किन्नर महामंडलेश्वर हेमांगी सखी मां ने बॉलीवुड एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाए जाने पर कड़ी आपत्ति जताई है. मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा, ‘किन्नर अखाड़ा किसके लिए बना था?
किन्नर समुदाय के लिए. लेकिन अब, एक महिला को किन्नर अखाड़े में शामिल कर लिया गया है. यदि यह किन्नर अखाड़ा है और आपने महिलाओं को पद देना शुरू कर दिया है, तो अखाड़े का नाम बदल देना चाहिए.’
वह जेल जा चुकी हैं
हेमांगी सखी मां ने ममता कुलकर्णी के अतीत पर गंभीर सवाल उठाए. उन्होंने कहा, “ममता कुलकर्णी जैसी फिल्म स्टार, जिनके डी कंपनी से संबंध हैं, जो ड्रग्स के मामले में जेल जा चुकी हैं… पूरी दुनिया यह जानती है. इसके बावजूद आप उन्हें बिना किसी ‘शिक्षा’ के ‘दीक्षा’ देते हैं और महामंडलेश्वर के रूप में अभिषेक करते हैं… आप समाज को कैसा ‘गुरु’ दे रहे हैं?”
‘बिना शिक्षा दीक्षा के महामंडलेश्वर बना दिया’
उन्होंने कुलकर्णी के महामंडलेश्वर बनने की प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए. “उन्हें महामंडलेश्वर बनाने का क्या कारण था? पट्टाभिषेक किया गया लेकिन ‘मुंडन’ नहीं किया गया? क्या यह उचित है? ममता कुलकर्णी की पृष्ठभूमि की जांच की जानी चाहिए थी. उनके डी कंपनी से संबंध हैं. वे अचानक भारत लौटीं, उनके वीडियो वायरल हुए. वे अचानक कुंभ पहुंचीं, उनके वीडियो वायरल हुए. और फिर उन्हें महामंडलेश्वर बनाया गया. इसके पीछे क्या तथ्य हैं? इसकी जांच होनी चाहिए. मैं इसकी कड़ी निंदा करती हूं…”
#WATCH | #MahaKumbhMela2025 | Kinnar Mahamandaleshwar Hemangi Sakhi Maa says, "First of all, who was Kinnar Akhada formed for? For the Kinnar community. But now, a woman has been inducted into the Kinnar Akhada. If it is Kinnar Akhada and you have started giving positions to… pic.twitter.com/qsZl09xSZG
— ANI (@ANI) January 25, 2025
यह ‘पब्लिसिटी स्टंट’ स्टंट
हेमांगी सखी मां ने इसे ‘पब्लिसिटी स्टंट’ करार दिया. “आजकल, एक अखाड़ा पब्लिसिटी के लिए कुछ भी कर सकता है. मैं इसकी निंदा करती हूं…” उनका मानना है कि इस नियुक्ति के पीछे वास्तविक धार्मिक कारणों के बजाय पब्लिसिटी पाने की मंशा अधिक थी.
समाज को गलत संदेश
हेमांगी सखी मां ने आगे कहा, इस तरह की नियुक्तियां समाज को गलत संदेश देती हैं. उन्होंने पूछा कि क्या अखाड़ा समाज को ऐसे व्यक्तियों को गुरु के रूप में प्रस्तुत कर रहा है जिनका अतीत विवादों से घिरा हुआ है. उनके अनुसार, गुरु का पद एक पवित्र पद है और इसे बिना उचित विचार और जांच के किसी को नहीं दिया जाना चाहिए.