नवरात्रि की चतुर्थी पर मां कूष्मांडा की आराधना: सृष्टि की रचयिता की पूजा से मिलता है तेज, यश और समृद्धि

26 सितंबर 2025 को शारदीय नवरात्रि की चतुर्थी पर मां दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कूष्मांडा की पूजा विधि, पौराणिक कथा, शुभ मुहूर्त, वाहन खरीद की सलाह और विशेष पर्व आयोजन की जानकारी।



रायपुर, 26 सितंबर 2025: शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन यानी चतुर्थी को मां दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कूष्मांडा की पूजा की जाती है। यह दिन आध्यात्मिक ऊर्जा, सृष्टि की उत्पत्ति और तेजस्विता का प्रतीक माना जाता है।

मां कूष्मांडा को ब्रह्मांड की रचयिता कहा जाता है, जिन्होंने अपनी मंद मुस्कान से सृष्टि की रचना की थी। इस दिन की पूजा विधि, पौराणिक कथा, शुभ कार्यों की जानकारी और पर्व की विशेषता को लेकर श्रद्धालुओं में विशेष उत्साह देखा गया।

मां कूष्मांडा कौन हैं

मां कूष्मांडा, मां दुर्गा का चौथा स्वरूप हैं। संस्कृत में ‘कूष्म’ का अर्थ है कुम्हड़ा (कद्दू) और ‘अंडा’ का अर्थ है ब्रह्मांड। मान्यता है कि जब सृष्टि का कोई अस्तित्व नहीं था, चारों ओर अंधकार का साम्राज्य था, तब मां कूष्मांडा ने अपनी हल्की मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की।

उन्हें सूर्य की अधिष्ठात्री देवी भी माना जाता है, जो जीवन में ऊर्जा और प्रकाश का संचार करती हैं।

मां कूष्मांडा की पौराणिक कथा

पौराणिक मान्यता के अनुसार, जब त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश सृष्टि की रचना में असमर्थ थे, तब उन्होंने मां दुर्गा की आराधना की। मां दुर्गा ने कूष्मांडा रूप में प्रकट होकर अपनी मंद मुस्कान से ब्रह्मांड की उत्पत्ति की।

उन्होंने सूर्य के मध्य में निवास किया और उसकी किरणों को नियंत्रित किया। इस रूप में मां ने सृष्टि को गति दी और जीवन का आरंभ किया।

मां कूष्मांडा का स्वरूप

मां कूष्मांडा अष्टभुजा देवी हैं। उनके हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, कमल, अमृत कलश, चक्र, गदा और जपमाला सुशोभित हैं।

उनका वाहन सिंह है और उनका रंग स्वर्णिम होता है। वे पीतांबर वस्त्र धारण करती हैं और उनका तेज सूर्य के समान होता है।

पूजा विधि और प्रिय भोग

मां कूष्मांडा की पूजा में पीले वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है। देवी को केसर युक्त पेठा, मालपुआ, बताशे और सफेद कुम्हड़ा का भोग अर्पित किया जाता है।

पूजा के समय मां के मंत्रों का जाप, दीप प्रज्वलन, पुष्प अर्पण और आरती की जाती है। हरे रंग का विशेष महत्व होता है, इसलिए पूजा स्थल को हरे वस्त्रों और फूलों से सजाया जाता है।

नवरात्रि चतुर्थी पर क्या-क्या खास रहा

रायपुर सहित देशभर के मंदिरों में मां कूष्मांडा की विशेष झांकी सजाई गई। भक्तों ने व्रत रखकर मां की आराधना की। कई स्थानों पर कन्या पूजन की शुरुआत भी इसी दिन हुई।

स्थानीय बाजारों में पूजा सामग्री, पीले वस्त्र, फल और पेठा की बिक्री में वृद्धि देखी गई। सोशल मीडिया पर मां कूष्मांडा की आराधना से जुड़े मंत्र और आरती ट्रेंड में रहे।

क्या वाहन खरीदना शुभ है इस दिन

26 सितंबर 2025 को चतुर्थी तिथि में वाहन खरीदना शुभ माना गया। मां कूष्मांडा की कृपा से तेज, यश और समृद्धि की प्राप्ति होती है, इसलिए इस दिन वाहन खरीदना लाभकारी है।

शुभ मुहूर्त और राहुकाल

  • वाहन खरीद का शुभ समय: प्रातः 09:12 से 11:45 बजे तक
  • राहुकाल: दोपहर 01:30 से 03:00 बजे तक

यदि वाहन खरीद का समय राहुकाल से टकरा रहा हो, तो शुभ मुहूर्त को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। राहुकाल में कोई भी नया कार्य या खरीदारी करना वर्जित माना जाता है।

इस दिन क्या-क्या खरीदा जा सकता है?

  • पीले वस्त्र और पूजा सामग्री
  • कुम्हड़ा (कद्दू) और पेठा
  • वाहन, इलेक्ट्रॉनिक सामान
  • सोना, चांदी और पीतल के बर्तन
  • घर की सजावट के लिए हरे रंग की वस्तुएं

डिस्क्लेमर: यह रिपोर्ट धार्मिक मान्यताओं, पौराणिक ग्रंथों और सार्वजनिक स्रोतों पर आधारित है। पाठकों से अनुरोध है कि किसी भी धार्मिक क्रिया या खरीदारी से पूर्व स्थानीय पंडित या विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लें। www.the4thpillar.live इस जानकारी की पूर्णता या व्यक्तिगत निर्णयों की जिम्मेदारी नहीं लेता।

Richa Sahay

ऋचा सहाय — पत्रकारिता और न्याय जगत की एक सशक्त आवाज़, जिनका अनुभव दोनों क्षेत्रों में अद्वितीय है। वर्तमान में The 4th Pillar की वरिष्ठ समाचार संपादक के रूप में कार्यरत ऋचा सहाय दशकों से राजनीति, समाज, खेल, व्यापार और क्राइम जैसी विविध विषयों पर बेबाक, तथ्यपूर्ण और संवेदनशील लेखन के लिए जानी जाती हैं। उनकी लेखनी की सबसे खास बात है – जटिल मुद्दों को सरल, सुबोध भाषा में इस तरह प्रस्तुत करना कि पाठक हर पहलू को सहजता से समझ सकें।पत्रकारिता के साथ-साथ ऋचा सहाय एक प्रतिष्ठित वकील भी हैं। LLB और MA Political Science की डिग्री के साथ, उन्होंने क्राइम मामलों में गहरी न्यायिक समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण स्थापित किया है। उनके अनुभव की गहराई न केवल अदालतों की बहसों में दिखाई देती है, बल्कि पत्रकारिता में उनके दृष्टिकोण को भी प्रभावशाली बनाती है।दोनों क्षेत्रों में वर्षों की तपस्या और सेवा ने ऋचा सहाय को एक ऐसा व्यक्तित्व बना दिया है जो ज्ञान, निडरता और संवेदनशीलता का प्रेरक संगम है।

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