रायपुर । राजधानी रायपुर के गायत्री नगर स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर से आज भगवान श्री जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा श्रद्धा और उल्लास के साथ निकाली गई। आषाढ़ शुक्ल द्वितीया के पावन अवसर पर आयोजित इस ऐतिहासिक यात्रा में हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया, जिससे पूरा शहर भक्तिमय वातावरण में डूब गया।
यात्रा की शुरुआत और विशेष आयोजन
रथ यात्रा की शुरुआत सुबह विधिवत पूजा-अर्चना के साथ हुई, जिसमें राज्यपाल रमेन डेका और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय,मंत्री टंकराम वर्मा, सांसद बृजमोहन अग्रवाल, विधायकगण ने भाग लिया।
सीएम साय ने सोने के झाड़ू से लगाई बुहार
मुख्यमंत्री ने परंपरा अनुसार सोने की झाड़ू से रथ मार्ग की प्रतीकात्मक सफाई की, जो भगवान के मार्ग को पवित्र करने की परंपरा का प्रतीक है।
तीन रथ, तीन स्वरूप
पुरी की तर्ज पर यहां भी तीन भव्य रथ सजाए गए—भगवान जगन्नाथ, भाई बलराम और बहन सुभद्रा के लिए अलग-अलग रथ तैयार किए गए। यात्रा गायत्री नगर स्थित मंदिर से बीटीआई ग्राउंड तक निकाली गई, जिसमें भजन मंडलियों, सांस्कृतिक झांकियों और अखाड़ा दलों ने भाग लिया।
सीएम साय ने की खुशहाली की प्रार्थना
इस अवसर पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि आज महाप्रभु भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकली है। इस अवसर के लिए छत्तीसगढ़ के लोगों को बधाई और शुभकामना देता हूं। भगवान जगन्नाथ, बलभद्र स्वामी और सुभद्रा माता से प्रार्थना करता हूं कि छत्तीसगढ़ में खुशहाली हो। सबके घर में सुख-समृद्धि हो।
जनसागर भगवान के रथ के साथ चलता है, तब हर मन एक सूत्र में बंधता है: पुरंदर मिश्रा
विधायक पुरंदर मिश्रा और जगन्नाथ मंदिर सेवा समिति के अध्यक्ष पुरंदर मिश्रा ने पूजा अर्चना कर प्रदेशवासियों की खुशहाली की कामना करते हुए कहा, अब भगवान जगन्नाथ ,बलभद्र और सुभद्रा तीनों भाई नहीं अपने मुख्य मंदिर से निकलकर गुंडिचा मंदिर की ओर प्रस्थान करते है ।भगवान वहां 9 दिन तक विश्राम करेंगे। उसके बाद भगवान पुनःमुख्य मंदिर में विराजमान होते है। यह रथ यात्रा केवल धार्मिक उत्सव नहीं, यह हमारे समाज की एकता, परंपरा और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक है। जब जनसागर भगवान के रथ के साथ चलता है, तब हर मन एक सूत्र में बंधता है।
धार्मिक रस्में और परंपराएं
- यात्रा से पूर्व मंदिर में 11 पंडितों द्वारा विशेष अभिषेक, हवन और रक्त चंदन, केसर, गोचरण, कस्तूरी व कपूर से स्नान कराया गया।
- भगवान को गजामूंग का भोग अर्पित किया गया और नेत्र उत्सव की परंपरा भी निभाई गई।
सुरक्षा और व्यवस्था
- प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम किए थे। यातायात को सुचारु बनाए रखने के लिए विशेष व्यवस्था की गई थी।
- श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए पुलिस बल और स्वयंसेवकों की तैनाती की गई।
सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व
यह रथ यात्रा केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ और ओडिशा की सांस्कृतिक एकता और भाईचारे का प्रतीक भी है। जो लोग पुरी नहीं जा पाते, उनके लिए यह यात्रा भगवान के साक्षात दर्शन का दुर्लभ अवसर बनती है।