Wednesday, July 2, 2025
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रिलायंस मार्ट की लिफ्ट बना मौत का फंदा? मेंटिनेंस की घोर अनदेखी से सहमी ग्राहक

रायपुर । देश की जानी-मानी रिटेल कंपनी रिलायंस मार्ट में सुरक्षा मानकों की अनदेखी अब ग्राहकों की जान पर बन आई है। आज दोपहर में मोवा स्थित स्टोर में एक युवती तकरीबन 10 मिनट तक लिफ्ट में फंसी रही,और यह कोई पहली बार नहीं है। यह घटना ग्राहकों की सुरक्षा पर गंभीर प्रश्न खड़ा कर रही है ।

घबराई युवती, मूक सिस्टम

लिफ्ट के भीतर फंसी युवती की मदद की पुकारें जब सुनी गईं, तो बाकी ग्राहक और स्टाफ में हड़कंप मच गया। तकनीकी टीम की मदद से दरवाज़ा खोलकर उसे बाहर निकाला गया। हालांकि वह किसी भी तरह की शारीरिक चोट से बच गई, लेकिन मानसिक रूप से काफी घबराई हुई दिखी।

हर महीने दोहराया जाता है डर

मार्ट के मौजूदा कर्मचारियों ने खुलासा किया कि यह कोई पहली घटना नहीं है। लिफ्ट में फंसने की घटनाएं महीने में तीन से चार बार होती हैं। इसका सबसे बड़ा कारण नियमित मेंटिनेंस की कमी है। क्या रिलायंस जैसे ब्रांड पर अब भरोसा किया जा सकता है?

मैनेजर का गोलमोल जवाब, ज़िम्मेदारी से पल्ला झाड़ा

घटना की पुष्टि के प्रयास में जब संवाददाता ने रिलायंस मार्ट के मैनेजर प्रिंस कुमार गुप्ता से संपर्क किया, तो पहले वे संवाद करने में स्पष्ट रूप से असहज नजर आए। हालांकि बाद में उन्होंने संक्षिप्त प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “हमने पहले लिफ्ट का मेंटिनेंस कराया था, लेकिन आज फिर एक ग्राहक लिफ्ट में फंस गई। उसे सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया।”

इसके साथ ही उन्होंने यह जोड़ते हुए ज़िम्मेदारी से किनारा कर लिया कि, “मैं तो केवल एक कर्मचारी हूं, इस विषय में विस्तृत जानकारी केवल कंपनी स्तर से ही मिल सकती है।”

उनका यह बयान न सिर्फ प्रबंधन की असंवेदनशीलता को दर्शाता है, बल्कि यह भी इंगित करता है कि पूरी व्यवस्था में स्पष्टता और जवाबदेही का अभाव है।

जिला प्रशासन से सख़्त कार्रवाई की मांग

स्थानीय नागरिकों और ग्राहकों ने प्रशासन से अपील की है कि इस तरह की घोर लापरवाही पर त्वरित और कठोर कदम उठाए जाएं। अब और इंतज़ार नहीं,कल कोई हादसा हो गया तो ज़िम्मेदार कौन होगा?

लिफ्ट में फँसने से हो सकते हैं ये जोखिम:

  • घबराहट और घुटन की स्थिति: बंद वातावरण में ऑक्सीजन की कमी और अकेलेपन से घबराहट बढ़ सकती है
  • तकनीकी खराबी के चलते चोट का खतरा
  • मनोवैज्ञानिक असर: कुछ लोगों में इसके बाद लिफ्ट का डर यानी “क्लौस्ट्रोफोबिया” विकसित हो सकता है
  • विशेष स्थिति में जान का खतरा: अगर लिफ्ट फँसने के साथ-साथ बिजली कट हो जाए या अलार्म काम न करे

विशेषज्ञों की राय

सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि किसी भी सार्वजनिक भवन में लिफ्ट की नियमित जाँच और मेंटिनेंस बेहद ज़रूरी है। किसी भी प्रकार की लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है।

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