रायपुर । छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले से जुड़े मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की विशेष अदालत ने पूर्व मंत्री कबासी लखमा की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है। ED की विशेष अदालत में उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई हुई थी।
कवासी लखमा ने ईओडब्ल्यू की कार्रवाई से बचने के लिए अग्रिम जमानत याचिका लगाई थी। इस याचिका पर मंगलवार को सुनवाई हुई थी कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था। बुधवार को कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया। वहीं, मंगलवार कोर्ट ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत बढ़ा दी थी। कवासी लखमा अब 18 फरवरी तक जेल में रहेंगे।
इस मामले में अगली सुनवाई 18 फरवरी को होगी। कवासी लखमा के वकील ने कोर्ट ने कहा कि ईओडब्ल्यू ने एफआईआर के आधार गिरफ्तारी की है। कवासी लखमा अभी कोंटा विधानसभा सीट से विधायक हैं। गिरफ्तारी से पहले सरकार की मंजूरी लेनी थी। बिना सरकारी अनुमति के पुलिस कार्रवाई कर रही है।
हर महीने 50 लाख रुपये मिले
वहीं, ईओडब्ल्यू ने कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा को हर महीने 50 लाख रुपए शराब कार्टल से कमीशन मिलता था। इसके साथ ही विभागीय मंत्री होने के कारण उन्होंने विभाग में हो रही गड़बड़ियों को रोकने के लिए कुछ नहीं किया। इसलिए उनकी अग्रिम जमानत याचिका स्वीकार नहीं की जानी चाहिए। जिसके बाद दोनों पक्षों का तर्क सुनने के बाद जमानत याचिका को खारिज कर दिया है।
क्या है शराब घोटाले में आरोप
ईडी का आरोप है कि पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा शराब सिंडिकेट का अहम हिस्सा थे। कवासी लखमा के निर्देश पर ही पूरा सिंडिकेट काम करता था। लखमा ने शराब नीति बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। जिससे छत्तीसगढ़ में एफएल-10 लाइसेंस की शुरुआत हुई। 3 साल तक शराब घोटाला चला। लखमा को हर महीने 2 करोड़ रुपए मिलते थे। इस दौरान 36 महीने में लखमा को 72 करोड़ रुपए मिले। उन्होंने इस पैसे से सुकमा में अपने बेटे का घर बनवाया और सुकमा में ही कांग्रेस भवन का निर्माण करवाया था।
कितने का है शराब घोटाला
ईडी का आरोप है कि छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले से सरकारी राजस्व को बड़ा नुकसान पहुंचाया गया है। शराब सिंडिकेट के लोगों की जेबों ने शराब के जरिए करीब 2,100 करोड़ रुपए से अधिक की अवैध कमाई की है।