‘पास्टर जी’ का अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क बेनकाब, आगरा में धर्मांतरण रैकेट का भंडाफोड़
गरीबों और बीमारों को चमत्कार, इलाज और आर्थिक मदद का लालच देकर ईसाई धर्म अपनाने को मजबूर करता था गिरोह, पुलिस ने 8 आरोपियों को किया गिरफ्तार।

Raipur, 04 सितंबर 2025 : उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में एक बड़े धर्मांतरण रैकेट का पर्दाफाश हुआ है। पुलिस ने शाहगंज थाना क्षेत्र से एक गिरोह के मास्टरमाइंड राजकुमार लालवानी, जिसे ‘पास्टर जी’ के नाम से जाना जाता था, सहित आठ लोगों को गिरफ्तार किया है।
यह गिरोह समाज के आर्थिक और शारीरिक रूप से कमजोर वर्गों को निशाना बनाकर उन्हें ईसाई धर्म अपनाने के लिए बहकाता था। इस गिरफ्तारी के साथ ही, इस गिरोह के अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क और फंडिंग का भी खुलासा हुआ है, जिसके तार दुबई और स्पेन तक फैले हुए हैं।
कैसे काम करता था धर्मांतरण गिरोह
पुलिस जांच में पता चला है कि यह गिरोह शाहगंज के केदारनगर इलाके से संचालित हो रहा था। राजकुमार लालवानी, जो स्वयं चार साल पहले हिंदू से ईसाई बना था, हर रविवार को अपने घर पर गुप्त प्रार्थना सभाएं आयोजित करता था। इन सभाओं में मुख्य रूप से बीमार, गरीब और बेरोजगार लोगों को आमंत्रित किया जाता था।
- चमत्कार का नाटक: लालवानी लोगों के सामने ‘चमत्कार’ करने का दावा करता था। वह बीमार लोगों के बाल पकड़कर घुमाता था और कहता था कि इससे उनकी शारीरिक परेशानियां दूर हो जाएंगी। यह सब एक सुनियोजित धार्मिक नाटक का हिस्सा था।
- आर्थिक प्रलोभन: गिरोह के सदस्य लोगों को बच्चों की बेहतर शिक्षा, क्रिश्चियन स्कूलों में नौकरी और आर्थिक सहायता का लालच देते थे। कमजोर आर्थिक स्थिति वाले लोग आसानी से उनके बहकावे में आ जाते थे।
- ब्रेनवाश और धार्मिक सामग्री: आरोपियों ने लोगों को उनके पारंपरिक देवी-देवताओं की मूर्तियों को घर से हटाने और उनकी जगह बाइबिल व अन्य ईसाई धार्मिक पुस्तकें रखने के लिए प्रेरित किया। उनका मुख्य लक्ष्य लोगों के दिमाग में ईसाई धर्म की श्रेष्ठता स्थापित करना था।
- डिजिटल माध्यमों का उपयोग: यह गिरोह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे यूट्यूब का भी इस्तेमाल करता था। राजकुमार लालवानी ऑनलाइन मीटिंग्स आयोजित करता था, जिसमें वह खुद को ‘पास्टर जी’ कहता था और दूर-दूर के लोगों को अपने जाल में फंसाता था।
अंतरराष्ट्रीय फंडिंग और नेटवर्क का खुलासा
पुलिस की गहन जांच में इस रैकेट के अंतरराष्ट्रीय संबंधों का भी खुलासा हुआ है। बताया जाता है कि इस गिरोह के तार केवल भारत के पंजाब और महाराष्ट्र जैसे राज्यों तक ही सीमित नहीं थे, बल्कि दुबई और स्पेन जैसे देशों से भी जुड़े हुए थे।
- ऑनलाइन मीटिंग्स और फंडिंग: हर रविवार सुबह 4 बजे गल्फ देशों में बैठे लोगों के साथ ऑनलाइन मीटिंग्स की जाती थीं। इन मीटिंग्स के बदले में, दुबई और स्पेन से मोटी रकम हवाला के जरिए राजकुमार लालवानी और उसके साथियों के बैंक खातों में भेजी जाती थी। यह पैसा मुख्य रूप से लालवानी की बेटी और अन्य सहयोगियों के खातों में जमा होता था।
पुलिस की कार्रवाई और बरामदगी
इस मामले का खुलासा तब हुआ जब आगरा की दो सगी बहनों ने धर्मांतरण को लेकर शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने एक महीने तक गुप्त जांच की। महिला पुलिसकर्मियों को सादे कपड़ों में सत्संग सभाओं में भेजा गया, जिन्होंने धर्मांतरण की पूरी प्रक्रिया को रिकॉर्ड कर सबूत जुटाए।
पुलिस ने कार्रवाई करते हुए आठ आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें अनूप कुमार, जयकुमार, अरुण कुमार, कमल कुण्डलानी और तीन महिलाएं शामिल हैं।
बरामद की गई सामग्री में शामिल हैं:
- 15 बाइबिल और 3 गीतों की किताबें
- 4 डायरी, जिनमें धर्मांतरित लोगों की जानकारी दर्ज थी
- 6 मोबाइल फोन
- 2 कार
- ₹13,165 नकद
अगली कार्रवाई और कानूनी प्रावधान
पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ उत्तर प्रदेश धर्मांतरण विरोधी कानून की धारा 3/5(1) के तहत मामला दर्ज किया है। डीसीपी सिटी सोनम कुमार ने बताया है कि इस रैकेट से जुड़े अन्य लोगों की भी तलाश जारी है और जल्द ही पूरे नेटवर्क को बेनकाब किया जाएगा।
यह मामला एक बार फिर यह दर्शाता है कि किस तरह से भोले-भाले और जरूरतमंद लोगों को लालच देकर उनका धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है। ऐसे रैकेटों की मौजूदगी समाज में धार्मिक और सामाजिक सद्भाव के लिए एक गंभीर चुनौती है।
पुलिस की तत्परता से यह रैकेट उजागर हुआ है, लेकिन यह भी स्पष्ट है कि ऐसे गिरोह अभी भी सक्रिय हैं और समाज के कमजोर वर्गों को निशाना बना रहे हैं।