Tuesday, July 1, 2025
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सुप्रीम कोर्ट में नाबालिग की गुहार: “मेरी शादी तोड़ो, जान का खतरा है!”; जबरन विवाह और शिक्षा के अधिकार की लड़ाई

रायपुर, छत्तीसगढ़: देश की सर्वोच्च अदालत, सुप्रीम कोर्ट, आज यानी 18 जून को एक दिल दहला देने वाले मामले की सुनवाई कर रहा है। एक साढ़े सोलह साल की नाबालिग लड़की ने अपनी जबरन हुई शादी को रद्द करने और अपनी जान को खतरे का हवाला देते हुए सुरक्षा की मांग को लेकर याचिका दायर की है। यह मामला बाल विवाह की भयावहता और लड़कियों के शिक्षा के अधिकार के हनन को उजागर करता है।

जस्टिस उज्ज्वल भुइयां और जस्टिस मनमोहन की पीठ इस संवेदनशील याचिका पर सुनवाई कर रही है। याचिकाकर्ता लड़की ने अपने पति पर शादी के लिए दबाव डालने का गंभीर आरोप लगाया है और उसके खिलाफ उचित निर्देश देने की भी मांग की है।

जबरन शादी और कैद की दास्तान

याचिका में लगाए गए आरोपों के मुताबिक, इस नाबालिग की शादी उसकी इच्छा के विरुद्ध 9 दिसंबर 2024 को कर दी गई थी, जब वह सिर्फ साढ़े सोलह साल की थी। लड़की का दावा है कि वह अपनी पढ़ाई जारी रखना चाहती थी, लेकिन उसके ससुराल वालों ने उसे कथित तौर पर कैद करके रखा हुआ था। लड़की के अनुसार, उसके ससुर ने उसे उसके माता-पिता के पास लौटने की इजाजत देने का वादा किया था, लेकिन उसे बंधक बना लिया गया।

यह रिट याचिका नाबालिग लड़की ने अपने एक दोस्त के माध्यम से दायर की है। इसमें साफ कहा गया है कि उसकी इच्छा अपनी शिक्षा जारी रखने की थी, लेकिन जबरदस्ती उसका बाल विवाह करा दिया गया। अब जब वह इस विवाह का विरोध कर रही है, तो उसकी जान को खतरा है।

दहशत में भागी, सुरक्षा की आस

नाबालिग ने अदालत को बताया है कि वह इस समय अपने एक दोस्त के साथ फरार है और उसे डर है कि अगर वे बिहार लौटेंगे तो उन्हें मार दिया जाएगा। लड़की ने खुलासा किया कि उसके माता-पिता ने करीब छह महीने पहले उसकी शादी एक 32 या 33 साल के व्यक्ति से जबरन करा दी थी। चौंकाने वाली बात यह है कि शादी के तुरंत बाद ही उसे विदा कर दिया गया, जबकि उसकी दसवीं की बोर्ड परीक्षाएं नजदीक थीं।

याचिका में यह भी बताया गया है कि उसके ससुराल वालों ने दावा किया है कि उन्होंने शादी के लिए बहुत पैसा खर्च किया है और वे उससे बार-बार एक बच्चा पैदा करने के लिए कह रहे थे। लड़की के पति, जो एक सिविल ठेकेदार है, ने कथित तौर पर यह भी दावा किया है कि याचिकाकर्ता के माता-पिता उसके कर्जदार हैं और उसे शिक्षिका या वकील बनने के अपने सपने को पूरा करने के लिए आगे की पढ़ाई करने के बजाय विवाह जारी रखना होगा।

न्याय और सुरक्षा की मांग

इस गंभीर स्थिति में, लड़की ने सुप्रीम कोर्ट से अपनी शादी को तुरंत रद्द करने और बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के तहत अपने ससुराल वालों और पति के खिलाफ मुकदमा चलाने के निर्देश देने की मांग की है। इसके साथ ही, उसने अधिकारियों को अपनी और अपनी दोस्त की सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश देने की भी गुहार लगाई है, ताकि उन्हें बिहार लौटने पर किसी तरह का नुकसान न हो।

यह मामला भारत में बाल विवाह के खिलाफ जारी लड़ाई में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है और यह देखना बाकी है कि सुप्रीम कोर्ट इस नाबालिग की याचिका पर क्या फैसला सुनाता है।

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