संभल मस्जिद विवाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने याचिका खारिज की, ट्रायल कोर्ट में अपील का निर्देश
तालाब और सरकारी जमीन पर बने मस्जिद, बारात घर और अस्पताल के खिलाफ ध्वस्तीकरण आदेश पर रोक की मांग को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। कोर्ट ने मस्जिद कमेटी को ट्रायल कोर्ट में अपील करने की सलाह दी।


रायपुर, 4 अक्टूबर 2025: उत्तर प्रदेश के संभल जिले में तालाब और सरकारी जमीन पर बने धार्मिक और सार्वजनिक निर्माणों को लेकर चल रहे विवाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। मस्जिद शरीफ गोसुलबारा रावां बुजुर्ग और उसके मुतवल्ली की ओर से दाखिल याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता को ट्रायल कोर्ट में अपील करनी चाहिए।
शनिवार को छुट्टी के दिन भी अर्जेंट बेंच में जस्टिस दिनेश पाठक की सिंगल बेंच ने इस मामले की सुनवाई की। याचिका में मस्जिद, बारात घर और अस्पताल के खिलाफ पारित ध्वस्तीकरण आदेश पर रोक लगाने की मांग की गई थी। मस्जिद कमेटी की ओर से अधिवक्ता अरविंद कुमार त्रिपाठी और शशांक श्री त्रिपाठी ने पक्ष रखा।
2 अक्टूबर को शुरू हुई बुलडोजर कार्रवाई
गांधी जयंती और दशहरे के दिन संभल प्रशासन ने अवैध निर्माणों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की। रावां बुजुर्ग गांव में तालाब की जमीन पर बने बारात घर को चार बुलडोजरों की मदद से ध्वस्त कर दिया गया। प्रशासन का दावा है कि मस्जिद का कुछ हिस्सा भी सरकारी जमीन पर बना है। मस्जिद कमेटी ने अवैध हिस्से को स्वयं हथौड़े से तोड़ना शुरू कर दिया था।
कोर्ट ने दस्तावेजों की मांग की, लेकिन राहत नहीं दी
शुक्रवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने मस्जिद की जमीन से जुड़े दस्तावेज मांगे थे, जो शनिवार को पेश किए गए। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि बिना विधिवत ध्वस्तीकरण आदेश के कार्रवाई शुरू की गई, जिससे कानून-व्यवस्था बिगड़ने का खतरा था। हालांकि, कोर्ट ने राज्य सरकार की दलीलों को स्वीकार करते हुए याचिका निस्तारित कर दी।
राज्य सरकार की ओर से सशक्त पक्ष रखा गया
सरकार की ओर से चीफ स्टैंडिंग काउंसिल जे एन मौर्या और स्टैंडिंग काउंसिल आशीष मोहन श्रीवास्तव ने तर्क दिया कि निर्माण तालाब और सरकारी जमीन पर हुआ है, जो अवैध है। कोर्ट ने मस्जिद कमेटी को ट्रायल कोर्ट में अपील करने की सलाह दी और कोई अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया।
200 से अधिक पुलिसकर्मी और PAC तैनात, ड्रोन से निगरानी
2 अक्टूबर की कार्रवाई के दौरान संभल प्रशासन ने इलाके को हाई-सिक्योरिटी जोन में तब्दील कर दिया था। करीब 200 पुलिसकर्मी और PAC के जवान तैनात किए गए थे। ड्रोन की मदद से पूरे ऑपरेशन की निगरानी की गई।
याचिका में कई अधिकारियों को बनाया गया पक्षकार
मस्जिद कमेटी ने अपनी याचिका में प्रदेश सरकार, डीएम, एसपी संभल, एडीएम, तहसीलदार और ग्राम सभा को पक्षकार बनाया था। याचिकाकर्ताओं का आरोप था कि बिना उचित नोटिस के कार्रवाई की गई, जबकि प्रशासन का कहना है कि यह कार्रवाई उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 की धारा 67 के तहत की गई है।
डिस्क्लेमर: यह रिपोर्ट न्यायिक और प्रशासनिक घटनाक्रम पर आधारित है। किसी भी कानूनी विवाद या कार्रवाई के लिए संबंधित न्यायालय से परामर्श लेना आवश्यक है।