ण मामलों का भी हुआ निपटारा

​जनसुनवाई के दौरान अन्य कई पारिवारिक और संपत्ति विवादों का भी निपटारा किया गया:

  • चौथी पत्नी का मामला: एक अन्य प्रकरण में, अनावेदक (पति) से पता चला कि आवेदिका उसकी चौथी पत्नी है, और उनका विवाह शून्य माना जाता है। आयोग की समझाइश पर, 14 वर्षीय पुत्र के भरण-पोषण के लिए अनावेदक प्रति माह 5 हजार रुपये देने पर सहमत हुआ। पुत्र को पिता से मिलने की अनुमति दी गई और दोनों पक्षों को एक-दूसरे को परेशान न करने की समझाइश देकर प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया।
  • संपत्ति विवाद: एक ननद (अनावेदिका) द्वारा पैतृक संपत्ति पर कब्जा करने के मामले में, आयोग ने काउंसलर द्वारा मकान का निरीक्षण कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद निराकरण करने का निर्देश दिया।
  • दहेज और प्रताड़ना: तीन बेटियों के पति (अनावेदक) द्वारा दूसरी महिला के साथ रहने और भरण-पोषण की जिम्मेदारी न उठाने के मामले में, आयोग ने राजेंद्र नगर थाना प्रभारी से चर्चा कर पति और दूसरी महिला के खिलाफ जांच के आदेश दिए। थाना की रिपोर्ट के बाद प्रकरण को पुनः सुना जाएगा।
  • भरण-पोषण और प्रताड़ना: एक अन्य मामले में, डेढ़ साल की बच्ची को मायके में छोड़कर भरण-पोषण न देने की शिकायत पर, आयोग की समझाइश पर अनावेदकगण आवेदिका व बच्ची को साथ ले जाने के लिए तैयार हुए। आयोग नियमित काउंसलिंग करेगा और साथ न रखने पर आवेदिका को थाना में रिपोर्ट दर्ज कराने का अधिकार होगा। इस निर्देश के साथ प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया।

Richa Sahay

ऋचा सहाय — पत्रकारिता और न्याय जगत की एक सशक्त आवाज़, जिनका अनुभव दोनों क्षेत्रों में अद्वितीय है। वर्तमान में The 4th Pillar की वरिष्ठ समाचार संपादक के रूप में कार्यरत ऋचा सहाय दशकों से राजनीति, समाज, खेल, व्यापार और क्राइम जैसी विविध विषयों पर बेबाक, तथ्यपूर्ण और संवेदनशील लेखन के लिए जानी जाती हैं। उनकी लेखनी की सबसे खास बात है – जटिल मुद्दों को सरल, सुबोध भाषा में इस तरह प्रस्तुत करना कि पाठक हर पहलू को सहजता से समझ सकें।पत्रकारिता के साथ-साथ ऋचा सहाय एक प्रतिष्ठित वकील भी हैं। LLB और MA Political Science की डिग्री के साथ, उन्होंने क्राइम मामलों में गहरी न्यायिक समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण स्थापित किया है। उनके अनुभव की गहराई न केवल अदालतों की बहसों में दिखाई देती है, बल्कि पत्रकारिता में उनके दृष्टिकोण को भी प्रभावशाली बनाती है।दोनों क्षेत्रों में वर्षों की तपस्या और सेवा ने ऋचा सहाय को एक ऐसा व्यक्तित्व बना दिया है जो ज्ञान, निडरता और संवेदनशीलता का प्रेरक संगम है।

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