रिपोर्ट के अनुसार, इजरायल के हवाई हमले का लक्ष्य तेहरान से 20 मील दक्षिण-पूर्व में स्थित तालेघन सैन्य परिसर था.यह न्यूक्लियर फैसिलिटी पहले ईरान के अमद परमाणु हथियार कार्यक्रम का हिस्सा रही थी, जिसे 2003 में रोक दिया गया था. लेकिन इजरायली अधिकारियों ने लंबे समय से इसे सक्रिय होने का संदेह जताया है. हाई-रिज़ॉल्यूशन सैटेलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि तालेघन परिसर की दो इमारतें पूरी तरह से नष्ट हो गईं.
इजरायली हमले में प्लास्टिक विस्फोटकों को डिजाइन करने वाले मशीन बर्बाद नष्ट हुए. ये परमाणु हथियारों में यूरेनियम के घेराव और विस्फोट के लिए महत्वपूर्ण होते हैं. इजरायल का यह कदम ईरान के 2023 से चल रहे परमाणु हथियार अनुसंधान के प्रयासों को बड़ा झटका देने वाला साबित हुआ है. अमेरिकी और इजरायली अधिकारियों ने दावा किया कि यह हमला ईरान की गुप्त सैन्य रिसर्च पर केंद्रित था, जिसे नागरिक उपयोग के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता था.
तालेघन सैन्य परिसर, जो पहले ईरान के सैन्य परमाणु कार्यक्रम का हिस्सा था, हाल के वर्षों में इजरायल की खुफिया निगरानी के तहत था.इजरायल और पश्चिमी देशों का दावा है कि ईरान इस फैसिलिटी का उपयोग परमाणु हथियारों के विकास के लिए कर रहा था, जबकि ईरान इसे नागरिक उपयोग के लिए प्रस्तुत करता रहा है.
ईरानी सरकार ने इस हमले से किसी बड़े नुकसान की बात नकार दी थी. संयुक्त राष्ट्र में ईरानी मिशन ने भी इस पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है. इजरायल लंबे समय से ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोकने के लिए सक्रिय रहा है. इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि ईरान परमाणु हथियार विकसित न कर सके. इजरायल के अनुसार, ईरान का परमाणु कार्यक्रम न केवल क्षेत्रीय बल्कि वैश्विक सुरक्षा के लिए भी खतरा है.