हरतालिका तीज 2025: 26 अगस्त को मनाया जाएगा अखंड सौभाग्य का पर्व, जानिए 16 पत्तियों का महत्व और पूजन विधि

इस वर्ष हरतालिका तीज 26 अगस्त को मंगलवार के दिन मनाया जाएगा। यह पर्व शिव-पार्वती के दिव्य मिलन का प्रतीक है और स्त्रियों द्वारा अखंड सौभाग्य, प्रेम और समृद्धि की कामना के लिए रखा जाता है। व्रत के दौरान 16 विशेष पत्तियों से शिवलिंग की पूजा की जाती है, जो प्रकृति और आध्यात्मिकता का सुंदर संगम दर्शाती हैं।



हरतालिका तीज 2025 इस वर्ष 26 अगस्त को मनाई जाएगी। यह पर्व भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को आता है और विशेष रूप से उत्तर भारत, मध्य भारत और नेपाल में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं और अखंड सौभाग्य, सुखी दांपत्य जीवन तथा संतान सुख की कामना करती हैं।

हरतालिका तीज का पौराणिक महत्व

हरतालिका शब्द दो संस्कृत शब्दों “हरत” (अपहरण) और “आलिका” (मित्र) से मिलकर बना है। मान्यता है कि माता पार्वती की एक सखी ने उनका अपहरण कर उन्हें वन में ले जाकर भगवान विष्णु से विवाह रोकने में सहायता की थी। वहां पार्वती जी ने शिवलिंग बनाकर कठोर तप किया और अंततः भगवान शिव ने उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार किया। तभी से यह पर्व स्त्रियों द्वारा प्रेम, समर्पण और संकल्प का प्रतीक बन गया।

व्रत की कठिनाई और पूजन विधि

हरतालिका तीज का व्रत अत्यंत कठिन माना जाता है। इसे “निर्जला व्रत” कहा जाता है, जिसमें महिलाएं 24 घंटे तक बिना अन्न और जल ग्रहण किए उपवास करती हैं। व्रत की शुरुआत ब्रह्म मुहूर्त में स्नान और स्वच्छ वस्त्र धारण कर होती है। इसके बाद मिट्टी या बालू से शिवलिंग बनाकर प्रदोष काल में पूजा की जाती है।

इस वर्ष तृतीया तिथि 25 अगस्त को दोपहर 12:34 बजे से शुरू होकर 26 अगस्त को दोपहर 1:54 बजे तक रहेगी। पूजा का शुभ मुहूर्त 26 अगस्त को सुबह 5:56 बजे से 8:31 बजे तक रहेगा।

16 पत्तियां और उनका आध्यात्मिक महत्व

हरतालिका तीज पर शिवलिंग पर 16 विशेष पत्तियां चढ़ाई जाती हैं, जो प्रकृति से जुड़ी होती हैं और हर एक का अलग आध्यात्मिक अर्थ होता है:

पत्ती का नाममहत्व
बिल्वपत्रसौभाग्य
शमीधन और समृद्धि
आममंगल कार्य
जातीपत्रसंतान
भृंगराजपराक्रम
सेवंतिकादांपत्य सुख
अगस्त्यवैभव
केले के पत्तेसफलता
बांसवंश वृद्धि
देवदारऐश्वर्य
पानपरस्पर प्रेम
धतूरामोक्ष प्राप्ति
चंपासौंदर्य और सेहत
कनेरयश और सुख
नीमसुंदर चरित्र
अशोकशांति प्रिय जीवन

इन पत्तियों को उल्टा चढ़ाया जाता है, जबकि फूल और फल सीधे अर्पित किए जाते हैं।

तीज में चढ़ाए जाने वाले फल

पूजन में मुख्यतः पांच प्रकार के फल चढ़ाए जाते हैं—केला, सेब, नाशपाती, पपीता, अनार, अमरूद या कोई भी मौसमी फल। यह फल देवी पार्वती को अर्पित किए जाते हैं और व्रती स्त्रियां इनसे अपने जीवन में मिठास और समृद्धि की कामना करती हैं।

रात्रि जागरण और भजन

पूजन के बाद महिलाएं रात्रि जागरण करती हैं, भजन-कीर्तन करती हैं और हर प्रहर में शिवलिंग पर पत्तियां अर्पित करती हैं। यह जागरण आत्मशुद्धि और भक्ति का प्रतीक होता है।


निष्कर्ष:
हरतालिका तीज केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि स्त्री शक्ति, प्रेम और प्रकृति से जुड़ा एक आध्यात्मिक उत्सव है। यह पर्व हमें समर्पण, तप और विश्वास की शक्ति का स्मरण कराता है। इस वर्ष का व्रत विशेष रूप से शुभ माना जा रहा है, क्योंकि यह मंगलवार को पड़ रहा है—जो शिव पूजा के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है।


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Richa Sahay

ऋचा सहाय — पत्रकारिता और न्याय जगत की एक सशक्त आवाज़, जिनका अनुभव दोनों क्षेत्रों में अद्वितीय है। वर्तमान में The 4th Pillar की वरिष्ठ समाचार संपादक के रूप में कार्यरत ऋचा सहाय दशकों से राजनीति, समाज, खेल, व्यापार और क्राइम जैसी विविध विषयों पर बेबाक, तथ्यपूर्ण और संवेदनशील लेखन के लिए जानी जाती हैं। उनकी लेखनी की सबसे खास बात है – जटिल मुद्दों को सरल, सुबोध भाषा में इस तरह प्रस्तुत करना कि पाठक हर पहलू को सहजता से समझ सकें।पत्रकारिता के साथ-साथ ऋचा सहाय एक प्रतिष्ठित वकील भी हैं। LLB और MA Political Science की डिग्री के साथ, उन्होंने क्राइम मामलों में गहरी न्यायिक समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण स्थापित किया है। उनके अनुभव की गहराई न केवल अदालतों की बहसों में दिखाई देती है, बल्कि पत्रकारिता में उनके दृष्टिकोण को भी प्रभावशाली बनाती है।दोनों क्षेत्रों में वर्षों की तपस्या और सेवा ने ऋचा सहाय को एक ऐसा व्यक्तित्व बना दिया है जो ज्ञान, निडरता और संवेदनशीलता का प्रेरक संगम है।

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