NPA वसूली पर सरकार का कड़ा रुख, कर्जदारों को नहीं मिलेगा कोई लाभ

वित्त मंत्रालय ने संसद में स्पष्ट किया है कि सरकार बैंकों की ओर से कर्जदारों को दिए गए ऋण को माफ नहीं करती है. वित्त मंत्रालय का ये बयान भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के दिशा-निर्देशों और बैंकों की नीति के आधार पर आया है. मंत्रालय ने बताया कि बैंकों की ओर से ‘नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स’ (NPA) को ‘बट्टे खाते’ में डाले जाने से उधारकर्ताओं की देनदारियां माफ नहीं होती हैं. इसका मतलब ये है कि बट्टे खाते में डालने से उधारकर्ताओं की जवाबदेही खत्म नहीं होती और उन्हें कोई अनुचित लाभ नहीं मिलता.

NPA के मामलों में सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं. पिछले पांच वित्तीय वर्षों में शेड्यूल्ड कमर्शियल बैंकों ने कुल 6,82,286 करोड़ रुपये की वसूली की है. वित्त मंत्रालय के अनुसार बैंकों NPA की स्थिति को सुधारने के लिए वसूली की प्रक्रिया को और सख्त किया है. मंत्रालय ने यह भी बताया कि ऋण वसूली के लिए बैंकों की नीतियों और नियमों को कड़ा किया गया है.

कर्ज वसूली और दिवालियापन की प्रक्रिया में दोषी पाए जाने वाले आरोपियों पर सख्त कानूनी कदम उठाए जा रहे हैं. मंत्रालय ने बताया कि जो लोग कर्ज की वसूली में गड़बड़ी करते हैं या धोखाधड़ी में लिप्त होते हैं उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज किया जा रहा है.

इन मामलों में जहां बड़ी राशि शामिल होती है वहां सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ED) की ओर से कार्रवाई की जाती है. मंत्रालय ने इस बात को भी स्पष्ट किया कि उधारकर्ताओं के खिलाफ सरकार और बैंकों का रुख बहुत कड़ा है ताकि धोखाधड़ी और NPA की समस्या को कंट्रोल में किया जा सके.

Richa Sahay

ऋचा सहाय — पत्रकारिता और न्याय जगत की एक सशक्त आवाज़, जिनका अनुभव दोनों क्षेत्रों में अद्वितीय है। वर्तमान में The 4th Pillar की वरिष्ठ समाचार संपादक के रूप में कार्यरत ऋचा सहाय दशकों से राजनीति, समाज, खेल, व्यापार और क्राइम जैसी विविध विषयों पर बेबाक, तथ्यपूर्ण और संवेदनशील लेखन के लिए जानी जाती हैं। उनकी लेखनी की सबसे खास बात है – जटिल मुद्दों को सरल, सुबोध भाषा में इस तरह प्रस्तुत करना कि पाठक हर पहलू को सहजता से समझ सकें।पत्रकारिता के साथ-साथ ऋचा सहाय एक प्रतिष्ठित वकील भी हैं। LLB और MA Political Science की डिग्री के साथ, उन्होंने क्राइम मामलों में गहरी न्यायिक समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण स्थापित किया है। उनके अनुभव की गहराई न केवल अदालतों की बहसों में दिखाई देती है, बल्कि पत्रकारिता में उनके दृष्टिकोण को भी प्रभावशाली बनाती है।दोनों क्षेत्रों में वर्षों की तपस्या और सेवा ने ऋचा सहाय को एक ऐसा व्यक्तित्व बना दिया है जो ज्ञान, निडरता और संवेदनशीलता का प्रेरक संगम है।

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