महाराष्ट्र के गोटखिंडी गांव में मस्जिद में विराजते हैं गणपति बप्पा, चार दशक से कायम है हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल
सांगली जिले के गोटखिंडी गांव में 1980 से हर साल गणेश चतुर्थी पर मस्जिद में स्थापित होती है गणपति की मूर्ति, मुस्लिम समुदाय भी उत्सव की तैयारियों में निभाता है अहम भूमिका।


रायपुर, 2 सितंबर 2025 : महाराष्ट्र के सांगली जिले के गोटखिंडी गांव में एक अनोखी परंपरा पिछले 45 वर्षों से सामाजिक और धार्मिक सद्भाव की मिसाल बनी हुई है।
यहां गणेश चतुर्थी का उत्सव मस्जिद के भीतर मनाया जाता है, जहां गणपति बप्पा की मूर्ति स्थापित की जाती है। इस परंपरा की शुरुआत वर्ष 1980 में हुई थी, जब भारी बारिश के कारण हिंदू और मुस्लिम समुदायों ने मिलकर मस्जिद को गणेश प्रतिमा की अस्थायी स्थापना स्थल के रूप में चुना था।
गांव की आबादी लगभग 15,000 है, जिसमें मुस्लिम समुदाय के करीब 100 परिवार शामिल हैं। स्थानीय गणेश मंडल ‘न्यू गणेश तरुण मंडल’ के संस्थापक अशोक पाटिल के अनुसार, इस परंपरा में मुस्लिम समुदाय की सक्रिय भागीदारी रहती है। वे प्रसाद बनाने, पूजा की तैयारियों और आयोजन की व्यवस्थाओं में सहयोग करते हैं।
हर वर्ष गणेश चतुर्थी पर मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के लिए स्थानीय पुलिस अधिकारी और तहसीलदार को आमंत्रित किया जाता है। मूर्ति को मस्जिद में दस दिनों तक विराजमान रखा जाता है और अनंत चतुर्दशी के दिन स्थानीय जलाशय में विसर्जन किया जाता है।
इस धार्मिक समरसता का एक और उदाहरण तब सामने आया जब एक वर्ष बकरीद और गणेश चतुर्थी एक ही दिन पड़े। उस समय मुस्लिम समुदाय ने केवल नमाज अदा कर अपना पर्व मनाया और कुर्बानी से परहेज किया। इतना ही नहीं, वे हिंदू त्योहारों के दौरान मांसाहार से भी दूर रहते हैं, ताकि गांव में सौहार्द बना रहे।
गोटखिंडी गांव की यह परंपरा न केवल महाराष्ट्र बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणा है, जहां धार्मिक विविधता के बीच एकता और सहयोग की भावना जीवंत है। अशोक पाटिल का कहना है कि इस परंपरा ने कभी किसी प्रकार के धार्मिक तनाव को जन्म नहीं दिया, बल्कि हर वर्ष यह उत्सव गांववासियों को और अधिक जोड़ता है।
इस वर्ष गणेश उत्सव की शुरुआत 27 अगस्त से हुई, जिसमें गांव के सभी समुदायों ने मिलकर भाग लिया। यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि सामाजिक समरसता और भाईचारे की भावना को भी मजबूती प्रदान करता है।