रायपुर । रायपुर से सटे बोर्झरा गांव में 200 वर्ष पुराने हनुमान मंदिर के जीर्णोद्धार की आड़ में 75 एकड़ सरकारी भूमि पर अवैध प्लॉटिंग का मामला सामने आया है, जिसने पूरे क्षेत्र की सामाजिक और राजनीतिक जमीन को हिला दिया है। इस निर्माण कार्य में उद्योग और राजनीति के दिग्गज खुले तौर पर शामिल नजर आ रहे हैं।
धार्मिक आस्था या व्यापारिक चाल?
मंदिर जीर्णोद्धार के नाम पर आयोजित समारोह में शेरिक इंडस्ट्री के डायरेक्टर श्याम अग्रवाल और श्रीराम लॉजिस्टिक पार्क के पार्टनर योगेश जैन, अभिषेक अग्रवाल, राकेश साहू और अनिल अग्रवाल ने प्रमुख भागीदारी निभाई। मुख्य अतिथि के रूप में भाजपा नेता वसंत अग्रवाल उपस्थित रहे। उनकी उपस्थिति ने इस आयोजन को वैधता का मुखौटा जरूर पहनाया , लेकिन वास्तविकता कहीं ज़्यादा जटिल और चिंता जनक है।
ज़मीन के सौदों की परतें—कानून के परे की कहानी
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, करीब 64 एकड़ ज़मीन का निजी व्यवसायियों के नाम एग्रीमेंट किया गया है , बिना किसी स्पष्ट डायवर्शन या अधिसूचना के। सबसे चौंकाने वाली बात ज़मीन की बुकिंग कार्यक्रम के मंच से ही शुरू कर दी गई, जबकि कैमरे के सामने इससे इनकार किया गया। यही नहीं, मौके पर प्लॉटिंग के बोर्ड और बुकिंग गतिविधियाँ खुलकर संचालित होती देखी गईं।
गांव का आक्रोश: “आस्था के साथ छल”
स्थानीय नागरिकों में इस पूरे प्रकरण को लेकर भारी आक्रोश है। वरिष्ठ ग्रामीणों का आरोप है कि मंदिर के नाम पर गाँव की ज़मीन हड़प ली गई, जिसमें 5 एकड़ “घास भूमि” और सरकारी धरसा भी शामिल है, जिसका व्यावसायिक उपयोग पूरी तरह से गैर-कानूनी है।
प्रशासनिक निष्क्रियता या संरक्षित मिलीभगत?
इस मामले की सबसे चिंताजनक बात यह है कि इतने बड़े पैमाने पर हुए सौदों के बावजूद अब तक किसी भी स्तर पर प्रशासनिक हस्तक्षेप नहीं हुआ। क्या यह अधिकारियों की अनदेखी है, या फिर सत्तासीन संरक्षण तले फल-फूल रही साजिश?
कानूनी धरातल पर सीधा उल्लंघन
भूमि विकास अधिनियम के तहत बिना डायवर्शन, अनुमति और भू-उपयोग परिवर्तन के कोई भी व्यावसायिक प्लॉटिंग गैर-कानूनी है। इसके बावजूद, इन निर्माण गतिविधियों पर कोई रोक न लगना प्रशासन की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
सड़क पर उतरने की चेतावनी: ग्रामीणों की हुंकार
ग्रामवासियों ने स्पष्ट चेतावनी दी है,यदि प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई नहीं की, तो वे सड़कों पर उतरेंगे और इस धोखाधड़ी का सशक्त विरोध करेंगे।
अब देखना यह है कि सरकार इस जमीनी घोटाले पर कार्यवाही करेगी, या चुप्पी साधे बैठी रहेगी।