इतिहासकार विक्रम संपत की किताब ‘टीपू सुल्तान: द सागा ऑफ द मैसूर इंटररेग्नम’ का शनिवार ,30 नवंबर, 2024 को दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर में विमोचन हुआ. इस दौरान विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने टीपू सुल्तान को इतिहास की एक जटिल शख्सियत बताया. जयशंकर ने कहा कि इसे जीवनी कहना बहुत बड़ी भूल होगी, क्योंकि यह इससे कहीं बढ़कर है.
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा, “अगर आपके पास इस पुस्तक का अमेरिकी संस्करण हो तो मैं ‘टीपू सुल्तान के बारे में वह सब कुछ, जो आप जानना चाहते थे, लेकिन पूछने से डरते थे’ रखने का सुझाव दूंगा.” उन्होंने कहा, “टीपू सुल्तान को एक प्रमुख व्यक्ति के रूप में जाना जाता है, जिन्होंने भारत पर ब्रिटिश औपनिवेशिक नियंत्रण लागू करने का विरोध किया और ये एक तथ्य है कि उनकी हार और मृत्यु को भारत के भाग्य के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ माना जा सकता है.”
विदेश मंत्री जयशंकर ने मैसूर क्षेत्र में टीपू सुल्तान के शासन के प्रतिकूल प्रभावों का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा, “वे आज भी कई क्षेत्रों में, खास तौर से मैसूर में ही तीव्र प्रतिकूल भावनाओं को जगाते हैं.” वह बोले, “भारतीय इतिहास ने टीपू सुल्तान की अंग्रेजों के साथ लड़ाई पर अधिक ध्यान केंद्रित किया है और उनके शासन के अन्य पहलुओं को कम करके आंका है.
विदेश मंत्री बोले, “ईमानदारी से कहें तो यह कोई दुर्घटना नहीं थी.” इतिहास को जटिल बताते हुए जयशंकर ने कहा कि टीपू सुल्तान के मामले में तथ्यों को चुनने से पॉलिटिकल नौरेटिव को बढ़ावा मिला है. सभी समाजों में इतिहास जटिल है. टीपू सुल्तान के मामले में ऐसा हुआ है. ज्यादा जटिल वास्तविकता को छोड़कर टीपू-अंग्रेजी बाइनरी को उजागर करके सालों से एक पर्टिकुलर नैरेटिव को आगे बढ़ाया गया है.”
जयशंकर ने पुष्टि करते हुए कहा कि पीएम मोदी की सरकार के तहत भारत ने वैकल्पिक दृष्टिकोणों का उदय देखा है. वह बोले, “पिछले 10 सालों में हमारे राजनीतिक शासन में हुए बदलावों ने वैकल्पिक दृष्टिकोणों को जन्म दिया है. हम अब वोट बैंक के कैदी नहीं हैं.” पुस्तक के बारे में आगे बोलते हुए, जयशंकर ने कहा, “राजनयिक दुनिया से होने के नाते, मैं टीपू सुल्तान पर इस पुस्तक में दी गई जानकारी और अंतर्दृष्टि से वास्तव में प्रभावित हुआ.”
विक्रम संपत ने शुक्रवार बीते महीने अक्टूबर को कहा था कि एक समूह की ओर से मैसूर के शासक टीपू सुल्तान के जीवन और पहचान को नायक के रूप में अपनाया जा रहा है, जबकि दूसरा गुट इसे वोट बैंक की राजनीति के टूल के रूप में इस्तेमाल कर रहा है. इसके साथ ही उन्होंने औरंगजेब की मजारों पर जाने वालों की आलोचना की. उन्होंने कहा था, “ऐसे लोग हैं जो औरंगजेब की मजारों पर जाते हैं और प्रार्थना करते हैं. वह एक तरह का राक्षस था, जिसने कई मंदिरों को नष्ट कर दिया, सिख गुरुओं सहित कई लोगों को मार डाला.”