वंशवाद की राजनीति का बोलबाला: 5 में से 1 सांसद-विधायक राजनीतिक परिवार से, ADR रिपोर्ट का खुलासा


मुख्य बिंदु:
- देश भर में: 21% मौजूदा विधायक, सांसद और विधान परिषद सदस्य वंशवादी पृष्ठभूमि से।
- लोकसभा: सबसे अधिक 31% प्रतिनिधित्व वंशवादी नेताओं का।
- राज्यों में: उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक 141 (23%) वंशवादी प्रतिनिधि; आंध्र प्रदेश में आनुपातिक रूप से सबसे ज्यादा 34%।
- पार्टियों में: कांग्रेस में 32% और भाजपा में 18% वंशवादी प्रतिनिधि।
- लिंगभेद: पुरुषों की तुलना में महिला प्रतिनिधियों में वंशवाद का प्रतिशत दोगुना से अधिक (पुरुष 18%, महिला 47%)।
राज्यों में वंशवाद की स्थिति
एडीआर की रिपोर्ट ने राज्यों के भीतर वंशवाद की राजनीति के विभिन्न स्तरों को दर्शाया है।
संख्या के आधार पर शीर्ष राज्य:
- उत्तर प्रदेश: 604 में से 141 (23%) प्रतिनिधि वंशवादी हैं, जो संख्या के मामले में सबसे अधिक है।
- महाराष्ट्र: 403 में से 129 (32%) प्रतिनिधि वंशवादी हैं।
- बिहार: 360 में से 96 (27%) प्रतिनिधि राजनीतिक परिवारों से आते हैं।
- कर्नाटक: 326 में से 94 (29%) प्रतिनिधि वंशवाद के दायरे में आते हैं।
आनुपातिक आधार पर शीर्ष राज्य:
- आंध्र प्रदेश: 255 में से 86 (34%) प्रतिनिधियों के साथ यह राज्य आनुपातिक रूप से सबसे आगे है।
- महाराष्ट्र: 32% के साथ दूसरे स्थान पर है।
- कर्नाटक: 29% के साथ तीसरे स्थान पर है।
ये आंकड़े दर्शाते हैं कि वंशवाद की राजनीति विशेषकर बड़े और राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण राज्यों में व्यापक रूप से प्रचलित है।
राजनीतिक दलों और लोकसभा में प्रतिनिधित्व
रिपोर्ट में विभिन्न राजनीतिक दलों और लोकसभा में वंशवाद के प्रतिनिधित्व पर भी प्रकाश डाला गया है।
- लोकसभा में: लोकसभा में वंशवादी प्रतिनिधियों का प्रतिशत सबसे अधिक 31% है, जबकि राज्य विधानसभाओं में यह 20% तक है। यह दर्शाता है कि राष्ट्रीय स्तर पर वंशवाद का प्रभाव अधिक है।
- प्रमुख राजनीतिक दल:
- कांग्रेस: सभी राष्ट्रीय दलों में सबसे अधिक 32% मौजूदा प्रतिनिधि वंशवादी पृष्ठभूमि के हैं।
- भारतीय जनता पार्टी (भाजपा): इस सूची में भाजपा भी 18% वंशवादी प्रतिनिधियों के साथ शामिल है।
- वामपंथी दल: वामपंथी दलों, जैसे सीपीआई और आम आदमी पार्टी (आप), में वंशवाद सबसे कम पाया गया है। सीपीआई में केवल 8% प्रतिनिधि राजनीतिक परिवारों से हैं।
लैंगिक असमानता और वंशवाद
एक और महत्वपूर्ण तथ्य जो रिपोर्ट में सामने आया है, वह है वंशवादी राजनीति में लैंगिक असमानता।
- महिला प्रतिनिधि: 539 महिला प्रतिनिधियों में से 251 (47%) वंशवादी पृष्ठभूमि से हैं।
- पुरुष प्रतिनिधि: 4,665 पुरुष प्रतिनिधियों में से 856 (18%) वंशवादी हैं।
इसका मतलब है कि भारत में पुरुषों की तुलना में महिला प्रतिनिधियों में वंशवाद का प्रतिनिधित्व दोगुने से भी अधिक है। यह इस बात की ओर भी इशारा करता है कि राजनीतिक परिवारों से आने वाली महिलाओं के लिए राजनीति में प्रवेश करना अपेक्षाकृत आसान हो सकता है।
एडीआर की यह रिपोर्ट भारतीय लोकतंत्र में वंशवाद की निरंतर उपस्थिति पर गंभीर सवाल उठाती है। यह रिपोर्ट बताती है कि भले ही भारत ने लोकतंत्र को अपनाया हो, लेकिन राजनीतिक शक्ति का हस्तांतरण अक्सर पारिवारिक लाइनों पर ही होता है, जो योग्यता और आम जनता के प्रतिनिधित्व के सिद्धांतों के खिलाफ है।