कनाडा ने शुक्रवार यानी 8 नवंबर 2024 से अपने स्टूडेंट डायरेक्ट स्ट्रीम (एसडीएस) सिस्टम को अचानक बंद कर दिया है. कनाडा के इस कदम के बाद फास्ट-ट्रैक स्टडी परमिट वीजा भी खत्म हो गया है. इस सिस्टम के तहत इंटरनेशनल छात्रों को जल्दी से वीजा हासिल करने में मदद मिली थी. हालांकि इस प्रक्रिया के तहत कुछ शर्तें अनिवार्य थीं लेकिन छात्रों को इससे कुछ ही हफ्तों के अंदर वीजा परमिट हो जाता था. कनाडा सरकार ने अपनी वेबसाइट पर कहा कि इस पहल को ‘कार्यक्रम की अखंडता को मजबूत करने, छात्र भेद्यता को संबोधित करने और सभी छात्रों को आवेदन प्रक्रिया तक समान और निष्पक्ष पहुंच प्रदान करने’ के लिए बंद किया जा रहा है.
2018 में लॉन्च किए गए इमिग्रेशन, रिफ्यूजीज एंड सिटिजनशिप कनाडा (आईआरसीसी) द्वारा एसडीएस का मकसद ब्राजील, चीन, कोलंबिया, कोस्टा रिका, भारत, मोरक्को, पाकिस्तान, पेरू, फिलीपींस समेत 14 देशों के छात्रों के लिए वीजा आवेदन प्रक्रिया को आसान बनाना था. हालांकि कुछ आवश्यकताओं को पूरा जरूरी होता था. जैसे $20,635 CAD मूल्य का कनाडाई गारंटीकृत निवेश प्रमाणपत्र (GIC) और अंग्रेजी या फ्रेंच भाषा के टेस्ट स्कोर शामिल थे. इस प्रक्रिया से कुछ ही हफ्तों में स्टडी वीजा मिल जाया करती थी.
इस योजना के तहत 8 नवंबर को दोपहर 2 बजे मिले आवेदनों को आगे बढ़ाया जाएगा. जबकि इसके बाद आने वाले सभी आवेदनों पर नियमित तौर पर परमिट स्ट्रीम के तहत कार्रवाई की जाएगी. इस कार्यक्रम के बंद होने से भारत और 13 अन्य देशों के छात्रों को अधिक लंबी वीजा प्रक्रियाओं से गुजरना होगा.
ना सिर्फ भारतीय छात्र बल्कि कई अन्य देश के छात्रों के लिए कनाडा एक अच्छी जगह मानी जाती है. ऐसे में वहां बड़ी तादाद में भारतीय छात्र भी जाते हैं. अगस्त महीने जारी किए गए भारतीय सरकार के आंकड़ों के मुताबिक लगभग 13.35 लाख भारतीय छात्र विदेश में पढ़ रहे हैं. जिनमें से लगभग 4.27 लाख कनाडा में हैं. इस रिपोर्ट में बताया गया कि 2013 से 2022 के बीच कनाडा में पढ़ाई करने के लिए जाने वाले भारतीय छात्रों की तादाद में 260 फीसद का इजाफा देखा गया.
कनाडा कई वर्षों में पहली बार देश में आने वाले अप्रवासियों की संख्या में भारी कमी करने की कोशिश कर रहा है. सत्ता बने रहने की कोशिशों में लगी ट्रूडो सरकार के इस कदम को नाटकीय नीतिगत बदलाव बताया जा रहा है. कनाडा वो देश था जो जो लंबे समय से नए लोगों का स्वागत करने पर गर्व करता रहा है लेकिन अब यही देश प्रवासियों के प्रति बयानबाजी कर रहा है, जिससे आवास संकट पैदा हो रहा है. यह मुद्दा कनाडा की राजनीति में सबसे विवादास्पद मुद्दों में से एक बन गया है, क्योंकि अक्टूबर 2025 से पहले कनाडा में चुनाव होने वाले हैं. सर्वेक्षणों से पता चलता है कि आबादी का बढ़ता हिस्सा सोचता है कि कनाडा में बहुत अधिक अप्रवासी हैं.