सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, जामग्रस्त हाईवे पर टोल वसूली गैरकानूनी
देशभर के यात्रियों को बड़ी राहत, सुप्रीम कोर्ट ने कहा, गड्ढों और जाम से भरी सड़कों पर टोल वसूलना अनुचित है। नागरिकों के अधिकारों को प्राथमिकता देते हुए कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा और एनएचएआई की अपील खारिज कर दी।


20 अगस्त 2025 : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक ऐतिहासिक और जनहितकारी फैसला सुनाया, जिसमें कहा गया है कि अधूरे, गड्ढों से भरे या यातायात जाम से प्रभावित राष्ट्रीय राजमार्गों पर यात्रियों से टोल टैक्स वसूलना अनुचित और गैरकानूनी है। यह फैसला न केवल केरल के त्रिशूर जिले के पलियेक्कारा टोल प्लाजा से जुड़ा है, बल्कि पूरे देश में टोल वसूली की नैतिकता और वैधानिकता पर सवाल उठाता है।
मुख्य न्यायाधीश भूषण आर. गवई की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ जिसमें न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति एन.वी. अंजारिया शामिल थे, ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) और रियायतग्राही की अपीलों को खारिज करते हुए केरल उच्च न्यायालय के 6 अगस्त के आदेश को बरकरार रखा।
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने
कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा, “नागरिकों को उन सड़कों पर चलने की आज़ादी होनी चाहिए जिनके लिए उन्होंने पहले ही टैक्स चुका दिया है। उन्हें नालियों और गड्ढों से गुजरने के लिए दोबारा भुगतान नहीं करना चाहिए।” अदालत ने यह भी कहा कि टोल वसूली की वैधानिकता तभी है जब सड़कें सुरक्षित, सुगम और निर्बाध हों।
NHAI की ओर से यह तर्क दिया गया कि यातायात जाम केवल कुछ “ब्लैक स्पॉट्स” तक सीमित है, जहां निर्माण कार्य चल रहा है। लेकिन अदालत ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि 65 किलोमीटर के खंड में यदि 5 किलोमीटर भी बाधित हो, तो उसका व्यापक असर पूरे मार्ग पर पड़ता है। उदाहरण के तौर पर, एडापल्ली-मन्नुथी खंड पिछले सप्ताहांत 12 घंटे तक ठप रहा।
“12 घंटे की यात्रा के लिए कोई ₹150 क्यों दे”
कोर्ट ने यह सवाल उठाते हुए कहा कि जब एक ही सड़क को पार करने में 12 घंटे लगते हैं, तो यात्री से ₹150 का टोल वसूलना अनुचित है। NHAI की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और रियायतग्राही की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने तर्क दिया कि टोल राजस्व सड़क रखरखाव के लिए आवश्यक है और निलंबन से प्रतिदिन ₹49 लाख का नुकसान होगा। लेकिन अदालत ने नागरिकों के कल्याण को आर्थिक नुकसान से ऊपर रखा।
ठेकेदार की जवाबदेही तय होगी
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि ब्लैक स्पॉट निर्माण के लिए जिम्मेदार ठेकेदार मेसर्स पीएसटी इंजीनियरिंग एंड कंस्ट्रक्शन्स को जवाबदेह ठहराया जाए। साथ ही केरल हाईकोर्ट को निगरानी जारी रखने को कहा गया है।
टोल निलंबन कब तक
फिलहाल टोल वसूली चार सप्ताह तक या यातायात सामान्य होने तक निलंबित रहेगी। स्थिति सुधारने के बाद NHAI पुनः टोल वसूली का अनुरोध कर सकता है।
यह फैसला देशभर के यात्रियों के लिए एक मिसाल बन सकता है, जो अक्सर खराब सड़कों पर भारी टोल चुकाने को मजबूर होते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि नागरिकों के अधिकार और सुविधा किसी भी वित्तीय तर्क से ऊपर हैं।