Video: रेलवे स्टेशनों पर गूंजे पंथी गीत, बाबा गुरु घासीदास जयंती पर छत्तीसगढ़ में सांस्कृतिक चेतना की नई पहल

छत्तीसगढ़ में बाबा गुरु घासीदास जयंती पर रेलवे स्टेशनों से पंथी गीतों की गूंज ने यात्रियों और आमजन को भावविभोर कर दिया। यह पहल सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक परंपराओं के सम्मान की दिशा में एक प्रेरणादायक कदम साबित हुई।





रायपुर, 18 दिसंबर 2025 — आज पूरे छत्तीसगढ़ में महान समाज सुधारक और सतनाम पंथ के प्रवर्तक संत शिरोमणि बाबा गुरु घासीदास की 267वीं जयंती श्रद्धा, भक्ति और उत्साह के साथ मनाई जा रही है। इस अवसर पर प्रदेशभर में सतनामी समाज द्वारा भव्य रैलियों, भोग-भंडारों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। लोग एक-दूसरे को शुभकामनाएं देकर इस पावन पर्व की गरिमा को साझा कर रहे हैं।

इस वर्ष की जयंती को और भी खास बना दिया भारतीय रेलवे की एक अनूठी पहल ने। राज्य के प्रमुख रेलवे स्टेशनों पर आज पहली बार पंथी गीतों का प्रसारण किया गया, जिससे स्टेशन परिसर भक्ति और सामाजिक समरसता के भाव से सराबोर हो गया। जैसे ही पंथी गीतों की मधुर धुनें अनाउंसमेंट स्पीकरों से गूंजीं, यात्रियों और आमजन ने बाबा गुरु घासीदास को श्रद्धा से नमन किया।

रेलवे की यह पहल छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक पहचान को सशक्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। इससे पहले छठ पर्व पर छठ गीत और 1 नवंबर को छत्तीसगढ़ स्थापना दिवस पर प्रसिद्ध गीत अरपा पैरी के धार का प्रसारण किया गया था। अब इस कड़ी में बाबा गुरु घासीदास जयंती पर पंथी गीतों का प्रसारण जोड़कर रेलवे ने सांस्कृतिक विविधता को सम्मान देने की परंपरा को आगे बढ़ाया है।

पंथी गीत, जो सतनाम पंथ की आध्यात्मिकता, समानता और मानवता के संदेश को संगीतमय रूप में प्रस्तुत करते हैं, आज गिरौदपुरी से लेकर रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, अंबिकापुर और जांजगीर-चांपा जैसे प्रमुख रेलवे स्टेशनों पर गूंजते रहे। यात्रियों ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह न केवल एक सांस्कृतिक अनुभव है, बल्कि सामाजिक एकता और समरसता का प्रतीक भी है।

गौरतलब है कि बाबा गुरु घासीदास ने 18वीं सदी में छत्तीसगढ़ में सामाजिक कुरीतियों और भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई थी। उन्होंने सतनाम पंथ की स्थापना कर सत्य, अहिंसा और समानता का संदेश दिया। उनकी शिक्षाएं आज भी समाज को दिशा देती हैं।

इस अवसर पर सतनामी समाज के युवाओं ने पहले ही रेलवे से अनुरोध किया था कि जयंती के दिन पंथी गीतों का प्रसारण किया जाए, ताकि बाबा के विचारों को जन-जन तक पहुंचाया जा सके। रेलवे प्रशासन ने इस मांग को स्वीकार करते हुए इसे एक नई परंपरा के रूप में स्थापित किया है।

यह पहल न केवल सांस्कृतिक जागरूकता को बढ़ावा देती है, बल्कि यात्रियों को छत्तीसगढ़ की समृद्ध परंपराओं से भी जोड़ती है। आने वाले समय में अन्य पर्वों और महापुरुषों की जयंती पर भी इसी तरह के सांस्कृतिक प्रसारण की उम्मीद की जा रही है।

Richa Sahay

ऋचा सहाय — पत्रकारिता और न्याय जगत की एक सशक्त आवाज़, जिनका अनुभव दोनों क्षेत्रों में अद्वितीय है। वर्तमान में The 4th Pillar की वरिष्ठ समाचार संपादक के रूप में कार्यरत ऋचा सहाय दशकों से राजनीति, समाज, खेल, व्यापार और क्राइम जैसी विविध विषयों पर बेबाक, तथ्यपूर्ण और संवेदनशील लेखन के लिए जानी जाती हैं। उनकी लेखनी की सबसे खास बात है – जटिल मुद्दों को सरल, सुबोध भाषा में इस तरह प्रस्तुत करना कि पाठक हर पहलू को सहजता से समझ सकें।पत्रकारिता के साथ-साथ ऋचा सहाय एक प्रतिष्ठित वकील भी हैं। LLB और MA Political Science की डिग्री के साथ, उन्होंने क्राइम मामलों में गहरी न्यायिक समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण स्थापित किया है। उनके अनुभव की गहराई न केवल अदालतों की बहसों में दिखाई देती है, बल्कि पत्रकारिता में उनके दृष्टिकोण को भी प्रभावशाली बनाती है।दोनों क्षेत्रों में वर्षों की तपस्या और सेवा ने ऋचा सहाय को एक ऐसा व्यक्तित्व बना दिया है जो ज्ञान, निडरता और संवेदनशीलता का प्रेरक संगम है।

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