रायपुर । शिक्षा की अलख जगाने वाले श्री बालाजी विद्या मंदिर में आज शाला प्रवेश उत्सव का आयोजन किसी उत्सव से कम नहीं था । यह एक ऐसा क्षण था, जब परंपरा, नवाचार और करुणा ने मिलकर बचपन के सपनों को आकार देना प्रारंभ किया। विद्यालय परिसर आज खिलखिलाते चेहरों और रंग-बिरंगी सजावट के साथ उल्लास की छवि बन गया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित विधायक पुरंदर मिश्रा ने न केवल अपनी गरिमामयी उपस्थिति से अवसर को गौरव प्रदान किया, बल्कि अपने संवेदनशील संबोधन और व्यवहार से कार्यक्रम में आत्मा फूँक दी। उन्होंने मां सरस्वती की पूजा के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की और छोटे बच्चों का तिलक कर, मिठाई खिलाकर, छाते भेंट कर आत्मीय स्वागत किया। उनकी यह आत्मीयता मात्र परंपरा नहीं थी वह शिक्षा के प्रति उनका स्नेह और बच्चों के भविष्य को संवारने की उनकी भावना का प्रतीक थी।
विधायक मिश्रा ने विद्यालय की शैक्षिक और भौतिक संरचना का निरीक्षण करते हुए साफ-सफाई, पुस्तकालय, विज्ञान प्रयोगशाला तथा पेयजल व्यवस्था की सराहना की। उन्होंने कहा कि विद्यालय केवल शिक्षा का केंद्र नहीं, यह जीवन मूल्यों की प्रयोगशाला है जहाँ भावी पीढ़ी को संस्कारों की लौ से प्रकाशित किया जाता है।
अपने भाषण में उन्होंने आधुनिक शिक्षा पद्धतियों और मूल्यों में संतुलन की बात करते हुए शिक्षकों से आग्रह किया कि वे शिक्षा को केवल पाठ्यक्रम तक सीमित न रखें, बल्कि बच्चों के मन और आत्मा को छूने वाली शिक्षण विधियों को अपनाएँ। उनके अनुसार, “बच्चों की मुस्कान ही किसी राष्ट्र की असली संपत्ति होती है।”
विद्यालय प्रबंधन ने उनके आगमन को प्रेरणादायक बताते हुए आभार व्यक्त किया। प्रधानाचार्य ने यह संकल्प दोहराया कि विद्यालय शिक्षा के साथ-साथ विद्यार्थियों के चरित्र निर्माण में भी सतत प्रयत्नशील रहेगा।
कार्यक्रम में नगर निगम सभापति सूर्यकांत राठौर, वार्ड पार्षद कृतिका जैन तथा स्थानीय गणमान्य नागरिकों की उपस्थिति ने इस आयोजन को और गरिमा प्रदान की। उपस्थित अभिभावकों ने यह अनुभव किया कि उनका बच्चा सिर्फ स्कूल नहीं, संस्कारों के एक समर्पित केंद्र में प्रवेश ले रहा है।