रायपुर शहर हुआ जलमग्न: एक रात की बारिश ने खोल दी निगम की पोल, और प्रशासन बना अंधा राजा
स्वच्छता पुरस्कार के दावों के बीच जनता जलभराव से बेहाल,जनता त्रस्त, व्यवस्था ठप ..अब जवाब कौन देगा?

रायपुर । राजधानी रायपुर में शुक्रवार रात की लगातार बारिश ने नगर निगम की तैयारियों की पोल खोल दी। जिस शहर को हाल ही में स्वच्छता पुरस्कार से नवाजा गया था, वहीं एक रात की बारिश ने ऐसी तस्वीरें पेश कीं कि हर वार्ड जल में डूबा नज़र आया।यातायात बाधित हुआ, घरों में पानी घुसा और लोग पूरी रात जागकर अपने घरों से पानी निकालते रहे। प्रशासन मौन था, और नगर निगम की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए।
हर मोहल्ला हर वार्ड बना जलाशय
सोनडोगरी, हीरापुर, महावीर नगर, राजेंद्र नगर, मोवा, टिकरापारा, डंगनिया, भाटागांव, कुशालपुर से लेकर डीडी नगर तक, कोई भी मोहल्ला जलभराव से अछूता नहीं रहा। सड़कों पर पानी का सैलाब, सीवर का जाम और ओवरफ्लो होती नालियाँ उस वादे को मुँह चिढ़ाती दिखीं, जिसे नगर निगम ने “बारिश पूर्व जलभराव रोकने की योजना” कहकर प्रचारित किया था।
जनता त्रस्त, व्यवस्था ध्वस्त
जनता त्रस्त और व्यवस्था ध्वस्त हाल है।लोगों के घरों में पानी भर गया। बच्चों की किताबें, बुजुर्गों की दवाइयाँ, इलेक्ट्रॉनिक सामान तक भीग गया। नागरिकों का कहना है कि यह घटना कोई नई नहीं है, हर साल यही होता है, पर इस बार हालात गंभीर थे। वायरल हो रहे सोशल मीडिया वीडियो रातभर जागते परिवारों और बहते घरों की दास्ताँ सुना रहे हैं।
निगम के खोखले दावे
नगर निगम के अधिकारियों ने दावा किया था कि बारिश से पहले ही नालियों की सफाई और जल निकासी की व्यवस्था कर ली गई है। परंतु जब पूरी रात जनता बाल्टी और डिब्बों से पानी निकालती रही, तो निगम की तैयारियाँ “दावा ज्यादा, काम कम” सिद्ध हुईं। नगर निगम की मानसिकता पर तंज करते हुए जनता कह रही है ,”मैं तो अपनी मस्ती में, आग लगे तेरी बस्ती में।”
प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल
आपदा की घड़ी में जिला प्रशासन न तो अलर्ट नज़र आया और न ही राहत कार्यों में सक्रिय। मौके पर पहुँचने के बजाय अधिकारी दूरी बनाए रहे। यही वह रवैया है जिसने इस मौसमीय घटना को एक प्रशासनिक आपदा बना दिया।
महापौर से सवाल: क्या यही है आपकी ‘स्वच्छ राजधानी’?
जनता ने महापौर से सवाल किया, क्या यही है आपकी ‘स्वच्छ राजधानी’? महापौर महोदय, जिस रायपुर को हाल ही में स्वच्छता पुरस्कार मिला, उसी शहर की नालियाँ इतनी साफ हैं कि एक रात की बारिश ने उन्हें उफनते नालों में बदल दिया। आखिर यह पुरस्कार किस बुनियाद पर मिला? स्वच्छता सर्वेक्षण की टीम को ऐसे वीडियो और तस्वीरें क्यों नहीं दिखतीं, जो हर साल यही बदहाली दर्शाते हैं?
रिपोर्ट कार्ड तैयार, जमीन पर सन्नाटा
सरकार चाहे जिसकी भी हो । निगम के अधिकारी लापरवाही निभाने में ईमानदार हैं। लाखों-करोड़ों के बिल बनते हैं, जिसमें “पूर्ण सफाई” का दावा तो होता है, लेकिन जमीनी हकीकत अलग है। जिन गलियों में जलभराव हुआ वहां निगम का कोई प्रतिनिधि दिखा नहीं। यही सवाल खड़ा करता है कि क्या अधिकारी सिर्फ दफ्तरों तक सीमित रहेंगे या कभी उस गली में कदम रखेंगे जहां जनता परेशान है? प्रशासन बताए कि जवाबदेही किसकी?
आखिर जवाबदेही किसकी?
अब वक्त आ गया है कि जिम्मेदारी तय की जाए। निगम हो या प्रशासन, जनता को राहत नहीं, बल्कि लापरवाही की सज़ा मिली है। रायपुर की बारिश अब केवल बादलों की मेहर नहीं, एक सिस्टम की नाकामी का आईना है।