पुराने वाहनों पर नया टैक्स: साय सरकार ने दीवाली पर जनता को दिया ‘हिटलरशाही उपहार’ – विकास उपाध्याय

पूर्व विधायक विकास उपाध्याय ने साय सरकार को बताया ‘जनता विरोधी’, कहा-गरीबों की कमाई पर डाका डाल रही भाजपा



रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा पुराने वाहनों की खरीदी-बिक्री पर शोरूम मूल्य के आधार पर 1 प्रतिशत टैक्स वसूली के नए नियम को लेकर प्रदेश की राजनीति गरमा गई है। पूर्व विधायक विकास उपाध्याय ने इस निर्णय को “हिटलरशाही फरमान” बताते हुए भाजपा की साय सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह नियम गरीब और मध्यम वर्ग की जेब पर सीधा हमला है, जिसे दीवाली के मौके पर जनता को “उपहार” के रूप में दिया गया है।

विकास उपाध्याय ने कहा कि छत्तीसगढ़ में हर साल लगभग 1.5 लाख पुराने वाहनों की बिक्री होती है, जिनमें से अधिकांश खरीदार गरीब और मध्यम वर्ग के लोग होते हैं। ऐसे में शोरूम कीमत के आधार पर 1% टैक्स वसूलना न केवल अनुचित है, बल्कि जनता की मेहनत की कमाई को लूटने जैसा है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि 10 लाख की पुरानी गाड़ी पर अब 10 हजार रुपए अतिरिक्त टैक्स देना होगा, जो आम नागरिकों के लिए बड़ा बोझ है।

पूर्व विधायक ने यह भी आरोप लगाया कि साय सरकार लगातार ऐसे नियम ला रही है जो जनता को परेशान करते हैं, चाहे वह जमीन की रजिस्ट्री दरों में बदलाव हो, एचएसआरपी नंबर प्लेट की अनिवार्यता हो या अब यह नया वाहन टैक्स। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की जीएसटी नीति से पहले ही जनता त्रस्त थी, अब राज्य सरकार ने भी टैक्स के नाम पर आम लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।

विकास उपाध्याय ने कहा कि छत्तीसगढ़ की साय सरकार पूरी तरह फेल हो चुकी है। सरकार को यह समझ नहीं आ रहा कि जनता की मूलभूत जरूरतें क्या हैं और उन्हें कैसे पूरा किया जाए। उन्होंने मांग की कि इस नियम को तत्काल प्रभाव से वापस लिया जाए, ताकि गरीब और मध्यम वर्ग को राहत मिल सके।

राज्य के परिवहन विभाग ने इस नियम को अपने ऑनलाइन सिस्टम में अपडेट कर दिया है, जिससे अब टैक्स चुकाए बिना वाहन का नाम ट्रांसफर नहीं हो सकेगा। यह नियम सभी प्रकार के वाहनों—दुपहिया, चारपहिया, ट्रक और मालवाहक—पर लागू होगा, चाहे वाहन कितने भी पुराने क्यों न हों।

इस फैसले से दिल्ली से पुरानी लग्जरी गाड़ियां लाकर छत्तीसगढ़ में बेचने वाले व्यापारियों पर भी असर पड़ेगा, क्योंकि अब उन्हें भी शोरूम कीमत के आधार पर भारी टैक्स देना होगा।

Richa Sahay

ऋचा सहाय — पत्रकारिता और न्याय जगत की एक सशक्त आवाज़, जिनका अनुभव दोनों क्षेत्रों में अद्वितीय है। वर्तमान में The 4th Pillar की वरिष्ठ समाचार संपादक के रूप में कार्यरत ऋचा सहाय दशकों से राजनीति, समाज, खेल, व्यापार और क्राइम जैसी विविध विषयों पर बेबाक, तथ्यपूर्ण और संवेदनशील लेखन के लिए जानी जाती हैं। उनकी लेखनी की सबसे खास बात है – जटिल मुद्दों को सरल, सुबोध भाषा में इस तरह प्रस्तुत करना कि पाठक हर पहलू को सहजता से समझ सकें।पत्रकारिता के साथ-साथ ऋचा सहाय एक प्रतिष्ठित वकील भी हैं। LLB और MA Political Science की डिग्री के साथ, उन्होंने क्राइम मामलों में गहरी न्यायिक समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण स्थापित किया है। उनके अनुभव की गहराई न केवल अदालतों की बहसों में दिखाई देती है, बल्कि पत्रकारिता में उनके दृष्टिकोण को भी प्रभावशाली बनाती है।दोनों क्षेत्रों में वर्षों की तपस्या और सेवा ने ऋचा सहाय को एक ऐसा व्यक्तित्व बना दिया है जो ज्ञान, निडरता और संवेदनशीलता का प्रेरक संगम है।

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