नेपाल में सोशल मीडिया बैन के खिलाफ Gen-Z का हिंसक प्रदर्शन: 20 की मौत, गृह मंत्री ने दिया इस्तीफा, सरकार ने किया सरेंडर
सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के विरोध में नेपाल की राजधानी काठमांडू समेत कई जिलों में हजारों युवाओं ने किया उग्र प्रदर्शन, सरकार ने देर रात वापस लिया बैन, गृह मंत्री ने कैबिनेट बैठक में सौंपा इस्तीफा।


रायपुर, 9 सितंबर 2025: नेपाल में सोमवार को सोशल मीडिया मंचों पर प्रतिबंध के खिलाफ शुरू हुआ युवाओं का विरोध प्रदर्शन देखते ही देखते हिंसक रूप ले बैठा। राजधानी काठमांडू, कास्की, रूपनदेही और सुनसरी जिलों में हजारों छात्रों और युवाओं ने सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और मार्च निकाला।
सरकार द्वारा फेसबुक, व्हाट्सएप, एक्स (पूर्व ट्विटर) समेत कुल 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद यह विरोध शुरू हुआ। प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि सरकार ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाने के लिए यह कदम उठाया है।
प्रदर्शन की शुरुआत और हिंसा की चिंगारी
सोमवार सुबह काठमांडू के मैतीघर और बानेश्वोर इलाकों में हजारों छात्र और युवा इकट्ठा हुए। उन्होंने सरकार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए और सोशल मीडिया बैन को लोकतंत्र विरोधी बताया। प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन की ओर मार्च किया, जहां पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की।
स्थिति तब बिगड़ गई जब प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन के पास पुलिस बैरिकेड्स को तोड़ दिया। पुलिस ने पहले हल्का बल प्रयोग किया, लेकिन जब हालात बेकाबू हो गए तो सेना को तैनात किया गया।
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस हिंसा में अब तक 20 लोगों की मौत हो चुकी है और 500 से अधिक घायल हुए हैं। कई सरकारी वाहनों और इमारतों को नुकसान पहुंचा है।
सरकार का यू-टर्न और इस्तीफों की बौछार
सोमवार देर रात नेपाल सरकार ने सोशल मीडिया पर लगाया गया प्रतिबंध वापस ले लिया। सूचना एवं संचार मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग ने मीडिया को इसकी जानकारी दी।
उधर, नेपाल के गृह मंत्री रमेश लेखक ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को कैबिनेट बैठक के दौरान अपना इस्तीफा सौंप दिया। हालांकि प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री ओली के इस्तीफे की भी मांग कर रहे हैं।
कर्फ्यू और तनावपूर्ण हालात
काठमांडू, पोखरा, रूपनदेही और सुनसरी जिलों के कई हिस्सों में कर्फ्यू लगा दिया गया है। राजधानी में इंटरनेट सेवाएं आंशिक रूप से बहाल की गई हैं, लेकिन सुरक्षा बलों की तैनाती अब भी भारी है।
क्यों लगा था सोशल मीडिया बैन
नेपाल सरकार ने पिछले सप्ताह यह दावा करते हुए सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाया था कि इन प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल अफवाह फैलाने, सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने और सरकार विरोधी गतिविधियों के लिए किया जा रहा है।
हालांकि, नागरिक समाज, पत्रकार संगठनों और छात्रों ने इस कदम को लोकतंत्र विरोधी बताते हुए विरोध शुरू कर दिया था।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग और कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने नेपाल सरकार के सोशल मीडिया प्रतिबंध की आलोचना की थी। भारत, अमेरिका और यूरोपीय संघ ने भी नेपाल से लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करने की अपील की थी।
विश्लेषण:
नेपाल में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय न केवल राजनीतिक रूप से अस्थिरता का कारण बना, बल्कि यह युवाओं के बीच गहरे असंतोष का प्रतीक भी बन गया। सरकार को अब यह समझना होगा कि डिजिटल युग में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सीमित करना जनविरोध को जन्म दे सकता है।