छत्तीसगढ़ में मंत्रिमंडल विस्तार पर सहमति,अगले हफ्ते तक छत्तीसगढ़ को मिल सकते हैं नए मंत्री

रायपुर । छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर सुगबुगाहट तेज हो गई है। खबर है कि छत्तीसगढ़ सरकार हरियाणा की तर्ज पर 14 मंत्रियों का फार्मूला अपना सकती है। छत्तीसगढ़ सरकार को अगले हफ्ते तक नए मंत्री मिल सकते हैं।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के सामने नए मंत्रियों के नाम को लेकर बातचीत के संकेत मिल रहे हैं। राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिव प्रकाश और प्रभारी नितिन नबीन 8 अप्रैल को रायपुर आएंगे। कहा तो ये भी जा रहा कि वे मंत्रियों के नाम का लिफाफा लेकर आ रहे हैं। संगठन के शीर्ष नेताओं के दौरे पर मंत्रियों के नए नामों का ऐलान हो सकता है।

इस समय मुख्यमंत्री प्लस 10 मंत्री हैं। हालांकि, 21 दिसंबर 2023 को शपथ 11 मंत्रियों का हुआ था। मगर बृजमोहन अग्रवाल के सांसद चुने जाने के बाद उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और इसके साथ मंत्रिमंडल में रिक्त सीटों की संख्या बढ़कर एक से दो हो गई।

चूकि इतने छोटे मंत्रिमंडल में दो मंत्रियों की कमी काफी होती है। करीब 10 परसेंट। इससे मंत्रियों के कामकाज पर भी प्रभाव पड़ रहा है। स्थिति यह है कि जिन मंत्रियों में एक विभाग संभालने की क्षमता नहीं, उन्हें दो-दो, तीन-तीन विभाग मिल गए हैं। मंत्री विभागों के बोझ से दबे हुए हैं।

उप मुख्यमंत्रियों के पास सबसे अधिक वर्क लोड

दोनों उप मुख्यमंत्रियों के पास सबसे अधिक वर्क लोड है। डिप्टी सीएम अरुण साव के पास अरुण साव के पास पीडब्लूडी, नगरीय प्रशासन और पीएचई है। ये तीनों विभाग कभी भी किसी एक मंत्री के पास नहीं रहा। कोई कितना भी काबिल मंत्री हो, ये तीनों विभाग नहीं संभाल सकता। इनमें सबसे छोटा विभाग पीएचई में ही 25 हजार करोड़ का जलग्रहण मिशन का कार्य चल रहा है। यही हाल दूसरे डिप्टी सीएम विजय शर्मा का है। उनके पास गृह, जेल के साथ ही पंचायत और तकनीकी शिक्षा है। ये तीनों विभाग एक मंत्री संभाले ये कतई संभव नहीं।

किसी मंत्री को ड्रॉप नहीं

इस बार किसी मंत्री को ड्रॉप नहीं किया जाएगा। बीजेपी के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि सवा साल का टाईम बहुत कम होता है। किसी भी स्टेट में सिर्फ परफर्मेंस के आधार पर साल भर में मंत्री नहीं बदला जाता। अगर कोई बड़ा स्कैम या स्कैंडल सामने आ जाए तभी मंत्रियों को इतना जल्द हटाया जाता है। जाहिर है, अगर साल भर में मंत्री बदलने लगे तब तो फिर खौफ में आकर मंत्री काम ही नहीं कर पाएंगे। फिर पार्टी नेतृत्व के सलेक्शन पर भी सवाल खड़े होंगे कि बिना होम वर्क के मंत्री कैसे बना दिया गया। इसलिए किसी मंत्री को हटाया नहीं जाएगा। विभाग जरूर बदले जाएंगे।

तीन मंत्री कौन?

विष्णुदेव कैबिनेट में तीन नए मंत्रियों में दो नाम तो पुराने ही हैं। पुराने से मतलब ये दोनों नाम पिछले तीन महीने से पब्लिक डोमेन में हैं। इनमें अमर अग्रवाल और गजेंद्र यादव हैं। दोनों नाम अभी भी चर्चा में बने हुए हैं। अमर अग्रवाल मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के पसंद हैं तो गजेंद्र पार्टी के। संघ पृष्ठभूमि के गजेंद्र को बिहार इलेक्शन के संदर्भ में मंत्री बनाना आवश्यक माना जा रहा है। बिहार में विधानसभा चुनाव है और बीजेपी इस बार वहां कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। मुसलमान और यादवों का गठजोड तोड़े बिना बिहार में बीजेपी सरकार नहीं बना सकती। लिहाजा, यादवों को अपने पाले में करने के लिए बीजेपी पूरे देश में यादव कार्ड खेल रही है। मध्यप्रदेश में मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाया गया।

इनकी है प्रबल दावेदारी

विष्णुदेव कैबिनेट के तीसरे मंत्री के लिए रायपुर विधायक राजेश मूणत और पुरंदर मिश्रा की प्रबल दावेदारी थी। मगर अब ऐसा कहा जा रहा है कि पुरंदर मिश्रा का नाम लगभग फायनल हो गया है। पुरंदर के लिए देश भर से ओड़िसा समाज का प्रेशर है। विधानसभा चुनाव के दौरान जब पुरंदर मिश्रा को टिकिट मिली तो उस समय भी इसी प्रेशर की चर्चा थी।

कांग्रेस से बीजेपी में आने वाले पहले मंत्री

पुरंदर मिश्रा अगर मंत्री बनते हैं तो छत्तीसगढ़ बनने के बाद कांग्रेस से बीजेपी में आकर मंत्री पद प्राप्त करने वाले वे पहले व्यक्ति होंगे। अभी तक कांग्रेस से बीजेपी में शामिल होकर कोई नेता मंत्री पद तक नहीं पहुंचा। बहरहाल, पुरंदर मिश्रा के मंत्री बनने के बाद पांच बार के विधायक धर्मजीत सिंह की भी आगे चलकर मंत्री बनने की संभावनाएं बन सकती है।

Richa Sahay

ऋचा सहाय — पत्रकारिता और न्याय जगत की एक सशक्त आवाज़, जिनका अनुभव दोनों क्षेत्रों में अद्वितीय है। वर्तमान में The 4th Pillar की वरिष्ठ समाचार संपादक के रूप में कार्यरत ऋचा सहाय दशकों से राजनीति, समाज, खेल, व्यापार और क्राइम जैसी विविध विषयों पर बेबाक, तथ्यपूर्ण और संवेदनशील लेखन के लिए जानी जाती हैं। उनकी लेखनी की सबसे खास बात है – जटिल मुद्दों को सरल, सुबोध भाषा में इस तरह प्रस्तुत करना कि पाठक हर पहलू को सहजता से समझ सकें।पत्रकारिता के साथ-साथ ऋचा सहाय एक प्रतिष्ठित वकील भी हैं। LLB और MA Political Science की डिग्री के साथ, उन्होंने क्राइम मामलों में गहरी न्यायिक समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण स्थापित किया है। उनके अनुभव की गहराई न केवल अदालतों की बहसों में दिखाई देती है, बल्कि पत्रकारिता में उनके दृष्टिकोण को भी प्रभावशाली बनाती है।दोनों क्षेत्रों में वर्षों की तपस्या और सेवा ने ऋचा सहाय को एक ऐसा व्यक्तित्व बना दिया है जो ज्ञान, निडरता और संवेदनशीलता का प्रेरक संगम है।

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