राम वन गमन पथ रथयात्रा का रायपुर में हुआ भव्य स्वागत

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रायपुर । छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार के दो साल पूरा होने के मौके पर राम वन गमन पथ रथयात्रा निकाली गई। कोरिया जिले से सुकमा तक 2000 किलोमीटर से ज्यादा लंबे इस मार्ग को प्रदेश सरकार 137 करोड़ रुपए की लागत से विकसित कर रही है. प्रोजेक्ट की शुरुआत के तहत बीते दिनों राम वन गमन पथ रथयात्रा की शुरुआत हुई. इस रथयात्रा का रास्ते में जगह-जगह स्वागत किया जा रहा है, लेकिन कई स्थानों पर लोग अपनी मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन भी कर रहे हैं. आज सुबह यह रथयात्रा रायपुर जिले (Raipur) में प्रवेश कर गई, जहां बड़ी संख्या में जुटे लोगों ने इसका स्वागत किया ।

वहीं बुधवार को कांकेर जिले में आदिवासी समाज ने इस रथयात्रा को लगभग 5 घंटों तक रोके रखा ।

राम वन गमन पथ रथयात्रा का रायपुर जिले में भव्य स्वागत किया गया. बड़ी तादाद में जुटे स्थानीय लोगों ने रथ पर भगवान श्रीराम, सीता और लक्ष्मण पर फूल चढ़ाकर उत्साह दिखाया. बताया गया कि आज लगभग 12 बजे यह रथयात्रा जिले के चंदखुरी पहुंचेगी, जहां इसका समापन होगा. आपको बता दें कि प्रदेश सरकार भगवान राम से जुड़े प्रदेश के 75 स्थलों को इस प्रोजेक्ट के तहत विकसित करा रही है. सरकार की ओर से इस प्रोजेक्ट की शुरुआत करते हुए कहा गया था कि छत्तीसगढ़ भगवान श्रीराम का ननिहाल और उनकी मां कौशल्या का जन्मस्थान था. साथ ही राम, सीता और लक्ष्मण ने वनवास के दिन छत्तीसगढ़ के दंडकारण्य में बिताए थे. इसके मद्देनजर ही राम वन गमन पथ प्रोजेक्ट की शुरुआत की जा रही है. इससे प्रदेश में पर्यटन व्यवसाय को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है ।

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कांकेर में आदिवासियों ने रोका रथ

इससे पहले बीते बुधवार को कांकेर जिले में इस रथयात्रा के प्रवेश करने के बाद स्थानीय आदिवासी समाज के लोगों ने नेशनल हाईवे 30 के पास रथ को रोक दिया. एनएच-30 पर कुलगांव के पास लोगों ने अपनी मांगों को लेकर रथयात्रा का मार्ग बाधित किया. स्थानीय आदिवासी प्रशासन और सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे. प्रशासनिक अधिकारियों के काफी मान-मनौव्वल के बाद लोगों ने जाम हटाया और रथयात्रा आगे बढ़ी।बस्तर संभाग से नहीं ले जाने दी मिट्टी ।

कुलगांव में रथयात्रा को रोकने वाले आदिवासी समाज के लोगों का कहना था कि बस्तर संभाग के किसी गांव में रथयात्रा को घुसने नहीं दिया जाएगा. वहीं, प्रदर्शनकारियों ने भगवान राम से जुड़े किसी भी स्थल की मिट्टी भी ले जाने का विरोध किया । गांव वालों ने इसको लेकर जांच भी की कि कहीं रथ में किसी गांव की मिट्टी लाई तो नहीं गई है । बहरहाल, प्रशासन के घंटों तक समझाने के बाद आखिरकार आदिवासी समाज के लोग माने और रथयात्रा आगे बढ़ सकी. पूरे मामले पर कांकेर के डीएम चंदन कुमार ने कहा कि किसी की धार्मिक आस्था से खिलवाड़ नहीं किया जाएगा. योजना से पर्यटन के क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा. साथ ही बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार भी मिलेगा ।

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Richa Sahay

The 4th Pillar, Contact - 9893388898, 6264744472