स्वास्थ्य, पर्यटन और खेल: MLA भावना बोहरा ने विधानसभा में सरकार से माँगा जवाब, मेकाहारा में बंद मशीनों का मुद्दा उठाया

शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन जनहित के तीन प्रमुख विषयों पर प्रश्न, स्वास्थ्य मंत्री ने रिएजेंट किट्स की कमी स्वीकारी



रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन, पंडरिया विधायक भावना बोहरा ने राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं, पर्यटन स्थलों के विकास और उत्कृष्ट खिलाड़ियों को प्रोत्साहन देने के तीन महत्वपूर्ण विषयों पर सरकार से सवाल किए। उन्होंने प्रदेश के सबसे बड़े शासकीय अस्पताल डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय (मेकाहारा) में बंद पड़ी मशीनों, लैब में रिएजेंट किट्स की कमी और पिछले पाँच वर्षों में पर्यटन विकास पर हुए व्यय का ब्यौरा सदन के समक्ष रखा।

​मेकाहारा में बंद मशीनें और रिएजेंट किट्स की कमी

​विधायक बोहरा ने मरीजों को मुख्य शारीरिक जाँच के लिए हो रही असुविधा को उजागर करते हुए पूछा कि मेकाहारा में पिछले तीन महीने या उससे अधिक समय से कौन-कौन सी प्रमुख मशीनें (जैसे एमआरआई, सीटी स्कैन) खराब पड़ी हैं। साथ ही, उन्होंने यह भी पूछा कि क्या बीपीएल और आयुष्मान कार्ड धारकों द्वारा बाहर से कराई गई जाँच का पैसा प्रतिपूर्ति (Reimbursement) करने का प्रावधान है।

स्वास्थ्य मंत्री का जवाब: लोक स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने लिखित उत्तर में बताया कि चिकित्सालय में उपलब्ध जाँचें बीपीएल और आयुष्मान कार्ड धारकों को निःशुल्क दी जाती हैं, इसलिए बाहर कराई गई जाँच का पैसा प्रतिपूर्ति करने का कोई प्रावधान नहीं है।

​उन्होंने स्वीकार किया कि अस्पताल में एक एमआरआई, एक यूएसजी, एक सीटी स्कैन, दो एक्स-रे, एक पोर्टेबल एक्स-रे मशीन, एक ऑटोमेटेड टीश्यू प्रोसेसर, एक ऑटोमेटीक स्टेनिंग मशीन और एक एल.बी.सी मशीन अपनी निर्धारित आयु पूर्ण कर चुकी हैं और इस वजह से बंद हैं।

रिएजेंट किट्स की कमी: रिएजेंट किट्स की कमी पर स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि सी.जी.एम.एस.सी. में खरीदी की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि कबीरधाम जिले के जिला चिकित्सालय, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र स.लोहारा, पंडरिया, बोडला, झलमला और पिपरिया में रिएजेंट किट्स की कमी है। उन्होंने बताया कि अस्पताल प्रबंधकों को वार्षिक मांग का 10% बफर स्टॉक रखने का निर्देश है। इस पर विधायक बोहरा ने मंत्री से तत्काल किट्स की उपलब्धता सुनिश्चित करने का आग्रह किया।

​पर्यटन पर 97 करोड़ खर्च, फिर भी नए स्थलों का विकास नहीं

​भावना बोहरा ने पर्यटन स्थलों के विकास पर पिछले पाँच वर्षों में हुए व्यय, आय के स्रोत और ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने की नीतियों पर प्रश्न किया।

पर्यटन मंत्री का जवाब: विभागीय मंत्री राजेश अग्रवाल ने बताया कि पिछले पाँच वर्षों में चिन्हांकित पर्यटन स्थलों के विकास पर कुल 9707.63 लाख रुपये (लगभग 97 करोड़ रुपये) खर्च किए गए हैं, जबकि इस अवधि में बोर्ड को कुल आय 40,67,35,907 रुपये हुई है।

  • चौंकाने वाला तथ्य: मंत्री ने स्वीकार किया कि पिछले पाँच वर्षों में चिन्हांकित किए गए नए पर्यटन स्थलों में विकास कार्य नहीं किया गया है।
  • नीतिगत अपडेट: उन्होंने बताया कि ‘नवीन पर्यटन नीति’ तैयार की जा रही है, जिसके तहत ईको टूरिज्म स्थलों का चयन होगा। साथ ही, ‘नवीन औद्योगिक विकास नीति 2024-2030’ में पर्यटन को ‘सेवा क्षेत्र’ में शामिल किया गया है।
  • निवेश: इस नीति के तहत अब तक आयोजित रोड-शो से 1581.30 करोड़ के निवेश प्रस्ताव मिले हैं, जिससे लगभग 3,928 व्यक्तियों को रोजगार मिलने का अनुमान है।

​उत्कृष्ट खिलाड़ियों को नहीं मिली सरकारी नौकरी

​विधायक बोहरा ने राज्य के उत्कृष्ट खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी देने की वर्तमान नीति और पिछले पाँच वर्षों में दुर्ग संभाग के खिलाड़ियों को मिले रोजगार के संबंध में सवाल किया।

उप मुख्यमंत्री का जवाब: उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने लिखित जवाब में बताया कि उत्कृष्ट खिलाड़ियों की नियुक्ति हेतु “छत्तीसगढ़ राज्य शासकीय सेवा में उत्कृष्ट खिलाड़ी भर्ती नियम, 2010” लागू है, जिसके तहत तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के सीधी भर्ती के उपलब्ध रिक्त पदों पर नियुक्ति का प्रावधान है।

​हालांकि, उन्होंने स्वीकार किया कि खेल एवं युवा कल्याण विभाग अंतर्गत पिछले पाँच वर्षों में किसी भी उत्कृष्ट खिलाड़ी को सरकारी नौकरी प्रदान नहीं की गई है।

​भावना बोहरा ने सरकार से स्वास्थ्य, पर्यटन और खेल के क्षेत्र में नीतिगत खामियों को दूर करने और जनहित के मुद्दों पर त्वरित कार्रवाई करने की माँग की है।

Richa Sahay

ऋचा सहाय — पत्रकारिता और न्याय जगत की एक सशक्त आवाज़, जिनका अनुभव दोनों क्षेत्रों में अद्वितीय है। वर्तमान में The 4th Pillar की वरिष्ठ समाचार संपादक के रूप में कार्यरत ऋचा सहाय दशकों से राजनीति, समाज, खेल, व्यापार और क्राइम जैसी विविध विषयों पर बेबाक, तथ्यपूर्ण और संवेदनशील लेखन के लिए जानी जाती हैं। उनकी लेखनी की सबसे खास बात है – जटिल मुद्दों को सरल, सुबोध भाषा में इस तरह प्रस्तुत करना कि पाठक हर पहलू को सहजता से समझ सकें।पत्रकारिता के साथ-साथ ऋचा सहाय एक प्रतिष्ठित वकील भी हैं। LLB और MA Political Science की डिग्री के साथ, उन्होंने क्राइम मामलों में गहरी न्यायिक समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण स्थापित किया है। उनके अनुभव की गहराई न केवल अदालतों की बहसों में दिखाई देती है, बल्कि पत्रकारिता में उनके दृष्टिकोण को भी प्रभावशाली बनाती है।दोनों क्षेत्रों में वर्षों की तपस्या और सेवा ने ऋचा सहाय को एक ऐसा व्यक्तित्व बना दिया है जो ज्ञान, निडरता और संवेदनशीलता का प्रेरक संगम है।

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