मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने श्राइन बोर्ड की भूमिका पर उठाए सवाल, वैष्णो देवी मार्ग हादसे में 34 श्रद्धालुओं की मौत
वैष्णो देवी मार्ग पर भूस्खलन से 34 श्रद्धालुओं की मौत: प्रशासन की लापरवाही पर उठे सवाल, राहत कार्य जारी।


मंगलवार को अर्धकुंवारी मार्ग पर हुए विनाशकारी भूस्खलन ने श्रद्धालुओं की यात्रा को मातम में बदल दिया। 34 लोगों की मौत, 20 घायल और कई लापता। प्रशासनिक निर्णयों पर उठे सवाल, सेना और वायुसेना राहत कार्य में जुटी।
कटरा से विशेष रिपोर्ट
माता वैष्णो देवी मंदिर की ओर जाने वाला पवित्र मार्ग, जो कभी श्रद्धालुओं के जयकारों से गूंजता था, आज शोक और सन्नाटे से भरा है। मंगलवार दोपहर करीब 3 बजे अर्धकुंवारी मार्ग पर हुए भूस्खलन ने 34 जिंदगियों को लील लिया और सैकड़ों परिवारों को अनिश्चितता और भय के अंधेरे में धकेल दिया।
यह हादसा उस समय हुआ जब श्रद्धालु बारिश से बचने के लिए इंदरप्रस्थ भोजनालय के पास एक लोहे की शेड के नीचे शरण लिए हुए थे। अचानक पहाड़ी से पत्थर, मलबा और पेड़ गिरने लगे, जिससे पूरा क्षेत्र तबाही में बदल गया।
श्रद्धालुओं की पीड़ा और राहत केंद्रों की स्थिति
कटरा स्थित आधार शिविर, अस्पताल और अस्थायी सहायता केंद्र अब केवल राहत के केंद्र नहीं, बल्कि पीड़ितों की उम्मीदों का सहारा बन गए हैं। शुभम साहू जैसे कई श्रद्धालु अपने साथियों को खोने की पीड़ा में टूट चुके हैं। शुभम की 11 सदस्यीय टीम में से तीन लोग अब भी लापता हैं। “लौटते समय अचानक जमीन धंस गई… सब कुछ कुछ ही सेकंड में खत्म हो गया,” शुभम ने कांपती आवाज में बताया।
सरकारी सहायता और बचाव अभियान
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने मृतकों के परिजनों को छह-छह लाख रुपये की सहायता राशि की घोषणा की है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य के मृतकों के परिवारों को चार-चार लाख रुपये की आर्थिक मदद देने की बात कही। वहीं, उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने नौ लाख रुपये की राहत राशि देने की घोषणा की।
भारतीय वायुसेना ने राहत अभियान में तेजी लाने के लिए छह एमआई-17 हेलीकॉप्टर, एक चिनूक और एक सी-130 विमान तैनात किया है। सेना की तीन टुकड़ियां अर्धकुंवारी, कटरा-ठकरा कोट मार्ग और जौरियां क्षेत्र में राहत कार्य में जुटी हैं। अब तक 90 से अधिक लोगों को सुरक्षित निकाला गया है।
प्रशासनिक लापरवाही और श्राइन बोर्ड पर सवाल
मौसम विभाग ने पहले ही भारी बारिश, भूस्खलन और बाढ़ की चेतावनी जारी की थी। इसके बावजूद यात्रा को जारी रखने की अनुमति देना प्रशासन की गंभीर लापरवाही मानी जा रही है। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “मौसम विभाग की चेतावनी पहले से थी। फिर भी यात्रा को जारी रखने की अनुमति क्यों दी गई?”
स्थानीय लोगों और पत्रकारों ने भी श्राइन बोर्ड की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं। एक स्थानीय निवासी ने कहा, “श्राइन बोर्ड ने तीर्थयात्रियों की संख्या बढ़ाने के लिए पहाड़ियों पर अंधाधुंध निर्माण और पेड़ों की कटाई की, जिससे यह आपदा और भयावह हो गई।”
उत्तर भारत में व्यापक असर
यह त्रासदी अकेली नहीं है। बंगाल की खाड़ी पर बने निम्न दबाव के कारण उत्तर भारत के कई राज्यों में भारी बारिश हो रही है। जम्मू में पिछले 24 घंटे में 380 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो 1910 के बाद सबसे अधिक है। पंजाब, हिमाचल और उत्तराखंड में भी जलभराव, ट्रेनें रद्द और स्कूल बंद होने की खबरें हैं।
मानवीय त्रासदी के बीच राहत की किरण
कटरा के अस्पतालों में घायल श्रद्धालुओं का इलाज जारी है। सहायता केंद्रों पर भोजन, पानी और आश्रय की व्यवस्था की जा रही है। कई सामाजिक संगठनों और स्थानीय नागरिकों ने राहत कार्यों में सहयोग दिया है।
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि संचार व्यवस्था और बिजली बहाल करने की कोशिशें जारी हैं। “लोग अपने परिवार से संपर्क नहीं कर पा रहे हैं। हमारी पहली प्राथमिकता है कि बिजली और मोबाइल नेटवर्क को जल्द से जल्द बहाल किया जाए।”