बांग्लादेश में हिंदू नेता चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बीच इस्कॉन (ISKCON) पर प्रतिबंध लगाने की मांग करते हुए बुधवार को बांग्लादेश हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई. याचिका में चटगांव और रंगपुर में आपातकाल लागू करने की भी मांग की गई है, ताकि आगे की अशांति को रोका जा सके, क्योंकि दोनों शहरों में विरोध प्रदर्शन जारी है. द डेली स्टार की रिपोर्ट के अनुसार, उच्च न्यायालय ने जानना चाहा कि इस्कॉन की हालिया गतिविधियों के संबंध में बांग्लादेश सरकार ने क्या कदम उठाए हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश हाईकोर्ट ने अटॉर्नी जनरल मोहम्मद असदुज्जमां से गुरुवार को सरकार की ओर से उठाए गए स्टेप्स के बारे में न्यायालय को सूचित करने को कहा. हाईकोर्ट ने सरकार से स्थिति से निपटने के लिए तत्काल उपाय करने को कहा है, जिसने देश में धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं. दरअसल, यह स्थिति 25 नवंबर को ढाका हवाई अड्डे पर प्रमुख हिंदू साधु चिन्मय कृष्ण दास प्रभु की गिरफ़्तारी के बाद से बनी है. धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों और सुरक्षा की वकालत करने वाले साधु पर देशद्रोह का आरोप लगाया गया है और उन्हें ज़मानत देने से इनकार कर दिया गया है.
चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ़्तारी के बाद से पूरे बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन जारी है. हिंदू समुदाय ने उनकी तत्काल रिहाई की मांग की है. वहीं, चटगांव अदालत के बाहर हुए हिंसक प्रदर्शन में भीड़ के हाथों एक वकील की मौत हो गई. इस झड़प में 20 से अधिक लोग घायल हो गए. बता दें कि चिन्मय कृष्ण दास प्रभु ने हाल के महीनों में कई विरोध प्रदर्शन आयोजित किए थे,जिसमें बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ़ हो रहे अत्याचारों पर जोर दिया गया था और समुदाय के लिए अधिक सुरक्षा की मांग की गई थी. उनकी गिरफ़्तारी ने धार्मिक अल्पसंख्यकों के बीच और डर को बढ़ा दिया है.
घटनाओं पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, इस्कॉन ने गिरफ़्तारी की निंदा की और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया. “बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों को बचाने के लिए संयुक्त राष्ट्र को कदम उठाना चाहिए. इस्कॉन के एक प्रवक्ता ने देश में हिंदुओं के सामने मौजूद भयावह स्थिति को लेकर कहा कि बांग्लादेश में जारी उत्पीड़न अस्वीकार्य है.