21 सितंबर को लगने वाला सूर्य ग्रहण का जनमानस पर कैसा पड़ेगा असर? कब लगेगा सूतक काल और क्या भारत में इसका प्रभाव दिखेगा

दक्षिणी गोलार्ध में आंशिक दृश्यता, NASA करेगा लाइव प्रसारण



रायपुर । साल का आखिरी व दूसरा सूर्य ग्रहण पितृ पक्ष के आखिरी दिन यानी सर्वपितृ अमावस्या पर लगेगा। ज्योतिष शास्त्र में सूर्य ग्रहण को एक अशुभ घटना माना गया है। 21 सितंबर 2025 को वर्ष का अंतिम सूर्यग्रहण घटित होने जा रहा है, जो खगोल विज्ञान की दृष्टि से एक उल्लेखनीय घटना होगी।

यह एक आंशिक सूर्यग्रहण होगा, जिसकी शुरुआत भारतीय समयानुसार रात 10:59 बजे होगी, मध्यरात्रि 1:11 बजे अपने चरम पर पहुंचेगी और सुबह 3:23 बजे समाप्त होगी। चूंकि यह ग्रहण भारत में रात्रिकालीन समय में घटित होगा, इसलिए देश के किसी भी हिस्से से इसकी दृश्यता संभव नहीं होगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, दृश्यता न होने के कारण सूतक काल भी मान्य नहीं होगा और पूजा-पाठ पर कोई प्रतिबंध नहीं रहेगा।

यह आंशिक सूर्यग्रहण मुख्य रूप से दक्षिणी गोलार्ध में दिखाई देगा। न्यूज़ीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, अंटार्कटिका और दक्षिण प्रशांत द्वीप समूह जैसे क्षेत्रों में यह खगोलीय दृश्य देखा जा सकेगा। अंटार्कटिका के Mario Zucchelli Station पर सूर्य का लगभग 72% भाग चंद्रमा द्वारा ढका जाएगा, जबकि न्यूज़ीलैंड में सूर्य का 60% से अधिक हिस्सा आंशिक रूप से ढका दिखाई देगा।

यह ग्रहण सितंबर विषुव (September Equinox) के एक दिन पूर्व घटित हो रहा है, जिससे इसका खगोलीय महत्व और अधिक बढ़ जाता है। यह घटना दक्षिणी गोलार्ध में वसंत ऋतु की शुरुआत और उत्तरी गोलार्ध में शरद ऋतु के आगमन का संकेत देती है, जो खगोल प्रेमियों के लिए विशेष रुचि का विषय है।

NASA और अन्य अंतरराष्ट्रीय खगोल संस्थाएं इस सूर्यग्रहण का लाइव प्रसारण करेंगी, जिससे भारतीय दर्शक भी डिजिटल माध्यम से इस दुर्लभ खगोलीय घटना का अनुभव कर सकेंगे। धार्मिक दृष्टिकोण से यह ग्रहण पितृ पक्ष के अंतिम दिन पड़ रहा है, किंतु दृश्यता न होने के कारण धार्मिक क्रियाओं पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ेगा। यह सूर्यग्रहण वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और खगोल प्रेमियों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है, जो पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच की खगोलीय गतिशीलता को समझने में सहायक सिद्ध होगा।

Richa Sahay

ऋचा सहाय — पत्रकारिता और न्याय जगत की एक सशक्त आवाज़, जिनका अनुभव दोनों क्षेत्रों में अद्वितीय है। वर्तमान में The 4th Pillar की वरिष्ठ समाचार संपादक के रूप में कार्यरत ऋचा सहाय दशकों से राजनीति, समाज, खेल, व्यापार और क्राइम जैसी विविध विषयों पर बेबाक, तथ्यपूर्ण और संवेदनशील लेखन के लिए जानी जाती हैं। उनकी लेखनी की सबसे खास बात है – जटिल मुद्दों को सरल, सुबोध भाषा में इस तरह प्रस्तुत करना कि पाठक हर पहलू को सहजता से समझ सकें।पत्रकारिता के साथ-साथ ऋचा सहाय एक प्रतिष्ठित वकील भी हैं। LLB और MA Political Science की डिग्री के साथ, उन्होंने क्राइम मामलों में गहरी न्यायिक समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण स्थापित किया है। उनके अनुभव की गहराई न केवल अदालतों की बहसों में दिखाई देती है, बल्कि पत्रकारिता में उनके दृष्टिकोण को भी प्रभावशाली बनाती है।दोनों क्षेत्रों में वर्षों की तपस्या और सेवा ने ऋचा सहाय को एक ऐसा व्यक्तित्व बना दिया है जो ज्ञान, निडरता और संवेदनशीलता का प्रेरक संगम है।

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