अमर्यादित टिप्पणी पर मौन अखिलेश, प्रियंका और राहुल;भाजपा ने जताई नाराज़गी,हर्षिता पाण्डेय का आरोप-शर्मनाक चुप्पी ने लोकतंत्र को किया शर्मसार

हर्षिता पांडे की गूंज — 'लड़की हूं, लड़ सकती हूं' का नारा अब खोखला क्यों लगता है?

रायपुर। भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश प्रवक्ता और महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष हर्षिता पाण्डेय ने कहा है कि आज जिस तरह की टिप्पणी समाजवादी पार्टी की सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव पर की गई है, जो अमर्यादित बयान उन पर किया गया है, उससे भारत की करोड़ों महिलाओं को अंदर से झकझोर कर रख दिया है। हर्षिता पाण्डेय ने इस बात पर हैरानी जताई कि इस मामले में पूरा विपक्ष तो मौन है ही, समाजवादी पार्टी और उसके अध्यक्ष व डिंपल यादव के पति अखिलेश यादव तक मौन हैं।

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता पाण्डेय ने कहा कि इस पूरे प्रकरण पर समाजवादी पार्टी और स्वयं अखिलेश यादव की चुप्पी बेहद सवालों के घेरे में है। जब एक महिला सांसद, जनप्रतिनिधि और स्वयं उनकी पत्नी डिंपल यादव का सार्वजनिक रूप से अपमान किया जा रहा है, तब अखिलेश यादव मौन क्यों हैं? क्या उनके लिए एक महिला की गरिमा से बढ़कर वोट बैंक की सियासत अधिक महत्वपूर्ण है? हर्षिता पाण्डेय ने कहा कि अखिलेश यादव की चुप्पी से प्रतीत होता है कि उन्हें डर है कि अगर उन्होंने इन मौलानाओं के बयानों का विरोध किया तो उनका परंपरागत वोटबैंक नाराज़ हो जाएगा। लेकिन इससे भी अधिक शर्मनाक तो यह है कि उत्तरप्रदेश में साइकिल की सवारी कर चुके कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी तक मौन हैं ,और ‘लड़की हूं, लड़ सकती हूँ’ का नारा देने वाली कांग्रेस की महासचिव प्रियंका वाड्रा भी मौन हैं!

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता पाण्डेय ने सवाल दागा कि क्या महिलाओं की अस्मिता पर भी कांग्रेस सिलेक्टिव राजनीति करती रहेगी? तुष्टिकरण की राजनीति और एक विशेष संप्रदाय के वोट बैंक के लिए क्या महिलाओं की अस्मिता को इस तरह के नफरती बोल से लहूलुहान होते कांग्रेस चुप्पी साधे देखती रहेगी या फिर कोई प्रतिक्रिया देगी? हर्षिता पाण्डेय ने कहा कि एक तरफ जहाँ सम्प्रदाय विशेष के धार्मिक संगठन डिंपल यादव के पहनावे को लेकर अपमानजनक टिप्पणियां कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर अखिलेश यादव की चुप्पी यह साबित करती है कि तुष्टीकरण की राजनीति के सामने वे परिवार की भी प्रतिष्ठा और महिला सम्मान की रक्षा करने को तैयार नहीं हैं। भाजपा और एनडीए इस अपमान के विरोध में खड़ी है। महिलाओं के खिलाफ इस तरह की अमर्यादित टिप्पणी भारत के लोकतंत्र में स्वीकार नहीं की जा सकती।

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता हर्षिता पाण्डेय ने कहा कि 23 जुलाई को समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सपा नेताओं के साथ अपने वोटबैंक के तुष्टिकरण के लिए नई दिल्ली की एक मस्जिद में एक राजनीतिक बैठक की, जिसमें उनकी पत्नी और मैनपुरी से लोकसभा सांसद डिंपल यादव, उनकी ही पार्टी के अन्य सांसद जैसे जिया उर रहमान बर्क और इकरा हसन भी शामिल थे। इस पर कई मुस्लिम संगठनों ने आपत्ति जताई है। हर्षिता पाण्डेय ने कहा कि इसी बैठक में डिंपल यादव के पहनावे को लेकर ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के प्रमुख मौलाना शाहबुद्दीन रिजवी ने आपत्तिजनक बयान दिया और मौलाना मोहिबुल्ला नदवी पर भी निशाना साधा और कहा कि मस्जिद में राजनीतिक बैठक बुलाना शर्मनाक है।

पाण्डेय ने कहा कि इसके बाद मौलाना साजिद रशीदी ने लाइव टीवी पर अशोभनीय भाषा का प्रयोग करते हुए कहा मस्जिद में डिंपल यादव की पीठ देख लीजिए, (इसके बाद उन्होंने बेहद आपत्तिजनक शब्द का उपयोग किया) मौलाना साजिद रशीदी और मौलाना शाहबुद्दीन रिजवी दोनों ने ही अखिलेश यादव और डिंपल यादव से माफी की मांग की है। सपा और कांग्रेस को इस पर अपना तर्क स्पष्ट करना चाहिए।

Richa Sahay

ऋचा सहाय — पत्रकारिता और न्याय जगत की एक सशक्त आवाज़, जिनका अनुभव दोनों क्षेत्रों में अद्वितीय है। वर्तमान में The 4th Pillar की वरिष्ठ समाचार संपादक के रूप में कार्यरत ऋचा सहाय दशकों से राजनीति, समाज, खेल, व्यापार और क्राइम जैसी विविध विषयों पर बेबाक, तथ्यपूर्ण और संवेदनशील लेखन के लिए जानी जाती हैं। उनकी लेखनी की सबसे खास बात है – जटिल मुद्दों को सरल, सुबोध भाषा में इस तरह प्रस्तुत करना कि पाठक हर पहलू को सहजता से समझ सकें।पत्रकारिता के साथ-साथ ऋचा सहाय एक प्रतिष्ठित वकील भी हैं। LLB और MA Political Science की डिग्री के साथ, उन्होंने क्राइम मामलों में गहरी न्यायिक समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण स्थापित किया है। उनके अनुभव की गहराई न केवल अदालतों की बहसों में दिखाई देती है, बल्कि पत्रकारिता में उनके दृष्टिकोण को भी प्रभावशाली बनाती है।दोनों क्षेत्रों में वर्षों की तपस्या और सेवा ने ऋचा सहाय को एक ऐसा व्यक्तित्व बना दिया है जो ज्ञान, निडरता और संवेदनशीलता का प्रेरक संगम है।

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