पितृ पक्ष 2025: तृतीया श्राद्ध पर जल तर्पण की विधि, दिशा, समय और नियमों की संपूर्ण जानकारी



आज मंगलवार, 9 सितंबर 2025, को पितृ पक्ष का तीसरा दिन है, जिसे तृतीया श्राद्ध के रूप में मनाया जाता है। यह दिन उन दिवंगत पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए समर्पित है जिनका निधन किसी भी माह की तृतीया तिथि को हुआ हो। हिंदू धर्म में पितृ पक्ष को अत्यंत पवित्र माना गया है, क्योंकि यह काल पितरों को तृप्त करने और उनके आशीर्वाद को प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है।

आज की तिथि और मुहूर्त विवरण

विवरणसमय
तिथितृतीया श्राद्ध
दिनमंगलवार
तिथि (ग्रेगोरियन)9 सितंबर 2025
कुतुप मुहूर्त11:53 AM – 12:43 PM
रौहिण मुहूर्त12:43 PM – 01:33 PM
अपराह्न काल01:33 PM – 04:03 PM

जल तर्पण की विधि: चरणबद्ध विवरण

आवश्यक सामग्री

  • तांबे का पात्र
  • शुद्ध जल, दूध, काले तिल, सफेद पुष्प
  • कुशा (अंगूठे में कुशा की अंगूठी पहनें)
  • साफ वस्त्र, आसन, मंत्र पुस्तिका

विधि

  1. प्रातः स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें
  2. कुशा की अंगूठी दाहिने हाथ की अनामिका (रिंग फिंगर) में धारण करें

  3. तर्पण पात्र में जल, दूध, तिल और पुष्प मिलाएं
  4. दक्षिण दिशा की ओर मुख करके तर्पण करें
  5. प्रत्येक तर्पण के साथ “ॐ पितृभ्यः स्वधा नमः” मंत्र का 11 बार उच्चारण करें
  6. तीन बार जल अर्पित करें
  7. तर्पण के बाद ध्यान और प्रार्थना करें

तर्पण की दिशा, उंगली और उद्देश्य

तर्पण किसके लिएदिशाउंगली
पितृ (पूर्वज)दक्षिणअंगूठा
देवता गणपूर्वदाएं हाथ की सभी उंगलियों के अग्र भाग से जल गिराएं
ऋषि-मुनिउत्तरदाएं हाथ की सभी उंगलियों के अग्र भाग से जल गिराएं
गुरु जनउत्तरदाएं हाथ की सभी उंगलियों के अग्र भाग से जल गिराएं
भगवान पूर्वदाएं हाथ की सभी उंगलियों के अग्र भाग से जल गिराएं

वस्त्र और आचरण संबंधी नियम

  • पुरुष: सफेद धोती या पारंपरिक वस्त्र
  • महिलाएं: सादा साड़ी या सलवार-कुर्ता
  • वस्त्र शुद्ध और साफ हों
  • स्नान के बाद ही तर्पण करें
  • तर्पण करते समय मौन और श्रद्धा बनाए रखें

क्या महिलाएं जल तर्पण कर सकती हैं

हां, महिलाएं भी विधिपूर्वक जल तर्पण कर सकती हैं। यदि परिवार में पुरुष सदस्य उपलब्ध न हों या महिला स्वयं श्रद्धा से यह कर्म करना चाहें, तो उन्हें भी कुशा धारण कर, मंत्रों के साथ तर्पण करना चाहिए। यह धार्मिक रूप से स्वीकार्य है।


कुशा का धार्मिक महत्व

कुशा को वैदिक परंपरा में पवित्र माना गया है। यह ऊर्जा, शुद्धता और ब्रह्मांडीय संतुलन का प्रतीक है। तर्पण के समय कुशा की अंगूठी पहनना अनिवार्य है, जिससे कर्म की शुद्धता बनी रहती है।


क्या करें और क्या न करें

करें

  • पितरों का स्मरण
  • जल तर्पण, पिंडदान, ब्राह्मण भोजन
  • पंचबलि अर्पण
  • मंत्रों का उच्चारण
  • दान और सेवा

न करें

  • मांस, मदिरा और तामसिक भोजन
  • शुभ कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश
  • बाल कटवाना या नाखून काटना
  • अपवित्र वस्त्र पहनना

विशेष जानकारी

  • पिंडदान में आटे, चावल या जौ से बने पिंड अर्पित किए जाते हैं
  • ब्राह्मण भोजन और दक्षिणा देना अनिवार्य है
  • मंदिरों में भोजन वितरण भी स्वीकार्य है
  • पितृ दोष निवारण के लिए यह दिन अत्यंत शुभ है
  • तर्पण के बाद ध्यान और प्रार्थना करें

यदि पितरों की तिथि ज्ञात न हो तो कब करें जल तर्पण

बहुत से लोगों को अपने पूर्वजों की मृत्यु तिथि या श्राद्ध तिथि ज्ञात नहीं होती। ऐसे में अमावस्या तिथि को जल तर्पण करना सर्वमान्य और शुभ माना गया है। पितृ पक्ष की अंतिम तिथि यानी पितृ अमावस्या (इस वर्ष 21 सितंबर 2025) को उन सभी पितरों के लिए तर्पण किया जा सकता है जिनकी तिथि ज्ञात नहीं है।

विशेष निर्देश:

  • इस दिन सर्वपितृ श्राद्ध किया जाता है
  • यह तर्पण उन पितरों के लिए होता है जिनकी मृत्यु तिथि, नाम या गोत्र ज्ञात नहीं है
  • इसे सर्वपितृ तर्पण या अनाम पितृ तर्पण भी कहा जाता है
  • इस दिन किया गया तर्पण सभी पितरों को तृप्त करता है और विशेष पुण्य प्रदान करता है

मंत्र और विधि में कोई परिवर्तन नहीं होता

  • वही विधि अपनाएं जो सामान्य तर्पण में होती है
  • मंत्र: “ॐ पितृभ्यः स्वधा नमः” – 11 बार उच्चारण
  • दिशा: दक्षिण
  • उंगली: अंगूठा
  • कुशा की अंगूठी पहनना अनिवार्य

डिस्क्लेमर

यह लेख धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं पर आधारित है। पाठकों से अनुरोध है कि किसी भी कर्म को करने से पहले योग्य पंडित या धार्मिक गुरु से परामर्श अवश्य लें। यह सामग्री केवल सूचना और श्रद्धा के उद्देश्य से प्रस्तुत की गई है।
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Richa Sahay

ऋचा सहाय — पत्रकारिता और न्याय जगत की एक सशक्त आवाज़, जिनका अनुभव दोनों क्षेत्रों में अद्वितीय है। वर्तमान में The 4th Pillar की वरिष्ठ समाचार संपादक के रूप में कार्यरत ऋचा सहाय दशकों से राजनीति, समाज, खेल, व्यापार और क्राइम जैसी विविध विषयों पर बेबाक, तथ्यपूर्ण और संवेदनशील लेखन के लिए जानी जाती हैं। उनकी लेखनी की सबसे खास बात है – जटिल मुद्दों को सरल, सुबोध भाषा में इस तरह प्रस्तुत करना कि पाठक हर पहलू को सहजता से समझ सकें।पत्रकारिता के साथ-साथ ऋचा सहाय एक प्रतिष्ठित वकील भी हैं। LLB और MA Political Science की डिग्री के साथ, उन्होंने क्राइम मामलों में गहरी न्यायिक समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण स्थापित किया है। उनके अनुभव की गहराई न केवल अदालतों की बहसों में दिखाई देती है, बल्कि पत्रकारिता में उनके दृष्टिकोण को भी प्रभावशाली बनाती है।दोनों क्षेत्रों में वर्षों की तपस्या और सेवा ने ऋचा सहाय को एक ऐसा व्यक्तित्व बना दिया है जो ज्ञान, निडरता और संवेदनशीलता का प्रेरक संगम है।

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