“जनता पहले मुझे नमस्कार करती है” बयान पर सियासी बवाल, बसंत अग्रवाल ने दी सफाई, भाजपा नेता ने जताई नाराज़गी
विवादित बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए बसंत अग्रवाल बोले-वामपंथी मेरी बातों को तोड़-मरोड़ कर पेश करते हैं

रायपुर । भाजपा नेता और समाजसेवी बसंत अग्रवाल एक बार फिर अपने विवादित बयान को लेकर सुर्खियों में हैं। हाल ही में रायपुर में आयोजित एक पत्रकार वार्ता में उन्होंने ऐसा दावा किया, जिसने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी। बागेश्वर धाम के पं. धीरेन्द्र शास्त्री की कथा को लेकर आयोजित संवाद में बसंत अग्रवाल ने कहा कि मंत्री और विधायक मेरे सामने कुछ नहीं लगते। यदि विधायक-मंत्री को मेरे बगल में खड़ा कर दिया जाए तो जनता सबसे पहले मुझे नमस्कार करेगी, बाद में विधायक-मंत्री को। यह बयान न केवल राजनीतिक मर्यादाओं को चुनौती देता है, बल्कि सत्ता और जनप्रतिनिधित्व की गरिमा पर भी सवाल खड़ा करता है।
गौरतलब है कि यह पहला अवसर नहीं है जब बसंत अग्रवाल ने इस प्रकार की टिप्पणी की हो। इससे पूर्व दही हांडी कार्यक्रम के दौरान भी उन्होंने इसी तरह का बयान दिया था, जिसमें उन्होंने स्वयं को विधायक से अधिक लोकप्रिय और प्रभावशाली बताया था। उनके इस रवैये को लेकर विपक्षी दलों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है, वहीं भाजपा के भीतर भी इस बयान को लेकर असहजता देखी जा रही है।
कांग्रेस ने इस वीडियो को अपने आधिकारिक फेसबुक अकाउंट के जरिए पोस्ट करते हुए लिखा था कि भाजपा के विधायकों और मंत्रियों से खुद को ज्यादा शक्तिशाली मानने वाले बसंत अग्रवाल बता रहे हैं कि विधायक राजेश मूणत इनके आगे कुछ नहीं लगता है और यह भी चैलेंज कर रहें हैं कि विष्णुदेव साय के कैबिनेट के किसी मंत्री से ज्यादा पूछ परख इनकी है, किसी मंत्री की भी कोई हैसियत नहीं हैं। सभी मंत्री भाजपा के ही है।
धर्म की आड़ में लोकप्रियता की राजनीति करना भाजपा की पुरानी आदत है। लेकिन जब कोई कार्यकर्ता खुद को जनप्रतिनिधियों से ऊपर बताने लगे, तो यह न केवल लोकतंत्र का अपमान है बल्कि भाजपा की आंतरिक अस्थिरता का संकेत भी।
वहीं बसंत अग्रवाल के वायरल वीडियो पर भाजपा के वरिष्ठ विधायक और पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने कहा कि उन्हें भगवान और आगे बढ़ाए। आत्मविश्वास के पीछे ताकत जरूर होती है। मैं खुद को भगवान बोल दूं। तो क्या मैं भगवान हो जाऊंगा?’
जब मीडिया ने इस बयान पर उनकी प्रतिक्रिया मांगी, तो बसंत अग्रवाल ने वामपंथी विचारधारा के लोगों पर आरोप लगाते हुए कहा कि वे उनकी बातों को तोड़-मरोड़ कर पेश करते हैं। उन्होंने कहा कि कोई भी अच्छा या धार्मिक कार्य हो, उसमें भी ये लोग नकारात्मकता खोजते हैं। धर्म से बड़ा कुछ नहीं होता, धर्म है तो सब कुछ है। इस बयान के माध्यम से उन्होंने न केवल अपनी धार्मिक आस्था को दोहराया, बल्कि कांग्रेस पर भी तीखा हमला बोला।
बसंत अग्रवाल ने स्पष्ट किया कि उनका बयान कांग्रेस के विधायक-मंत्री को लेकर था। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस न तो धार्मिक कार्यों में रुचि लेती है और न ही जनता के हित में कोई ठोस कार्य करती है। उन्होंने स्वयं को भाजपा का ‘सच्चा सिपाही’ बताते हुए कहा कि वे हमेशा धर्म और समाज के लिए कार्य करते हैं, और यही कारण है कि जनता उन्हें प्राथमिकता देती है।
इस पूरे घटनाक्रम ने राजनीतिक गलियारों में एक नई बहस को जन्म दे दिया है। क्या एक समाजसेवी या पार्टी कार्यकर्ता को जनप्रतिनिधियों से ऊपर मानना लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुरूप है? बसंत अग्रवाल के बयान ने न केवल कांग्रेस बल्कि भाजपा के भीतर भी असहजता पैदा की है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी नेतृत्व इस पर क्या रुख अपनाता है।
कौन है बसंत अग्रवाल?
रायपुर शहर में बसंत अग्रवाल बड़ी कथा करवाने और जमीन कारोबारी के रूप में जाने जाते है। बसंत अग्रवाल ने 2023 में विधानसभा चुनाव में रायपुर पश्चिम से टिकट की दावेदारी पेश की थी। लेकिन भाजपा ने सीनियर नेता राजेश मूणत को चुनावी मैदान में उतारा था। मूणत ने जीत भी दर्ज की।



