Tuesday, July 1, 2025
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तानाशाही की भयावह रात पर डॉ संपत अग्रवाल का विस्फोट,बोले-लोकतंत्र की लाश पर रचा गया था सत्ता का ताज

रायपुर/बसना । यह कोई साधारण तारीख नहीं, यह भारतीय लोकतंत्र की छाती पर दर्ज एक काला धब्बा है। बसना विधायक डॉ संपत अग्रवाल की यह गूंजती हुई आवाज़ उस आक्रोश का प्रतीक बनी जब उन्होंने आपातकाल की 50वीं बरसी पर कांग्रेस पर करारा हमला बोला। उनका कहना था कि 25 जून 1975 की रात को इंदिरा गांधी की सत्ता की लालसा ने न केवल संविधान को झुका दिया, बल्कि पूरे लोकतांत्रिक तंत्र को गिरवी रख दिया गया।

भारत की आत्मा को कैद किया गया: विधायक डॉ अग्रवाल की तीखी चेतावनी

विधायक डॉ अग्रवाल ने सख्त लहजे में कहा कि उस काली रात को केवल विरोधी नेता ही नहीं, सच्चाई, अभिव्यक्ति, और न्याय तक को सलाखों के पीछे डाल दिया गया।उनका आरोप था कि मीडिया को चुप करवा दिया गया, न्यायपालिका को पंगु बना दिया गया और विपक्षी नेताओं को लोकतंत्र का दुश्मन घोषित कर जेलों में ठूंसा गया।

इंडिया इज़ इंदिरा, इंदिरा इज़ इंडिया-यह नारा नहीं, यह लोकतंत्र के शव पर बोला गया राजनीतिक हथौड़ा था।

मीसा के साए में कैद देशभक्ति

विधायक डॉ अग्रवाल ने कहा कि मीसा (Maintenance of Internal Security Act) के तहत 1,40,000 से अधिक देशभक्तों को बंदी बनाया गया, जिनका अपराध सिर्फ इतना था कि उन्होंने सत्ता के खिलाफ़ अपनी आवाज़ उठाई। कांग्रेस का अतीत तानाशाही और दमन का दस्तावेज़ है, जिसे अब युवा पीढ़ी के सामने लाना होगा।

भाजपा का ऐलान:इतिहास को दोहराने नहीं देंगे

इस अवसर पर भाजपा ने स्पष्ट संदेश दिया कि वह आपातकाल जैसी स्थिति को दोबारा जन्म नहीं लेने देगी। विधायक डॉ संपत अग्रवाल में कहा कि अब यह हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम अगली पीढ़ी को बताएं कि लोकतंत्र की नींव किन संघर्षों की बदौलत खड़ी हुई है। विधायक डॉ अग्रवाल ने चेतावनी दी कि जो इतिहास से नहीं सीखते, उनके लिए इतिहास सज़ा बन जाता है।

नोटबंदी, GST और कोरोना के बाद का भारत-एक बदला हुआ लोकतंत्र

विधायक डॉ अग्रवाल ने वर्तमान भारत का जिक्र करते हुए कहा कि अब जनता ज़्यादा जागरूक है, सूचना के माध्यम और मजबूत हुए हैं और लोकतांत्रिक चेतना पहले से कहीं अधिक सशक्त हो चुकी है। विधायक डॉ अग्रवाल ने कहा अब जनता सवाल पूछती है और जवाब मांगती है, और यही सच्चे लोकतंत्र की पहचान है।

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