उत्तरकाशी आपदा पर सियासी तूफान: बादल फटा, बयान बरसा; टी हसन के विवादित बोल पर गरमाई राजनीति, एनडीआरएफ ने बचाई कई जानें


- खीरगंगा और आसपास के इलाकों में बाढ़ और मलबा बहकर आया
- कई घर, होटल और बस्तियां पूरी तरह तबाह
- अब तक 5 लोगों की मौत की पुष्टि
- 50 से अधिक लोग लापता
- एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सेना और आईटीबीपी की टीमें राहत कार्य में जुटी हैं
एनडीआरएफ और बचाव कार्य की स्थिति
- एनडीआरएफ ने युद्धस्तर पर राहत अभियान शुरू किया
- मलबे में फंसे दर्जनों लोगों को सुरक्षित निकाला गया
- हेलिकॉप्टर और स्निफर डॉग्स की मदद से खोज अभियान जारी
- कई घायल लोगों को प्राथमिक चिकित्सा देकर अस्पताल भेजा गया
- स्थानीय प्रशासन ने प्रभावित क्षेत्रों में अस्थायी शिविर बनाए हैं
टी हसन का विवादित बयान: आपदा को बताया ‘ऊपर वाले का इंसाफ’
समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद एसटी हसन ने धराली आपदा को धार्मिक स्थलों पर बुलडोजर चलाने से जोड़ा।
उनका बयान:
“उत्तराखंड और हिमाचल में दूसरे मजहब का कोई सम्मान नहीं हो रहा है। जब ऊपर वाले का इंसाफ होता है, तो आदमी कहीं से भी खुद को नहीं बचा पाता।”
उन्होंने यह भी कहा कि मस्जिदों और मजारों पर बुलडोजर चलाना नाइंसाफी है और यही आपदा का कारण है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं: भाजपा और अन्य दलों का पलटवार
- भाजपा प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी:
“प्राकृतिक आपदाएं मानवता के लिए दुखद होती हैं। सपा सांसद का बयान जख्मों पर नमक मिर्च लगाने जैसा है।”
- भाजपा नेता शहजाद पूनावाला:
“यह वोटबैंक की राजनीति का सबसे निम्न स्तर है।”
- मुख्तार अब्बास नक़वी:
“जब देश दुआ मांग रहा है, ये बद्दुआ दे रहे हैं।”
- कांग्रेस नेता राशिद अल्वी:
“बयान निंदनीय है, हादसे में मारे गए लोग निर्दोष हैं।”
- जेपीएस राठौर (भाजपा मंत्री):
“अवैध निर्माण पर बुलडोजर नहीं रुकेगा, त्रासदी के समय राजनीति करना शर्मनाक है।”
टी हसन की सफाई
उन्होंने कहा कि उनका बयान तो धार्मिक स्थलों की बेअदबी के खिलाफ था, लेकिन उसे गलत तरीके से पेश किया गया।
“इबादत वाली जगहों पर बुलडोजर नहीं चलने चाहिए। शासन करने वालों को समझना चाहिए कि बेअदबी से ऊपर वाले की रहमत नहीं रहती।”
निष्कर्ष
उत्तरकाशी की प्राकृतिक आपदा ने जहां जनजीवन को झकझोर दिया, वहीं टी हसन के बयान ने सियासी हलकों में तूफान ला दिया। राहत कार्य जारी है, लेकिन बयानबाज़ी ने संवेदनशील मुद्दे को राजनीतिक रंग दे दिया है।