छत्तीसगढ़ के जशपुर में है एशिया का दूसरा सबसे बड़ा चर्च, एक साथ बैठ सकते हैं 10 हजार श्रद्धालु

छत्तीसगढ़ के जशपुर में एशिया का दूसरा सबसे बड़ा चर्च है। जिसे महागिरिजाघर के नाम से जाना जाता है। काफी विशाल और भव्य दिखने वाले जशपुर के चर्च का इतिहास भी काफी रोचक है। क्रिसमस के मौके पर आज हम आपको इसके बारे में बताने जा रहे हैं।

इसके बाद से ही मसीही लोगों की यहां हर साल क्रिस्मस पर काफी बड़ी संख्या होने के कारण यहां एक सप्ताह पहले से ही जगह-जगह क्रिसमस की धूम दिखाई देने लगती है। जिले के कुनकुरी के अलावा शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के संस्थानों में क्रिसमस के मौके पर होने वाली विशेष प्रार्थना जारी है। क्रिसमस से पहले ही यहां चरनी तैयार कर फूल और रंग बिरंगे लाइट की सजावट शुरू हो गई है।

दरअसल, छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के कुनकुरी में एशिया का दूसरा सबसे विशाल चर्च है। इस चर्च की नींव वर्ष 1962 में रखी गई। जब इस चर्च को बनाया गया था, उस समय कुनकुरी धर्मप्रांत के बिशप स्टानिस्लास लकड़ा थे। इस विशालकाय चर्च वाले भवन को एक ही बीम के सहारे खड़ा करने के लिए नींव को विशेष रूप से डिजाइन किया गया था, और सिर्फ इसी काम मे दो साल लग गए। नींव तैयार होने के बाद भवन का निर्माण 13 सालों में पूरा हुआ। कहा जाता है कि उस वक्त ये चर्च जंगल और पहाड़ियों से घिरा हुआ था, लेकिन समय के साथ सब बदलता गया। अब जिस जगह पर चर्च है। वह क्षेत्र शहर के रूप में विकसित हो चुका है।

7 अंक है खास

कुनकुरी के चर्च को एशिया का दूसरा सबसे बड़ा चर्च होने का गौरव तो प्राप्त है। इसके अलावा इस चर्च की एक और विशेषता है, जो अपने आप में अलग है। इस महागिरजाघर में 7 अंक का विशेष महत्व है। इस चर्च में 7 छत और 7 दरवाजे हैं। कैथोलिक वर्ग में 7 नंबर को खास माना गया है, हफ्ते में भी 7 दिन होते हैं। 7वां दिन भगवान का होता है। चर्च की 7 छतें एक ही बीम पर टिकी हुई हैं। ये चर्च इतना विशाल है कि इसके अंदर एक साथ 10 हजार लोगों के बैठने की क्षमता है।

चर्च बनने से पहले एक छोटा सा गांव था कुनकुरी

आपको बता दें कि एशिया का बसे बड़ा चर्च नागालैंड में है। उसके बाद दूसरा सबसे बड़ा चर्च कुनकुरी का है। कुनकुरी से 11 किलोमीटर दूर गिनाबाहर में सन 1917 में क्षेत्र का सबसे पहला चर्च था। उस समय कुनकुरी एक छोटा सा गांव था, लेकिन जब बड़ा गिरिजाघर बना, इसके बाद यहां लोयोला स्कूल और होली क्रॉस अस्पताल की स्थापना हुई थी। चर्च बनने के बाद ही कुनकुरी एक शहर के तौर पर विकसित हुआ। यहां अस्पताल और शैक्षणिक संस्थाएं खुले, बाजार भी शुरू हुआ, व्यापारी आए और अब यहां 10 हजार से अधिक परिवार रहते हैं।

मांदर की सुनाई देती थाप

क्रिसमस के अवसर पर यहां पर प्रभु यीशु मसीह को याद किया जाता है और उनके जन्म संस्कार का उत्सव मनाया जाता है। कुनकुरी स्थित महा गिरजाघर के साथ विभिन्न कस्बे और दूरस्थ ग्रामीण इलाकों मे इन दिनों क्रिसमस त्यौहार की खुशी में मांदर की थाप पर आदिवासियों की पारंपरिक वेशभूषा में उनके नृत्य का नजारा देखने को मिलने लगा है। आपको बता दें कि 10 हजार से अधिक लोगों की एक साथ बैठने क्षमता वाले इस चर्च में क्रिसमस पर इससे कहीं अधिक लोगों की भीड़ जुटती रही है। क्रिसमस के दौरान यहां आयोजित समारोह में हर साल देश-विदेश से चार से पांच लाख लोग पहुंचते है।

Richa Sahay

ऋचा सहाय — पत्रकारिता और न्याय जगत की एक सशक्त आवाज़, जिनका अनुभव दोनों क्षेत्रों में अद्वितीय है। वर्तमान में The 4th Pillar की वरिष्ठ समाचार संपादक के रूप में कार्यरत ऋचा सहाय दशकों से राजनीति, समाज, खेल, व्यापार और क्राइम जैसी विविध विषयों पर बेबाक, तथ्यपूर्ण और संवेदनशील लेखन के लिए जानी जाती हैं। उनकी लेखनी की सबसे खास बात है – जटिल मुद्दों को सरल, सुबोध भाषा में इस तरह प्रस्तुत करना कि पाठक हर पहलू को सहजता से समझ सकें।पत्रकारिता के साथ-साथ ऋचा सहाय एक प्रतिष्ठित वकील भी हैं। LLB और MA Political Science की डिग्री के साथ, उन्होंने क्राइम मामलों में गहरी न्यायिक समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण स्थापित किया है। उनके अनुभव की गहराई न केवल अदालतों की बहसों में दिखाई देती है, बल्कि पत्रकारिता में उनके दृष्टिकोण को भी प्रभावशाली बनाती है।दोनों क्षेत्रों में वर्षों की तपस्या और सेवा ने ऋचा सहाय को एक ऐसा व्यक्तित्व बना दिया है जो ज्ञान, निडरता और संवेदनशीलता का प्रेरक संगम है।

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