होलिका दहन: जाने शुभ मुहूर्त, होलिका दहन में भद्रा का रखें विशेष ख्याल

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होलिका दहन में भद्रा का विशेष ख्याल रखा जाता है।भद्रा काल के दौरान होलिका दहन नहीं किया जाता। इस साल 28 मार्च को दोपहर 1.33 बजे तक भद्रा है। इसलिए शाम को होलिका दहन करने में कोई रूकावट नहीं आएगी। शाम 6.37 से रात्रि 8.56 बजे तक शुभ मुहूर्त में दहन किया जा सकता है।

ज्योतिषाचार्य डॉ.दत्तात्रेय होस्केरे के अनुसार होलिका दहन पूर्णिमा तिथि पर भद्रा रहित शुभ मुहूर्त में करना श्रेष्ठ माना जाता है। रविवार को दोपहर तक भद्रा है, इसके बाद रात्रि में लगभग दो घंटे 20 मिनट तक शुभ मुहूर्त है। पूर्णिमा तिथि पर ही होलिका दहन करना चाहिए।

चूूंकि इस बार रात 12.40 बजे तक पूर्णिमा तिथि है। इसलिए आधी रात से पहले दहन कर लेना चाहिए। इसके बाद 12:40 बजे के बाद प्रतिपदा तिथि शुरू हो जाएगी। होली के दिन लगभग 500 साल बाद सर्वार्थसिद्धि योग समेत ब्रह्मा, सूर्य, अर्यमा की युति का संयोग शुभदायी है।

सबसे पहले महामाया मंदिर में होलिका दहन

महामाया मंदिर के पुजारी पं. मनोज शुक्ला के अनुसार ऐतिहासिक महामाया देवी मंदिर में सबसे पहले होलिका दहन करने की परंपरा सालों से निभाई जा रही है। इसके बाद मंदिर में प्रज्वलित होलिका स्थल से अग्नि ले जाकर आसपास के इलाकों अमीनपारा, लोहार चौक, बूढ़ापारा, कंकाली पारा, महामाई पारा, बनियापारा आदि इलाकों में होलिका दहन किया जाता है।

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त

  • पूर्णिमा तिथि-रविवार 28 मार्च को सुबह 3.27 से प्रारंभ
  • पूर्णिमा तिथि समाप्त- रात 12.40 तक
  • दहन का मुहूर्त शाम 6. 37 मिनट से रात 8. 56 मिनट तक

पूजन विधि

  • – होलिका दहन स्थल पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठें
  • – गाय के गोबर से होलिका और प्रहलाद की प्रतिमा बनाए।
  • – पूजन थाल में रोली, अक्षत, फूल, कच्चा सूत, हल्दी, मूंग, मीठे बताशे, गुलाल, रंग रखें।
  • – सात प्रकार के अनाज, गेंहू की बालियां, व्यंजन, कच्चा सूत, एक लोटा जल लें।
  • – भगवान नृसिंह, होलिका और प्रहलाद की पूजा करें।
  • – पूजन के बाद होलिका स्थल की परिक्रमा करें।
  • – अग्नि में जौ, गेहूं की बाली, चना, मूंग, चावल, नारियल, गन्ना, बताशे की आहुति दें।
Richa Sahay

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