Tuesday, July 1, 2025
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Breaking News: महाराष्ट्र की राजनीति में ऐतिहासिक पल: राज और उद्धव ठाकरे हिंदी थोपने के खिलाफ एक मंच पर

मुंबई, 27 जून 2025: महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा और ऐतिहासिक मोड़ आता दिख रहा है, जहां कई सालों बाद ठाकरे बंधु उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे एक साथ एक मंच पर आने वाले हैं.

यह कोई पारिवारिक मिलन नहीं, बल्कि महाराष्ट्र के स्कूलों में हिंदी भाषा को अनिवार्य किए जाने के विरोध में एक संयुक्त राजनीतिक आंदोलन होगा. इस बड़े कदम की जानकारी शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर दी है, जिससे राज्य की राजनीति में हलचल मच गई है.

संयुक्त मोर्चे का ऐलान

संजय राउत ने अपने ‘एक्स’ पोस्ट में स्पष्ट किया है कि “हिंदी भाषा के विरोध में राज-उद्धव एक होकर मोर्चा निकालेंगे. दो अलग आंदोलन नहीं होंगे.” उन्होंने पुष्टि की कि पहले महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे 5 जुलाई को और शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे 6 जुलाई को अलग-अलग मोर्चे निकालने वाले थे, लेकिन अब यह आंदोलन एक ही दिन, एक साथ होगा. यह एकजुटता महाराष्ट्र की भाषाई और राजनीतिक पहचान के लिए एक महत्वपूर्ण घटना मानी जा रही है.

हिंदी थोपने के खिलाफ ठाकरे बंधुओं का रुख

मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने इस मुद्दे पर सरकार पर तीखा हमला बोला है. उन्होंने सवाल किया है कि हिंदी कोई राष्ट्रभाषा नहीं है, बल्कि यह भारत की अन्य भाषाओं में से एक है. फिर इसे पहली कक्षा से अनिवार्य क्यों किया जा रहा है? राज ठाकरे ने यह भी पूछा कि बच्चों को एक साथ तीन भाषाएं क्यों पढ़ाई जा रही हैं और सरकार किस दबाव में यह निर्णय ले रही है.

वहीं, शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र सरकार पर आरोप लगाया है कि वह राज्य पर हिंदी भाषा ‘जबरदस्ती थोप’ रही है. उन्होंने कड़ा विरोध जताते हुए कहा कि उनका किसी भाषा से कोई विरोध नहीं है, लेकिन वह किसी भी भाषा को जबरन थोपने के खिलाफ हैं. दोनों ही नेताओं ने सरकार को इस मुद्दे पर अल्टीमेटम दे दिया है.

मराठी अस्मिता के लिए एकजुटता

राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के एकसाथ आने का मुख्य उद्देश्य ‘मराठी मानुस’ और मराठी अस्मिता का उद्धार बताया जा रहा है. राज ठाकरे ने पहले ही ऐलान किया था कि वह मराठी लोगों और मराठी समुदाय के सुधार के लिए काम करने वाली किसी भी पार्टी के साथ आने को तैयार हैं. इसके लिए उन्होंने उद्धव ठाकरे की पार्टी की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाया था.

उद्धव ठाकरे ने भी इस पहल का स्वागत करते हुए घोषणा की थी कि वह मराठी समुदाय के हित के लिए पुराने गिले-शिकवे भुलाकर साथ आने को तैयार हैं. यह हिंदी भाषा के मुद्दे पर उनकी एकजुटता इसी घोषणा का परिणाम है.

विश्लेषकों का मानना है कि यह गठबंधन महाराष्ट्र की राजनीति में एक नई धुरी बना सकता है, खासकर आगामी चुनावों को देखते हुए. मराठी भाषा और संस्कृति को लेकर दोनों भाइयों का एक मंच पर आना निश्चित रूप से महाराष्ट्र की राजनीति में दूरगामी परिणाम लाएगा.

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