कोलकाता, 1 जुलाई 2025: कोलकाता में एक प्रतिष्ठित लॉ कॉलेज की छात्रा के साथ हुए सामूहिक बलात्कार मामले में आज सभी आरोपियों को कोर्ट में पेश किया जाएगा। इस जघन्य घटना ने पश्चिम बंगाल की राजनीति में भूचाल ला दिया है, और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सरकार पर तीखा हमला बोला है। बीजेपी ने इस घटना को “राज्य प्रायोजित क्रूरता” करार दिया है और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से सीधे इस्तीफे की मांग की है।
बीजेपी के आरोप और हमला:
बीजेपी का कहना है कि पश्चिम बंगाल में कानून-व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है और तुष्टिकरण की राजनीति के कारण ऐसी घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आरोप लगाया कि यह घटना राज्य प्रायोजित है और टीएमसी से जुड़े तत्वों ने इसे अंजाम दिया है। उन्होंने ममता बनर्जी से जवाबदेही तय करने और तत्काल इस्तीफा देने की मांग की।
केंद्रीय मंत्री और बंगाल बीजेपी अध्यक्ष सुकांत मजूमदार को भी इस मामले में विरोध प्रदर्शन के दौरान हिरासत में लिया गया। उन्होंने कहा कि यह पश्चिम बंगाल में लोकतंत्र का असली चेहरा है, जहां ममता बनर्जी ने राज्य में लोकतंत्र को बर्बाद कर दिया है। बीजेपी के अन्य नेताओं ने भी ममता सरकार पर महिलाओं की सुरक्षा के प्रति संवेदनहीन होने का आरोप लगाया है।
टीएमसी के बयानों पर विवाद:
इस मामले में टीएमसी के कुछ नेताओं के बयानों ने भी विवाद को जन्म दिया है। टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी और विधायक मदन मित्रा के बयानों पर पार्टी के भीतर से भी सवाल उठे हैं। कल्याण बनर्जी ने कथित तौर पर कहा था कि “अगर दोस्त ही रेप करे तो सरकार क्या कर सकती है?”, जिस पर व्यापक रोष देखने को मिला। हालांकि, पार्टी ने बाद में इन बयानों से खुद को अलग कर लिया। टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने भी इन बयानों की आलोचना की है।
आगे की राह:
कोलकाता पुलिस ने इस मामले में मुख्य आरोपी टीएमसी छात्र नेता सहित चार लोगों को गिरफ्तार किया है और जांच के लिए एक पांच सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है। आज कोर्ट में आरोपियों की पेशी के बाद आगे की कानूनी कार्यवाही शुरू होगी।
यह घटना पश्चिम बंगाल में आगामी चुनावों से पहले एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गई है, और बीजेपी लगातार इस मामले को लेकर ममता सरकार को घेरने का प्रयास कर रही है। कानून-व्यवस्था और महिला सुरक्षा जैसे मुद्दे राज्य की राजनीति में अब और भी ज्यादा गरमा गए हैं।