रायपुर । यह आयोजन हिंदी साहित्य के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ। साहित्य अकादमी द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी जी के साहित्यिक योगदान को व्यापक रूप से सराहा गया। इस सम्मेलन में छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों से आए साहित्यकारों ने हिंदी साहित्य के विकास और संरक्षण को लेकर गहन चर्चा की।
मुख्य वक्ता प्रो. चंद्रशेखर ने बख्शी जी को देश के पहले समालोचक के रूप में मान्यता दी और उनके तुलनात्मक साहित्य अध्ययन को रेखांकित किया। इस दौरान साहित्य अकादमी अध्यक्ष शशांक शर्मा ने साहित्य को समाज के हर वर्ग तक पहुँचाने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।
कार्यक्रम में साहित्यिक कार्यशालाएँ, परिचर्चाएँ और नवोदित लेखकों को प्रोत्साहित करने की योजनाओं पर विशेष बल दिया गया। इसके अलावा, डिजिटल प्लेटफॉर्म विकसित करने, ग्रामीण साहित्य उत्सवों का आयोजन करने और शोध केंद्र स्थापित करने जैसी कई नवाचारपूर्ण योजनाओं पर चर्चा हुई।
इस आयोजन से प्राप्त विचारों को लागू करने के प्रयासों के साथ छत्तीसगढ़ में साहित्यिक गतिविधियों को और अधिक सशक्त बनाने की दिशा में कदम बढ़ाए जा रहे हैं। यह सम्मेलन साहित्य जगत में नए आयाम स्थापित करने और हिंदी साहित्य की समृद्ध धरोहर को संरक्षित रखने के लिए एक प्रेरणादायक पहल साबित हुआ।