रायपुर । जैन धर्म की श्रद्धा, अनुशासन और आत्मसंयम के प्रतीक पवित्र चातुर्मास एवं पर्युषण पर्व के आगमन से पूर्व राज्य अल्पसंख्यक आयोग अध्यक्ष अमरजीत छाबड़ा ने एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए जैन साधु-साध्वियों के पैदल विहार की सुरक्षा के लिए राज्य के सभी जिलों के प्रशासनिक अधिकारियों को औपचारिक निर्देश जारी किए हैं।
जैन समाज के विभिन्न संगठनों ने आयोग के अध्यक्ष अमरजीत सिंह छाबड़ा से सौजन्य भेंट कर आगामी चातुर्मास की जानकारी दी और अवगत कराया कि इस धार्मिक परंपरा के अंतर्गत साधु-संत, साध्वियाँ एवं सेवादारगण चातुर्मास स्थल तक पैदल विहार करते हुए पहुंचते हैं, ताकि चातुर्मास आरंभ होने पर वहीं ठहर सकें—क्योंकि इस पवित्र अवधि में विहार वर्जित होता है।
चातुर्मास एक ऐसा कालखंड है जिसे आत्मचिंतन, तप, साधना और प्रवचन के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। यह धार्मिक अभ्यास जैन समाज की आस्था का केंद्र है, और इसी भाव को ध्यान में रखते हुए आयोग ने निर्णय लिया कि विहार के मार्ग में किसी प्रकार की यातायात बाधा, असुविधा या सुरक्षा संकट उत्पन्न न हो।
इस विषय में अल्पसंख्यक आयोग अध्यक्ष अमरजीत छाबड़ा ने प्रदेश के सभी कलेक्टरों और पुलिस अधीक्षकों को निर्देशित किया है कि वे पैदल चलने वाले साधु-संतों की सुरक्षा, स्वास्थ्य सुविधा, पेयजल, छायादार विश्राम स्थल तथा यातायात मार्गों की समुचित निगरानी की व्यवस्था करें। यह भी सुनिश्चित किया जाए कि विहार का मार्ग शांतिपूर्ण रहे और श्रद्धालुजन बिना किसी व्यवधान के अपने गंतव्य तक पहुँच सकें।
अध्यक्ष अमरजीत छाबड़ा ने विशेष रूप से यह कहा कि धार्मिक स्वतंत्रता और सांस्कृतिक परंपराओं का सम्मान संविधान का मूल है, जिसे संरक्षित रखना शासन-प्रशासन की जिम्मेदारी भी है और सामाजिक सौहार्द की पहचान भी।
जैन समाज की ओर से इस पहल का स्वागत करते हुए साधु-संतों और संगठनों ने राज्य अल्पसंख्यक आयोग का आभार व्यक्त किया, और आशा जताई कि इस संवेदनशील और आध्यात्मिक समय में शासन द्वारा प्रदान की गई सहूलियतें एक सकारात्मक मिसाल बनेंगी।